मुस्लिम महिलाओं को गुमराह कर रहा है पर्सनल लॉ बोर्ड!

Webdunia
रविवार, 6 नवंबर 2016 (15:08 IST)
लखनऊ। ऑल इंडिया मुस्लिम वीमेन पर्सनल लॉ बोर्ड ने देश में शरई कानूनों की हिफाजत के लिए चलाए जा रहे हस्ताक्षर अभियान को महिलाओं को 'गुमराह' करने वाला करार देते हुए रविवार को कहा कि बेहतर होता, अगर इस मुहिम में इस्तेमाल किए जा रहे दस्तावेज में तलाक के मामलों का हल सिर्फ कुरान शरीफ में दी गई व्यवस्थाओं के अनुरूप ही कराने का इरादा भी जाहिर किया जाता।
 
ऑल इंडिया मुस्लिम वीमेन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा विधि आयोग की प्रश्नावली के जवाब में देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ की सुरक्षा के लिए जो हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है वह महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए नहीं बल्कि उन्हें 'गुमराह' करने के लिए है।
 
उन्होंने कहा कि अगर बोर्ड इस बात के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाता कि वह कुरान शरीफ में उल्लिखित व्यवस्था को उसकी आत्मा के साथ स्वीकार करता है और उसे एक ही सांस में तीन बार दिया गया तलाक मंजूर नहीं है, साथ ही ऐसा करने वालों को सजा दी जाएगी, तो बेहतर होता।
 
शाइस्ता ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं उलमा द्वारा बनाए गए कानून के बजाय कुरान शरीफ में दिए गए प्रावधानों के आधार पर ही तलाक, खुला और हलाला के मसलों को निपटाने की व्यवस्था चाहती हैं। इससे मुस्लिम पर्सनल लॉ की मूल भावना के साथ कोई छेड़छाड़ भी नहीं होगी।
 
इस अभियान में सभी मुस्लिम औरतों और मर्दों से देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ में किसी भी तरह के बदलाव की जरूरत से इंकार तथा देश में समान नागरिक संहिता नामंजूर होने की घोषणा लिखे दस्तावेज पर दस्तखत कराए जा रहे हैं। विधि आयोग की प्रश्नावली के जवाब में बोर्ड द्वारा जारी किए गए वे दस्तावेज हस्ताक्षरित होने के बाद आयोग को सौंपे जाने हैं।
 
शाइस्ता ने कहा कि बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाओं को दारल क़ज़ा (शरई अदालतों) से इंसाफ नहीं मिल पाता है और अक्सर वे एकपक्षीय फैसलों की शिकार हो जाती हैं। ऐसे में उनके पास अन्य अदालतों में जाने का ही विकल्प बचता है, जब वे ऐसा करती हैं तो इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखलंदाजी करार दिया जाता है। ऐसे में यह जरूरी है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उन महिलाओं की मजबूरी को समझे और शरई कानूनों को कुरान शरीफ की विभिन्न आयतों में दी गई व्यवस्थाओं के अनुरूप संशोधित करे।
 
उन्होंने कहा कि मुस्लिम वीमेन पर्सनल लॉ बोर्ड यह चाहता है कि महिलाओं को तीन तलाक से आजादी मिले और बाकी पत्नियों से इजाजत लिए बगैर बहुविवाह करने वालों को सजा की व्यवस्था की जाए। महिलाओं को भी 'ख़ुला' लेने की पूरी आजादी मिले और उसमें रोड़े ना अटकाए जाएं।
 
शाइस्ता ने कहा कि बोर्ड को चाहिए कि वह तलाक के बाद दर-दर भटकने को मजबूर महिलाओं के लिए एक 'बैतुल माल' की व्यवस्था करे जिससे उन औरतों का भरण-पोषण हो सके। (भाषा)
Show comments

जरूर पढ़ें

Bomb threat : 50 उड़ानों में बम की धमकी मिली, 9 दिन में कंपनियों को 600 करोड़ का नुकसान

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के बीच सीटों का फॉर्मूला तय

गुरमीत राम रहीम पर चलेगा मुकदमा, सीएम मान ने दी अभियोजन को मंजूरी

Gold Silver Price Today : चांदी 1 लाख रुपए के पार, सोना 81000 के नए रिकॉर्ड स्तर पर

दो स्‍टेट और 2 मुख्‍यमंत्री, क्‍यों कह रहे हैं बच्‍चे पैदा करो, क्‍या ये सामाजिक मुद्दा है या कोई पॉलिटिकल गेम?

सभी देखें

नवीनतम

जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में दिवाली सेलिब्रेशन के दौरान बवाल

Maharashtra Assembly Elections 2024 : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए शिवसेना ने 45 नामों का किया ऐलान , कोपरी-पाचपाखाडी से शिंदे उम्मीदवार

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए RJD ने 6 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की

UP में ऑक्सीजन सिलेंडर विस्फोट में गर्भवती महिला समेत 6 की मौत

Cyclone Dana : दाना की दहशत, 120KM स्पीड वाला चक्रवाती तूफान कितना खतरनाक, क्या बोला IMD

अगला लेख
More