प्रो. रावल और सोलंकी को मिली अग्रिम जमानत, कहा- फर्जी है पूरा मामला

Webdunia
गुरुवार, 26 जनवरी 2023 (20:12 IST)
इंदौर। साइबर एक्सपर्ट प्रो. गौरव रावल और नीलेश सोलंकी पर झूठे पास्को एक्ट के मामले में अदालत ने अग्रिम जमानत स्वीकृत की। दरअसल, आवेदिका एवं उसकी मां शारीरिक छेड़छाड़ का कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष गवाह प्रस्तुत नहीं कर पाई। साथ ही इस मामले में अलग-अलग तारीख को लिखाई गई एफआईआर में भी विरोधभास दिखाई दिया। 
 
न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर उच्च न्यायालय इंदौर ने कोर्ट नंबर 14 में केस नंबर 10 के लिए सरकारी वकील अजय गुप्ता और बचाव पक्ष के वकील विजय आसुदानी के द्वारा जिरह के पश्चात प्रो. गौरव रावल और नीलेश सोलंकी पर झूठे पास्को एक्ट आरोप के मामले के लिए अग्रिम जमानत स्वीकृत की।
 
क्या कहना है प्रो. रावल का : राष्ट्रीय स्तर के साइबर एक्सपर्ट प्रो. गौरव रावल का कहना है कि घटना के समय नहीं थे। उनके खिलाफ साले की पत्नी व बेटी ने झूठा केस दर्ज कराया है, इसी कारण पुलिस ने गिरफ्तारी नहीं की है। मामला जांच में है। रावल का कहना है कि उनकी पत्नी सोनिया ने पुलिस आयुक्त हरिनारायण चारी मिश्र सहित तमाम अफसरों, मानव अधिकार आयोग, एडीजी महिला अपराध को आवेदन दिया था। सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की थी। उसी आधार पर मामले की जांच चल रही है।
 
मौके पर नहीं थे रावल : रावल ने बताया कि घटना के समय मैं मौके पर नहीं था। मुझे तो पत्नी ने फोन कर बुलाया था। मैं घटना के बाद वहां आया था। दरअसल, भाई-बहनों (साला व पत्नी) पैतृक संपत्ति के झगड़े में बहन से पैतृक संपत्ति का हक त्याग करवाने हेतु सुनियोजित तरीके से (पति के खिलाफ) पास्को एक्ट मे झूठी रिपोर्ट लिखाई है।
 
विवाद 13 जनवरी 2022 को दो रिश्तेदारों (साले और साड़ू) के बीच में हुआ था। इसकी सामान्य मारपीट की एफ़आईआर भी दोनों पक्षों द्वारा लिखाई गई थी। इसमें उनका (रावल) नाम नहीं था। बाद में 31 जनवरी 2022 को दूसरी एफ़आईआर हुई, जिसमें अश्लील हरकत करने और छेड़छाड़ की रिपोर्ट लिखाई गई थी तथा इसमें उनका नाम भी जोड़ दिया गया। अगर ऐसी कोई भी घटना हुई होती तो 13 जनवरी की एफ़आईआर में ही सारी बात लिखाई जातीं। 
 
पुलिस तथा निचली अदालत ने अपनी जांच में सीडी व पेनड्राइव का अवलोकन करना स्वीकारा है साथ ही इस बात की भी पुष्टि की है की पूरा घटनाक्रम प्रापर्टी विवाद को लेकर चर्चा से संबंधित है। इसके साथ ही उक्त दोनों FIR में समय व घटनाक्रम को लेकर स्पष्ट विरोधाभास हैं।
 
शारीरिक छेड़छाड़ का कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष गवाह आवेदिका व उसकी मां नहीं प्रस्तुत कर पाईं। आवेदिका ने अपने बयान में यह भी स्वीकारा की घटना के समय प्रो. गौरव रावल और नीलेश सोलंकी दोनों की पत्नियां पूरे समय मौके पर मौजूद थीं। 

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