Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

पंचायत चुनाव : 25 साल बाद 'बिकरू' गांव में चुनाव लड़कर प्रत्याशी जीतेगा प्रधानी

हमें फॉलो करें पंचायत चुनाव : 25 साल बाद 'बिकरू' गांव में चुनाव लड़कर प्रत्याशी जीतेगा प्रधानी

अवनीश कुमार

, रविवार, 11 अप्रैल 2021 (01:11 IST)
कानपुर। कानपुर के बिकरू गांव में पुलिस एनकाउंटर में मारे गए अपराधी विकास दुबे की मर्जी के बिना गांव में पंचायत चुनाव लड़ने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था और अपराधी विकास दुबे जिसको चाहता था, वही पंचायत चुनाव में पर्चा दाखिल करता था और फिर चुनाव लड़ता था। अपराधी विकास दुबे की इतनी तूती बोलती थी कि लगभग 25 वर्षों तक गांव में होने वाले पंचायत चुनाव में सिर्फ और सिर्फ उसी के परिवार का वर्चस्व रहता था और ज्यादातर उसके परिवार के लोग निर्विरोध चुनाव जीत जाते थे।

अपराधी विकास दुबे खुद तो निर्विरोध चुनाव जीता ही और साथ में दो बार भाई की पत्नी व नौकर की पत्नी तथा करीबी को निर्विरोध प्रधान बनवाया।लेकिन इस बार के चुनाव में बिकरू गांव की कुछ अलग ही तस्वीर दिखाई पड़ रही है जहां कभी विकास दुबे के खिलाफ खड़े होने की कोई हिम्मत नहीं कर पाता था आज उन्हीं पंचायत सीटों से 10 दावेदारों ने प्रधान पद के लिए नामांकन भरकर वोट मांगना शुरू कर दिया है।इस बार प्रधान पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।

25 वर्ष तक बिकरू गांव की घिमऊ सीट पर कायम था दबदबा : 25 वर्षों तक अपने आतंक के बल पर जिला  पंचायत घिमऊ सीट अपना दबदबा कायम रखने वाले कुख्यात गैंगस्टर विकास दुवबे के आतंक के साए से इस बार घिमऊ जिला पंचायत मुक्त हो गई।वर्ष 2000 में अपराध की दुनिया में पैर पसार चुके विकास दुबे राजनीतिक चोला ओढ़ने के लिए घिमऊ से जिला पंचायत का चुनाव लड़ा और जिला पंचायत सदस्य के रूप में विजयी हुआ था।
webdunia

2005 में घिमऊ जिला पंचायत की सीट आरक्षित हो जाने पर गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने अनुज की वधु अंजलि दुबे को बिकरू ग्राम पंचायत से निर्विरोध प्रधान बनाया। वर्ष 2010 में जिला पंचायत घिमऊ से विकास दुबे ने अपने चचेरे भाई अनुराग दुबे की पत्नी रीता दुबे को घिमऊ जिला पंचायत सदस्य बनाया।इसी बीच शिवली के प्राचार्य सिद्धेश्वर पांडेय हत्याकांड में विकास दुबे को अदालत ने सजा सुना दी।

सजायाफ्ता होने के कारण साल 2015 में विकास दुबे ने घिमऊ जिला पंचायत से अपनी पत्नी ऋचा दुबे को जिला पंचायत का सदस्य बनाया।इसी तरह बिकरू ग्राम पंचायत में साल 1995 में विकास दुबे पहली बार ग्राम प्रधान बना।इसके बाद सन् 2000 में उसने अपने नौकर की पत्नी गायत्री देवी को बिकरू ग्राम पंचायत से प्रधान बनाया।सन् 2005 में उसने अपने अनुज की वधु अंजलि दुबे को गांव का प्रधान बनाया।

साल 2010 में गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने नौकर रामनरेश कुशवाहा को प्रधान बनाया। 2015 में विकास दुबे की अनुज वधु अंजलि दुबे ग्राम प्रधान बनीं, जबकि बिकरू गांव से सटे हुए भीटी ग्राम पंचायत में सन् 2005 में बिकास दुबे ने अपने छोटे भाई अविनाश दुबे को ग्राम प्रधान बनाया था, जिसकी मृत्यु हो जाने के वाद विकास दुबे ने अपने सिपहसालार जिलेदार यादव के बेटे को ग्राम पंचायत का ग्राम प्रधान बनाया।

इसी तरह पड़ोसी गांव बसेन ग्राम पंचायत से गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने भानजे आशुतोष को ग्राम प्रधान बनाया।अगली बार सीट आरक्षित हो जाने पर आशुतोष तिवारी के नौकर को बसेन गांव से प्रधान बनाया।

इन सीटों पर था विकास का दबदबा : अपराधी विकास दुबे का बिकरू, भीटी, सुजजा निवादा, डिव्वा निवादा, काशीराम निवादा, बसेन सहित आसपास के एक दर्जन ग्राम पंचायतों में दबदबा था।इन ग्राम पंचायतों में विकास दुबे की मर्जी के खिलाफ कोई भी जिला पंचायत प्रत्याशी गांव में प्रवेश नहीं करता था और अगर गांव में पहुंच भी गया तो गैंगस्टर विकास दुबे का इतना आतंक था कि किसी भी प्रत्याशी से ग्रामीण बात नहीं करते थे और प्रत्याशी को उलटे पैर वापस होना पड़ता था।

लेकिन आज चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी जहां स्वतंत्र होकर वोट मांगते घूम रहे हैं, वहीं मतदाता भी अपनी इच्छा अनुसार मतदान करने को स्वतंत्र दिखाई पड़ रहे हैं और खुलकर चौराहों पर बैठ राजनीतिक बातें करते दिख रहे हैं।

क्या बोले गांव के लोग : गांव में अभी भी विकास की दहशत देखी जा सकती है।सीधे तौर पर यहां पर कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है।लेकिन इन सबके बीच गांव में रहने वाले राम कुमार ने फोटो न छापने की बात कहते हुए बताया कि 25 साल के बाद हम लोगों को वोट करने का मौका मिल रहा है।अभी तक विकास दुबे के कहने पर वोट देते थे।सबसे बड़ी बात थी कि कोई भी उनके परिवार के खिलाफ न तो कोई चुनाव लड़ता था और न ही उनके खिलाफ कोई बोलता था।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

COVID-19 : भारत में सबसे कम 85 दिनों में 10 करोड़ से ज्यादा टीके लगाए गए, अमेरिका और चीन को पीछे छोड़ा