लखनऊ। समाजवादी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ चल रहे सामूहिक बलात्कार के मामले में शुक्रवार को सांसद/विधायक अदालत ने गायत्री समेत 3 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और प्रत्येक दोषी पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक शुक्रवार को सांसद/विधायक अदालत के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने सामूहिक दुष्कर्म मामले में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति और उनके दो साथियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई तथा प्रत्येक दोषी पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।
इस दौरान अदालत में गायत्री और दो अन्य दोषी मौजूद थे जिन्हें सजा काटने के लिए जेल भेज दिया गया। विशेष न्यायाधीश ने बुधवार को गायत्री समेत तीन लोगों को मामले में दोषी करार दिया था और सजा पर फैसला शुक्रवार को सुनाने की बात कही थी।
अदालत ने जिन लोगों को सजा सुनाई है, उनमें गायत्री प्रजापति के अलावा आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी शामिल हैं। अदालत ने तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (डी) (सामूहिक दुराचार) और पॉक्सो कानून के तहत अपराध करने का दोषी पाया।
इससे पहले, गायत्री और अन्य आरोपियों के अधिवक्ता ने सजा देने में नरमी के लिए अदालत के समक्ष याचिका दायर की थी, लेकिन अभियोजन पक्ष ने इस याचिका का जोरदार विरोध किया और तर्क दिया कि गायत्री प्रजापति ने जब अपने सहयोगियों के साथ अपराध किया था तब वह राज्य सरकार में मंत्री थे और यदि कोई व्यक्ति इस तरह के जिम्मेदार पद पर रहकर इस तरह का अपराध करता है और अपनी शक्ति का दुरुपयोग करता है तो समाज को संदेश देने के लिए अदालत को उससे सख्ती से निपटना चाहिए।
न्यायाधीश ने गायत्री प्रजापति, आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को दोषी ठहराते हुए मामले के चार अन्य आरोपियों- विकास वर्मा, रूपेश्वर, अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू और चंद्रपाल को सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया था। अभियोजन पक्ष ने मामले में 17 गवाह पेश किए थे।
गौरतलब है कि 18 फरवरी, 2017 को उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य के खिलाफ थाना गौतम पल्ली में सामूहिक दुराचार, जान से मारने की धमकी व पॉक्सो कानून के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था।
पीड़ित महिला ने दावा किया था कि बलात्कार की घटना पहली बार अक्टूबर 2014 में हुई थी और जुलाई 2016 तक जारी रही तथा जब आरोपी ने उसकी नाबालिग बेटी से छेड़छाड़ करने की कोशिश की, तो उसने शिकायत दर्ज करने का फैसला किया। 18 फरवरी, 2017 को प्राथमिकी दर्ज होने के बाद प्रजापति को मार्च में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में ही थे।(भाषा)