चेन्नई। सलेम के एक मंदिर की मादा हाथी, राजेश्वरी, को सोमवार मद्रास हाई कोर्ट की एक पीठ ने 'दया मृत्यु' देने की अनुमति दी है। पशु चिकित्सकों ने यह प्रमाणित किया है कि हाथी को ठीक नहीं किया जा सकता है और उसका जीवित रहना केवल उसे पीड़ा देगा।
मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस कुदोसे ने पशु प्रेमी और इंडियन सेंटर फॉर एनीमल राइट्स एण्ड एजुकेशन के फाउंडर एस मुरलीधरन की याचिका को स्वीकार कर लिया। मुरलीधरन ने कहा कि हाथी बहुत बीमार है और उसका चलना फिरना पूरी तरह से बंद है।
मुरलीधरन ने यह भी कहा कि अगर ऐसे में हाथी को जिंदा रखा जाता है तो यह जानवरों के लिए क्रूरता अधिनियम, 1960 की रोकथाम का उल्लंघन होगा। इसलिए हाथी को दया मृत्यु देना ही सही है। करीब 10 वर्ष पहले राजेश्वरी की एक टांग टूट गई थी और उसे एक ट्रक की मदद से उठाया गया था।
तब वे वह तीन टांगों पर ही खड़े रहने की आदी हो गई थी लेकिन अब उसके घुटनों में आर्थराइटिस हो गया है जोकि ठीक नहीं किया जा सकता है। फिलहाल वह एक माह से जमीन पर एक ओर करवट लेकर पड़ी हुई है।