नई दिल्ली। बलात्कार के आरोप में गिरफ्तारी से बच रहे उत्तरप्रदेश के मंत्री गायत्री प्रजापति सोमवार को उच्चतम न्यायालय से किसी प्रकार की राहत पाने में विफल रहे। लेकिन न्यायालय ने इस बात पर अप्रसन्नता व्यक्त की कि सपा नेता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के उसके आदेश को ‘राजनीतिक रंग’ दिया जा रहा है।
न्यायमूर्ति ये के सिकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि उसने सिर्फ कथित सामूहिक बलात्कार और एक महिला और उसकी पुत्री से बलात्कार के प्रयास के आरोप के मामले में प्रजापति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है और वह इन मामलों की निगरानी नहीं कर रहा है।
शीर्ष अदालत ने प्रजापति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश वापस लेने के लिए उनकी याचिका निरस्त करते हुए कहा कि उचित राहत के लिए मंत्री संबंधित अदालत में जा सकते हैं।
न्यायालय ने 17 फरवरी को उप्र पुलिस को समाजवादी पार्टी के नेता गायत्री प्रजापति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने पुलिस को इस मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट 8 सप्ताह में शीर्ष अदालत को सीलबंद लिफाफे में सौंपने का भी निर्देश दिया था।
पीठ ने कहा कि हमने तो सिर्फ इन मामलों में एक प्राथमिकी दर्ज करने और जांच करने का निर्देश दिया है परंतु अब इस आदेश को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
पीठ ने कहा कि पुलिस को इस मामले की जांच करने दीजिए और वे जो कुछ भी कहना चाहे कहें। प्रजापति के विरोधियों में उन पर तथा उनकी पार्टी पर हमला करने के लिए राज्य में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान इस मुद्दे का इस्तेमाल किया है। प्रजापति का आरोप है कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है, क्योंकि शिकायतकर्ता भाजपा से संबद्ध है। (भाषा)