देश में कई लोग 13 नंबर को अशुभ मानते हैं लेकिन बाल ठाकरे Bal Thackeray के लिए यह उनकी पसंदीदा संख्या थी। ठाकरे जी का 86 साल की उम्र में निधन हो गया था। उनकी शादी 13 जून 1948 को हुई थी और उन्होंने साप्ताहिक कार्टून पत्रिका मार्मिक की शुरूआत 13 अगस्त 1960 को की थी।
बाल ठाकरेBal Thackeray के संबंध में यह जानकारी एक आने वाली किताब बाल ठाकरे : राइज ऑफ शिव सेना में दी गई है। मुंबई के पत्रकार वैभव पुरंदरे इसके लेखक हैं।
बाल ठाकरे हालांकि अंक शास्त्र में भरोसा नहीं करते थे लेकिन वह ऐसी संख्या पसंद करते थे जिसका जोड़ नौ आता हो। संयोग की बात है कि उनका निधन दोपहर बाद 3 बजकर 33 मिनट पर हुआ। इस संख्या का जोड़ भी नौ आता है। इस किताब में उस घटना का जिक्र किया गया है जब ठाकरे ने एक मराठी अखबार की नौकरी तीन बार छोड़ी थी, जहां वह काटूर्निस्ट के तौर पर काम करते थे। पहली बार उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी क्योंकि उन्हें बैठने के लिए जो सीट दी गई थी, वह टेलीफोन के पास थी। टेलीफोन के लगातार बजते रहने से उनका ध्यान भंग होता था।
दूसरी बार उन्होंने तब नौकरी छोड़ दी थी जब अभिव्यक्ति की उनकी स्वतंत्रता पर रोक लग गई थी। एसके पाटिल और मीनू मसानी जैसे बड़े लोगों का कार्टून बनाने से उन्हें मना कर दिया गया था। उन दिनों कांग्रेस नेता पाटिल मुंबई के सर्वाधिक प्रभावशाली नेता में से थे।
तीसरी बार ठाकरे ने उस समय नौकरी छोड़ी, जब अखबार के अन्य पत्रकारों के साथ मिलकर उन्होंने एक दैनिक शुरू करने का फैसला किया। पुस्तक में ठाकरे की विभिन्न पसंदों का भी जिक्र किया गया है। उन्हें ठंडी बीयर पसंद नहीं थी हालांकि सिगार के वह शौकीन थे।
जब शरद पवार उन्हें देखने अस्पताल गए थे तो ठाकरे ने अपने चिर-परिचित मजाकिया अंदाज में उनसे कहा था, मेरी प्रेमिका मेरी साथ नहीं है। इस प्रेमिका से उनका मतलब सिगार से था। बीमारी के कारण ठाकरे को धूम्रपान करने से मना कर दिया गया था।
हिन्दुत्व की बात करने वाले ठाकरे को अपने मुस्लिम डॉक्टर जलील पारकर में पूरा भरोसा था। पुस्तक के अनुसार, डॉ. पारकर कहते हैं कि Bal Thackeray काफी दयालु व्यक्ति थे और जीवन से भरपूर ठाकरे को प्रकृति से विशेष प्रेम था।