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पैलेट गन ने छीनी आंखों की रोशनी, डॉक्‍टर बन करेगी लोगों की जिंदगी में उजाला

हमें फॉलो करें पैलेट गन ने छीनी आंखों की रोशनी, डॉक्‍टर बन करेगी लोगों की जिंदगी में उजाला

सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। यह कहानी 15 साल की कश्मीरी युवती इंशा मुश्ताक की है। आठ महीनों से जारी हिंसक प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षाबलों की पैलेट गन ने इस मासूम की आंखों की रोशनी छीन ली। अब इंशा डॉक्टर बनने की ख्वाहिश लिए हुए है ताकि वह लोगों की जिंदगी में उजाला कर सके।
 
इंशा की विज्ञान विषय में खास रुचि है और उसे बायोलॉजी पढ़ना काफी पसंद है। वह आगे चलकर डॉक्टर बनना चाहती हैं। पिछले कुछ महीनों से वह ट्यूशन भी ले रही हैं। स्कूल भी पढ़ाई में इंशा की हरसंभव मदद करने को तैयार है। स्कूल प्रबंधक अशिक हुसैन का कहना है कि हम उसकी बेहतर शिक्षा के लिए सभी व्यवस्था करेंगे।
 
इंशा मुश्ताक आठ महीने बाद अपने स्कूल आकर काफी खुश हैं। घाटी में हिंसक प्रदर्शनों के दौरान 15 साल की इंशा को पैलेट गन के छर्रे लगने से उसकी आंखों की रोशनी चली गई थी। शुक्रवार को कश्मीर के पारंपरिक लिबास फिरन में इंशा जब शोपियां में अपने न्यू ग्रीन लैंड एजुकेशनल इंस्टीट्यूट पहुंची तो उन्हें देखकर उनके सभी दोस्त काफी खुश हुए और उनका स्वागत किया।
 
इंशा अब पहले से ज्यादा चुप रहने लगी हैं लेकिन उनके चेहरे की मुस्कान बढ़ गई है और वह अपने सभी सहपाठियों को खुशी से गले लगाती हैं। देख न पाने के बावजूद इंशा दूसरे बच्चों की तरह अपनी पढ़ाई आगे जारी रखना चाहती हैं। वह कहती हैं, अब मैं देख नहीं सकती लेकिन किसी भी तरह पढ़ना चाहती हूं।
 
गौरतलब है कि श्रीनगर, दिल्ली और मुंबई में बीते कुछ महीनों में इंशा की आंखों के कई ऑपरेशन हुए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, लेकिन इंशा ने अब भी उम्मीद नहीं छोड़ी है। वह कहती हैं, डॉक्टरों ने मुझे अल्लाह पर भरोसा रखने को कहा है।
 
पहले दिन इंशा ने स्कूल में गणित, बायोलॉजी, अंग्रेजी और फिजिक्स की पढ़ाई की। स्कूल के बाद वह अपने पिता के साथ घर लौटते हुए काफी खुश थीं। उनके पिता मुश्ताक अहमद लोन इस बात से संतुष्ट हैं कि उनकी बेटी खुश है। साथ ही उन्हें यह चिंता भी है कि इंशा को रोज स्कूल जाने में परेशानी होगी, लेकिन इंशा की मां को अपनी बेटी पर पूरा भरोसा है। उनका कहना है, पढ़ाई से उसका लगाव ही उसे सशक्त बनाएगा।
 
इंशा अगले साल 10वीं की परीक्षा देंगी। इसके लिए वह अभी से तैयारियों में जुट गई हैं। वह पूरी मेहनत कर रही हैं ताकि अच्छे नंबर ला सकें। इंशा रोजाना कॉपी पर बिना देखे लिखने का अभ्यास करती हैं। इंशा कहती हैं, मैं जो लिखती हूं वो देख नहीं सकती लेकिन मेरे टीचर तो देख ही सकते हैं।

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