देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले में मंगलवार शाम को भारी बारिश के बाद ऋषिगंगा नदी का जलस्तर बढ़ जाने से आसपास के गांवों के लोगों में घबराहट फैल गई और उन्होंने घर छोड़कर रात काटने के लिए गुफाओं में शरण ले ली।
इस साल 7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा नदी में आई बाढ़ की तबाही के मंजर से अब तक भयभीत नदी के निचले इलाकों जैसे रैंणी और जुगजू जैसे गांवों के लोग भारी बारिश के बाद नदी का जल स्तर बढ़ता देख घबरा गए।
दहशत के मारे कई ग्रामीण निकटवर्ती जंगलों की ओर भाग गए, जहां उन्होंने गुफाओं में शरण ली और लालटेन के सहारे रात बिताई। चमोली के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी ने कहा कि ग्रामीणों की मदद के लिए राष्ट्रीय आपदामोचन बल की टीमों को गांवों में भेज दिया गया है।
उन्होंने बताया कि नदी घाटी में रहने वाले लोगों के लिए अलर्ट भी घोषित कर दिया गया है। हालांकि उन्होंने कहा कि बारिश रुकने के बाद मंगलवार रात को ही ऋषिगंगा का जलस्तर कम होकर सामान्य हो गया। फरवरी में चमोली जिले की ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में आई जबर्दस्त बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी।
बाढ़ में जहां रैंणी में स्थित ऋषिगंगा पनबिजली परियोजना पूरी तरह ध्वस्त हो गई थी वहीं तपोवन क्षेत्र में स्थित एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा था। बाढ़ में 200 से ज्यादा लोग लापता हो गए थे जिनकी तलाश के लिए चलाए गए अभियान के बाद अब तक 80 शव और 35 मानव अंग बरामद हुए हैं।(भाषा)