बीएचयू में काली पट्टी बांधकर निकाला गया शांतिमार्च

Webdunia
रविवार, 24 सितम्बर 2017 (18:54 IST)
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में शनिवार रात हुए उपद्रव के विरोध में चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. वीके शुक्ला के नेतृत्व में रविवार दोपहर में संस्थान के प्रोफेसरों, सर सुंदरलाल अस्पताल के चिकित्सकों, नर्सों एवं अन्य कर्मचारियों ने हाथों में काली पट्टी बांधकर शांतिमार्च निकाला।
 
संस्थान के कर्मचारियों का शांतिमार्च बीएचयू के मालवीय भवन से प्रारंभ होकर सिंहद्वार तक निकाला गया। इसके बाद लंका स्थित मालवीयजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद परिसर में शांति बहाली की प्रार्थना की गई।
 
मार्च में शामिल लोगों ने परिसर में छेड़खानी और लाठीचार्ज की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण घटना करार देते हुए कहा कि मुख्य द्वार को बंद करके धरना प्रदर्शन करना अनुचित है। परिसर में कुछ अराजक तत्व पठन-पाठन के माहौल को खराब करने का प्रयास कर रहे हैं, जो घृणित है।
 
सर सुंदरलाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ओपी उपाध्याय ने कहा कि छेड़खानी और हिंसा दोनों गलत हैं। मुख्य द्वार बंद कर देने से दूरदराज से इलाज को अस्पताल आने वाले गंभीर मरीजों को मुश्किलों का सामना करने के साथ ही जान का खतरा बढ़ जाता है। 
 
संस्थान 2 अक्टूबर तक बंद रहेगा : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में छेड़खानी की घटनाओं के विरोध में धरना प्रदर्शन और पुलिस की कार्रवाई के बाद बीती रात पूरा परिसर छावनी में तब्दील हो गया था लेकिन अब वहां स्थिति सामान्य है और संस्थान को 2 अक्टूबर तक बंद रखने का फैसला किया गया है।
 
शनिवार रात कुलपति आवास के पास पहुंचे छात्र और छात्राओं पर कथित तौर पर लाठीचार्ज किया गया जिसमें कुछ विद्यार्थी घायल हो गए। छात्राओं का कहना है कि पुलिस ने उन पर भी लाठीचार्ज किया। इसके बाद छात्रों का गुस्सा भड़क उठा और उन्होंने सुरक्षाकर्मियों पर पथराव शुरू कर दिया। सभी विद्यार्थी संस्थान में बृहस्पतिवार को हुई कथित छेड़खानी की घटना के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे थे।
 
बहरहाल, भेलूपुर के क्षेत्राधिकारी ने बताया कि अब परिसर में स्थिति सामान्य है। ऐसी घटना फिर से न हो, उसके लिए पुलिस विश्वविद्यालय परिसर में गश्त कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि दोषियों को जल्द ही चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
 
विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी राजेश सिंह ने बताया कि कुलपति ने हालात के मद्देनजर तत्काल प्रभाव से विश्वविद्यालय को 2 अक्टूबर तक बंद रखने का ऐलान किया है। उन्होंने घटना की जांच के लिए एक समिति का गठन भी किया है।
 
उन्होंने कहा कि कुछ बाहरी अराजक तत्व हैं, जो विद्यार्थियों की आड़ लेकर संस्थान की गरिमा को धूमिल करना चाहते हैं। सिंह ने बताया कि पुलिस प्रशासन विश्वविद्यालय में मौजूद है। हालात फिलहाल नियंत्रण में है। उन्होंने आशंका जताई कि घटनाओं के मद्देनजर पुलिस प्रशासन कुछ छात्रावासों को खाली भी करा सकती है।
 
शनिवार को परिसर में हिंसा और तनाव को देखते हुए 25 थानों की पुलिस बुलाई गई थी। हालात काबू में करने के लिए परिसर में घुसी पुलिस को छात्रावास के विद्यार्थियों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े, हवा में गोलियां चलाईं।
 
बताया जाता है कि इसी बीच छात्रों ने पेट्रोल बम भी फेंके। हिंसा में जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक सदर, 2 दरोगा तथा 1 सिपाही सहित कई छात्र घायल हो गए। रात के 2 बजते-बजते पूरा विश्वविद्यालय परिसर छावनी में तब्दील हो गया। हालात को काबू में करने के लिए करीब 1,500 पुलिसकर्मियों के साथ पीएसी के जवान एवं जिले के आला पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर उपस्थित हैं।
 
गौरतलब है कि बृहस्पतिवार को संस्थान में कला संकाय की एक छात्रा ने आरोप लगाया कि जब वह अपने छात्रावास लौट रही थी तब परिसर के अंदर मोटरसाइकल पर सवार 3 व्यक्तियों ने उससे कथित तौर पर छेड़खानी की। शिकायत के अनुसार विरोध करने पर वे उसे आपत्तिजनक शब्द कहकर भाग गए। इस घटना को लेकर विद्यार्थियों ने विरोध जताया और उसी दौरान हालात बिगड़ गए। (भाषा) 

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