जयपुर। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) हल्दीघाटी में लगी वे विवादास्पद पट्टिकाओं (बोर्ड) को हटाने जा रहा है, जिनके अनुसार हल्दीघाटी के ऐतिहासिक युद्ध में महाराणा प्रताप की सेनाएं पीछे हट गई थीं।
एएसआई ने अपनी राज्य इकाई को इन विवादास्पद पट्टिकाओं को हटाने का निर्देश दिया है। अनेक राजपूत व लोक संगठन लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे।
केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने एएसआई के इस बारे में आदेश जारी किए जाने की पुष्टि की है। मेघवाल ने कहा कि हां, आदेश जारी कर दिए गए हैं। जो सही है, वह लिखा जाना चाहिए।
एएसआई के जोधपुर सर्किल के अधीक्षक बिपिन चंद्र नेगी ने कहा कि विभाग को उक्त पट्टिकाओं को हटाने के आदेश मिल गए हैं। ये 40 से भी अधिक साल पुरानी हैं। इनपर अंकित शब्द भी धुंधले हो गए हैं। ये बोर्ड एएसआई के नहीं हैं। उन्हें राज्य के पर्यटन विभाग ने लगाया था और एएसआई ने 2003 में इस जगह का रखरखाव शुरू किया। इसलिए इनकी जगह पर नये बोर्ड लगाए जाएंगे। हल्दीघाटी राज्य के राजसमंद जिले में है।
उन्होंने कहा कि चाहे वह युद्ध की तारीख हो या अन्य बहस योग्य विवाद, एएसआई उनका सत्यापन करेगी और तथ्यात्मक आधार पर प्रमाणित सूचनाएं लगाएगी। इतिहास व पुरातत्व में कई बुनियादी अंतर हैं जिनका ध्यान रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि पुराने पट्टों (पट्टिकाओं/ बोर्ड) को जल्द ही हटा दिया जाएगा। निविदा जारी करने के बाद नए पट्ट लगाए जाएंगे। नए पट्ट लगाने का उद्देश्य इस जगह व घटना की महत्ता को रेखांकित करना है।
गौरतलब है कि उक्त पट्ट 1970 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की यात्रा के दौरान राज्य के पर्यटन विभाग ने लगाए थे। महाराणा प्रताप व अकबर की सेनाओं के बीच हल्दीघाटी का युद्ध 1576 में लड़ा गया था। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबों में हल्दीघाटी की लड़ाई की तारीख 18 जून 1576 है जबकि पट्टिकाओं पर यह 21 जून 1576 लिखी गई है।
उदयपुर के मीरा गर्ल्स कॉलेज में इतिहास के प्रोफेसर चंद्रशेखर शर्मा ने कहा कि इससे आने वाली पीढ़ियों को सही जानकारी मिलेगी। 40 साल से अधिक समय से एक गलत धारणा बनी हुई थी। मैंने लोगों को गलत जानकारी दिए जाने पर आपत्ति जताई थी। अब इसे हटा दिया जाएगा और सही जानकारी दी जाएगी। (भाषा)