जम्मू। कट्टर अलगाववादी नेता सईद अली शाह गिलानी के शव को हालांकि सुपुर्द-ए-खाक किए हुए 24 घटों से अधिक का समय बीत चुका है पर प्रशासन और पुलिस कश्मीर वादी में लगाए गए अघोषित कर्फ्यू तथा अन्य प्रतिबंधों को हटा पाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। दरअसल उन्हें डर है कि कश्मीर में तूफान आने से पहले की मुर्दा शांति माहौल को बिगाड़ सकती है।
आईजीपी कश्मीर विजय कुमार ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को ऐसी सूचनाएं मिली हैं कि कुछ राष्ट्र विरोधी तत्व कश्मीर के शांतिपूर्ण माहौल को बाधित कर सकते हैं। यह प्रतिबंध एहतियात के तौर पर लागू किया गया है। जब तक लोगों की सुरक्षा पूरी तरह से यकीनी नहीं हो जाती पाबंदियां लागू रहेंगी। जहां तक मोबाइल कनेक्टिविटी बहाल करने की बात है तो आज देर रात को समीक्षा बैठक में इस पर फैसला लिया जाएगा।
इतना जरूर था कि 5 अगस्त 2019 की रात्रि को जो प्रतिबंध कश्मीर में लगाए गए थे उन्हीं अनुभवों का इस्तेमाल करते हुए प्रशासन ने पूरे कश्मीर को एक बार फिर घरों में कैद कर दिया है। पूरे कश्मीर में अघोषित कर्फ्यू के नाम पर लगाई गई पाबंदियां दूसरे दिन भी जारी थीं और कश्मीर दूरसंचार माध्यमों व इंटरनेट से भी पूरी दुनिया से कटा हुआ था।
कश्मीर रेंज के आईजी विजय कुमार मानते थे कि फिलहाल माहौल ऐसा नहीं है कि प्रतिबंधों को हटाया जाए। हालांकि वे दावा करते थे कि कश्मीर में पिछले 24 घंटे शांतिपूर्वक गुजरे हैं। पर उनके दावों की स्वतंत्र पुष्टि इसलिए नहीं हो पाई थी क्योंकि मोबाइल और इंटरनेट पर प्रतिबंध थे।
कुछ पुलिस अधिकारी मानते थे कि गिलानी की मौत के बाद उनके घर तक जाकर दुख प्रकट करने की चाहत कश्मीरियों में है और अगर उन्होंने ऐसी छूट दी तो श्रीनगर में लाखों लोग एकत्र हो सकते हैं जिसका नाजायज फायदा आतंकी भी उठा सकते हैं। यही कारण था कि इस तूफान को थामने के लिए प्रशासन को लाखों सैनिकों का सहारा लेना पड़ा था।