असम में 1.9 करोड़ लोगों की नागरिकता पर पक्की मुहर

Webdunia
सोमवार, 1 जनवरी 2018 (11:17 IST)
गुवाहाटी। नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) का पहला ड्राफ्ट सोमवार को जारी कर दिया गया है। इसमें असम के 3.29 करोड़ लोगों में से 1.9 करोड़ लोगों को जगह दी गई है, जिन्हें कानूनी रूप से भारत का नागरिक माना गया है। बाकी नामों को लेकर विभिन्न स्तरों पर वेरिफिकेशन की जा रही है।
 
 
यह जानकारी रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया शैलेष ने आधी रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी, जहां उन्होंने पहले ड्राफ्ट की कॉपी भी दिखाई। शैलेष ने कहा, 'यह पहला ड्राफ्ट है। इसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम हैं, जिनका वेरिफिकेशन हो गया है। जैसे ही वेरिफिकेशन का काम पूरा होता जाएगा, वैसे ही हम अन्य ड्राफ्ट भी लाएंगे।'
 
एनआरसी के स्टेट कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने कहा कि जिन लोगों का नाम पहली लिस्ट में नहीं है, उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, 'नामों का वेरिफिकेशन एक लंबी प्रक्रिया है। ऐसे में संभावना है कि इसमें कई ऐसे नाम भी छूट गए हों जो एकल परिवार से आते हैं। बाकी डॉक्युमेंट्स का वेरिफिकेशन किया जा रहा है, ऐसे में लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है।' 
 
जब अगले ड्राफ्ट की समय सीमा को लेकर सवाल पूछा गया तो रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने कहा कि इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के हिसाब से होगा। स्टेट कॉर्डिनेटर हजेला ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया को साल 2018 में पूरा कर लिया जाएगा।
 
गौरतलब है कि आवेदन की प्रक्रिया मई 2015 में शुरू हुई थी, जिसमें पूरे असम के 68.27 लाख परिवारों से 6.5 करोड़ दस्तावेज आए थे। हजेला ने बताया कि इसका फाइनल ड्राफ्ट आने के बाद ही शिकायतों को भी जगह दी जाएगी। क्योंकि बचे हुए नाम आखिरी ड्राफ्ट में आ सकते हैं। 
 
पूरे असम में एनआरसी के सेवा केंद्रों पर पहले ड्राफ्ट में लोग अपने नाम चेक कर सकते हैं। इसके अलावा ऑनलाइन और एसएमएस सेवा से भी वे अपने नाम चेक कर सकते हैं। 
 
आरजीआई ने बताया कि इस प्रक्रिया के लिए 2013 से काम चल रहा है। पिछले तीन सालों में करीब 40 सुनवाई हो चुकी हैं। यह कदम राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दरअसल, यहां सिटिजनशिप और अवैध प्रवासियों का मुद्दा राजनीतिक रूप ले चुका है। 
 
भाजपा के लिए एनआरसी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका इस्तेमाल चुनावी भाषणों के वक्त अवैध प्रवास की वजह से असम की खोने वाली पहचान को सुरक्षित रखने के नाम पर किया गया था। यह एक ऐसा पैंतरा था जो 2016 के चुनाव में जीत हासिल करने में मददगार साबित हुआ था। (भाषा)
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