नई दिल्ली। केंद्रीय जेल, भोपाल, मॉडल जेल, चंडीगढ़ और केंद्रीय जेल, जयपुर- इन सब में एक सूत्र आपस में खूब मेल खाता है। इन सभी जेलों ने कोरोना के दौरान बाहर की दुनिया की मदद करने की ठानी और लोगों के लिए बड़ी तादाद में मास्क, सैनिटाइजर और पीपीई किट बनाए।
इन जेलों के बंदियों के कामों पर किसी का खास ध्यान नहीं गया, लेकिन इनका काम खास जरूर था। जेलों में मुलाकातें बंद होने और अवसाद के बढ़ने के बावजूद वे बाहरी समाज की मदद की जिम्मेदारी को निभाते रहे। ऐसी कहानियां अनगिनत हैं।
भारत में इस समय करीब 1400 जेलें हैं। इनके कई बंदियों ने जो किया, वह तारीफ के काबिल है। ऐसी बहुत-सी सच्ची कहानियों, बंदियों की कर्मशीलता और सकारात्मक व्यवहार को सामने लाने के लिए तिनका तिनका ने एक अनूठी पहल की है। दिवाली और बाल दिवस के मौके पर तिनका तिनका ने एक ऐसे पॉडकास्ट की शुरुआत की है, जो दुनिया भर की जेलों को आपस में जोड़ेगा।
जेल सुधारक और तिनका तिनका की संस्थापक वर्तिका नन्दा ने इस पॉडकास्ट की संकल्पना की है। हर हफ्ते किसी नए पॉडकास्ट के जरिए तिनका तिनका जेल रेडियो अलग-अलग जेलों की विशेष कहानियों को सामने लेकर आएगा। अब यह चैनल जेलों पर नियमित प्रस्तुतिकरण करेगा।
तिनका तिनका जेल रेडियो नाम के इस पॉडकास्ट को ज्ञानेश्वर मुले (पूर्व आईएफएस) और मानवाधिकार आयोग के सदस्य ने रिलीज किया है।
पहली कड़ी उन बच्चों के नाम की गई है जो अपराध किए बिना अपने मां या पिता के साथ जेल में रहने के लिए मजबूर हैं क्योंकि उनके पास कोई और ठिकाना नहीं है।
क्या है तिनका तिनका : तिनका तिनका भारतीय जेलों पर वर्तिका नन्दा का शुरू किया गया अभियान है। बंदियों और जेल स्टाफ के लिए देश के पहले ख़ास सम्मान- तिनका तिनका इंडिया अवार्ड्स और तिनका तिनका बंदिनी अवार्ड्स इसी मुहिम का हिस्सा हैं। हाल में उन्होंने भारत की जेलों में महिलाओं और बच्चों की स्थिति का आकलन कर भारत सरकार को एक शोध सौंपा है। उनकी तीन किताबें- तिनका तिनका तिहाड़, तिनका डासना और तिनका मध्य प्रदेश भारतीय जेलों की तस्वीर प्रस्तुत करती हैं। वर्तमान में वे दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज के पत्रकारिता विभाग की प्रमुख हैं।