भगत सिंह कोश्यारी छोड़ना चाहते हैं महाराष्ट्र के राज्यपाल का पद, जानिए क्या बताया कारण

Webdunia
सोमवार, 23 जनवरी 2023 (18:09 IST)
मुंबई। महाराष्ट्र (Maharashtra) के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) ने सोमवार को कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के समक्ष पद छोड़ने की इच्छा जताई है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वे अपने जीवन का बाकी समय पढ़ने-लिखने समेत अन्य गतिविधियों में बिताना चाहेंगे। भगत सिंह कोश्यारी अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। 
 
कोश्यारी ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के हालिया मुंबई दौरे के दौरान मैंने सभी राजनीतिक दायित्यों से मुक्त होने और बाकी जीवन पढ़ने-लिखने एवं अन्य गतिविधियों में बिताने की अपनी इच्छा से उन्हें अवगत कराया।
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During the recent visit of the Hon'ble Prime Minister to Mumbai, I have conveyed to him my desire to be discharged of all political responsibilities and to spend the remainder of my life in reading, writing and other activities.

— Governor of Maharashtra (@maha_governor) January 23, 2023 >
राजभवन की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक राज्यपाल ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री से उन्हें हमेशा प्यार और स्नेह मिला तथा वह उम्मीद करते हैं इस संबंध में भी उन्हें वही स्नेह मिलेगा। प्रधानमंत्री गत 19 जनवरी को कई परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्धाटन के लिए मुंबई में थे।
 
कोश्यारी ने कहा कि राज्य सेवक या राज्यपाल के रूप में संतों, समाज सुधारकों और बहादुर सेनानियों की धरती महाराष्ट्र जैसे महान राज्य की सेवा करना मेरे लिए पूर्ण सम्मान और सौभाग्य की बात है।

विवादित बयान और फैसले : महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के विवाद को जन्म देने वाले बयानों के कालक्रम पर यहां हम एक नजर डाल रहे हैं।
 
पिछले साल नवंबर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कोश्यारी ने कहा था कि छत्रपति शिवाजी महाराज पुराने जमाने के आदर्श थे, जबकि डॉ.आंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी तक आधुनिक आदर्श राज्य में हैं।
 
कोश्यारी ने कहा कि शिवाजी पुराने जमाने के आदर्श हैं। आप आदर्श अब यहां पाएंगे। डॉ. आंबेडकर से नितिन गडकरी तक, आप उन्हें यहां पाएंगे।
 
पिछले साल जुलाई में कोश्यारी ने कहा था कि यदि राजस्थानी और गुजराती समुदाय के लोगों को शहर से निकाल दिया जाए तो मुंबई देश की वित्तीय राजधानी नहीं रह जाएगी। इस बयान पर कई विपक्षी दलों ने कोश्यारी की आलोचना की। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह उन्हें प्रसिद्ध कोल्हापुरी चप्पल दिखाने का समय है।
 
मुंबई विश्वविद्यालय में नई इमारत का उद्घाटन करते समय कोश्यारी ने विश्वविद्यालय के कुलपति से अनुरोध किया था कि अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के नए छात्रावास का नाम स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर रखें।
 
ओरंगाबाद में पिछले साल मार्च में एक कार्यक्रम के दौरान कोश्यारी ने समर्थ रामदास को छत्रपति शिवाजी महाराज का ‘गुरु’ बताया था।
 
कोश्यारी ने कहा था कि कई महाराजा और चक्रवर्ती सम्राट इस धरती पर पैदा हुए थे। लेकिन अगर चाणक्य न होते तो चंद्रगुप्त के बारे में कौन पूछता? अगर समर्थ (रामदास) न होते तो छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में कौन पूछता? 
 
पिछले साल मार्च में कोश्यारी का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वे सामाजिक कार्यकर्ता ज्योतिराव फूले और सावित्रीबाई फूले के बाल विवाह का मजाक उड़ाते दिखे। सावित्रीबाई का 10 साल की उम्र में ज्योतिराव से विवाह हुआ था जिनकी उम्र तब 13 साल थी।
 
महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कोश्यारी पर आरोप लगाया था कि वे हद से अधिक सक्रियता दिखा रहे हैं और इशारा किया था कि राज्यपाल राज्य सरकार की सिफारिश के बावजूद राज्य विधान परिषद की रिक्त 12 सीट को नहीं भर रहे हैं।
 
2019 में भाजपा-शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी घमासान के बीच कोश्यारी ने स्तब्ध कर देने वाले शपथ ग्रहण समारोह में देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। भाषा  Edited by Sudhir Sharma

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