फर्रुखाबाद में बच्चों की मौत, कलेक्टर पर गिरी गाज
फर्रुखाबाद। , सोमवार, 4 सितम्बर 2017 (12:45 IST)
सांकेतिक चित्र
उत्तरप्रदेश सरकार ने गोरखपुर के बाद फर्रुखाबाद में 49 बच्चों की मृत्यु पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और डाक्टर्स के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर जिलाधिकारी, सीएमओ और सीएमएस को हटा दिया।
फर्रुखाबाद के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी की वजह से 30 दिन में 49 बच्चों की असामयिक मृत्यु होने के बाद सरकार हरकत में आई और रिपोर्ट दर्ज कराने के साथ ही जिलाधिकारी, सीएमओ और सीएमएस को तत्काल प्रभाव से हटा दिया। पूरे मामले की मजिस्ट्रेटी जांच के भी आदेश दिए गए हैं।
फर्रुखाबाद के पुलिस अधीक्षक दयानन्द मिश्र ने बताया कि नगर मजिस्ट्रेट जैनेन्द्र कुमार जैन ने सीएमओ, सीएमएस और डॉप्टर्स के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 173, 188 और गैर इरादतन हत्या की धारा 304 के तहत कोतवाली नगर में रिपोर्ट दर्ज कराई।
मिश्र ने बताया कि जैन द्वारा दी गई तहरीर में कहा गया है कि बच्चों के परिजनों से की गई बातचीत से ऑक्सीजन की कमी की वजह से बच्चों की मृत्यु के तथ्य उभरकर सामने आए हैं। परिजनों का साफ कहना था कि मृत्यु की वजह ऑक्सीजन की कमी रही है।
उन्होंने बताया कि रिपोर्ट दर्ज कर जांच की जा रही है। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उधर, राज्य सरकार ने विज्ञप्ति जारी कर शिशुओं की मृत्यु पर चिंता व्यक्त करते हुए जिम्मेदार कार्मिकों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने की बात कही है।
उन्होंने कहा है कि शासन स्तर से उच्चस्तरीय टीम भेजकर घटना की तथ्यात्मक एवं तकनीकी छानबीन कराई जाएगी ताकि बच्चों की मृत्यु की वस्तुस्थिति का पता चल सके।
प्रवक्ता ने कहा कि घटना को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने फर्रुखाबाद के जिलाधिकारी तथा मुख्य चिकित्साधिकारी और जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को स्थानांतरित करने के निर्देश दिए हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि गत 20 जुलाई से 21 अगस्त के बीच जिला महिला चिकित्सालय फर्रुखाबाद में प्रसव के लिए 461 महिलाएं भर्ती हुईं, उन्होंने 468 बच्चों को जन्म दिया। इनमें 19 बच्चे स्टिलबॉर्न (पैदा होते ही मृत्यु हो जाना) थे। शेष 449 बच्चों में से जन्म के समय 66 क्रिटिकल बच्चों को न्यू बॉर्न केयर यूनिट में भर्ती कराया गया, जिनमें से 60 बच्चों की रिकवरी हुई, शेष 6 बच्चों को बचाया नहीं जा सका।
इसके अलावा, 145 बच्चे विभिन्न चिकित्सकों एवं अस्पतालों से जिला महिला अस्पताल, फर्रुखाबाद के लिए रेफर किए गए, जिनमें से 121 बच्चे इलाज से स्वस्थ हो गए। इस प्रकार 20 जुलाई से 21 अगस्त के बीच 49 नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई, जिसमें 19 स्टिलबॉर्न बच्चे भी हैं।
मीडिया में खबर आने के बाद जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी की अध्यक्षता में समिति बनाकर जांच कराई। समिति के निष्कर्षों से संतुष्ट न होने के बाद जिलाधिकारी द्वारा अपर जिलाधिकारी से मजिस्ट्रेटी जांच कराई गई, जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
डायरेक्टर जनरल मेडिकल हेल्थ ने बताया कि पैरीनेटल एस्फिक्सिया के कई कारण हो सकते हैं। मुख्यतः प्लेसेंटल ब्लड फ्लो की रुकावट भी हो सकती है। सही कारण तकनीकी जांच के माध्यम से ही स्पष्ट हो सकता है। प्रवक्ता ने कहा कि शासन स्तर से टीम भेजकर जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं ताकि बच्चों की मृत्यु के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके। (वार्ता)
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