मेरठ। विद्युत निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों का कार्य बहिष्कार दूसरे दिन भी जारी है। पीवीवीएनएल कर्मी ऊर्जा भवन पर धरना देते हुए निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। इन आंदोलनकारियों के हाथों में तख्तियां हैं, जिन पर निजीकरण विरोधी स्लोगन लिखे हैं तो वहीं ऊर्जा भवन में चारों तरफ नारों की गूंज सुनाई दे रही है।
पावर सब स्टेशन पर कैश काउंटर और कार्यालय बंद होने से लोगों के काम नहीं हो पा रहे हैं। जिला प्रशासन की निगरानी में संविदा कर्मियों और पूर्व सैनिकों ने बिजली आपूर्ति की कमान संभाल रखी है। वही आंदोलनकारी बिजली कर्मचारी निजीकरण के पीछे आईएएस लॉबी का हाथ मान रहे हैं।
सोमवार देर शाम ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के साथ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, यूपी के पदाधिकारियों की लंबी वार्ता में निजीकरण न किए जाने पर सहमति तो बन गई। लेकिन पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन की हठधर्मिता के चलते कागजों पर दस्तख्त नहीं हुए, चेयरमैन ने दस्तखत के लिए दो-तीन दिन का समय मांगा है। यदि निजीकरण न किए जाने पर सहमति बन गई थी, तो कागजों पर साइन करने के लिए समय मांगने के पीछे के कारणों की खोज भी होनी चाहिए।
इससे नाराज बिजली कर्मचारी नेताओं ने कॉर्पोरेशन प्रबंधन पर अनावश्यक टकराव पैदा करने का आरोप लगाते हुए आंदोलन जारी रखने का फैसला किया। बिजली कर्मचारियों का कहना है कि आईएएस लॉबी नहीं चाहती कि सरकारी हाथों में बिजली रहे, वहीं निजीकरण पर अड़ी हुई है, यदि निजीकरण हो जाता है तो सबका नुकसान होगा। उपभोक्ता को बिजली महंगी मिलेगी।
बिजली कर्मियों ने कहा कि हमने हड़ताल नहीं की है, बल्कि कार्य का बहिष्कार किया है, जिसमें आवश्यक सेवाओं के लिए हमारे लोग काम कर रहे हैं। पानी, कोविड सेवाओं और अस्पताल में बिजली सेवाएं चालू है। हम अपनी आकस्मिक सेवाएं दे रहे हैं, मगर जिले के डीएम, एडीएम, एसडीएम और लेखपालों के हवाले बिजली घर की कमान सौंप दी गई है। यदि ऐसे में कोई बड़ी दुर्घटना हो जाती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?
बिजली कर्मचारियों का कहना है कि वार्ता विफल नहीं हुई बल्कि चेयरमैन ने समझौते नामे पर हस्ताक्षर नहीं किए। उनका मानना है कि आज मुख्यमंत्री ने इस पर संज्ञान लिया है तो कोई न कोई हल निकलेग वरना हमारा कार्य बहिष्कार चल ही रहा है। उनका कहना है कि यह लड़ाई हमारी ही नहीं बल्कि आम जनता की लड़ाई है।
विद्युतकर्मियों का कहना है कि अरबों-खरबों की सरकारी संपत्तियों को कौड़ियों के भाव बेचा जा रहा है, जो गलत है। अगर निजीकरण जरूरी है तो निजी कंपनियों को उनका अपना इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर प्रतियोगी बनकर आना चाहिए।
पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी अरविंद मलप्पा बांगरी ने कहा है कि नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ सहित निगम के अंतर्गत आने वाले 14 जिलों में हमारी तैयारियां पूरी हैं और हर हाल में विद्युत वितरण सामान्य रखने की कार्ययोजना हमने पहले ही बना ली थी। हमारे पास तकनीकी और ग़ैर-तकनीकी स्टाफ की वैकल्पिक व्यवस्था है। साथ ही विशेष कंट्रोल रूम बनाए गए हैं, जहां जनता की शिकायतें पहुंचते ही उनके निस्तारण का प्रबंध है।
वही आंदोलन करने वाले बिजली महिलाकर्मियों का कहना है कि सरकार उन्हें दरियों पर बैठने के लिए मजबूर कर रही है, बिजली कर्मचारी गांधीजी के अनुयायी हैं, अपने हक के लिए वह शांतिपूर्वक आंदोलन करेंगे, सत्याग्रह करते हुए जेल चले जाएंगे।