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आर्सेनिक मुक्त सस्ता पानी मुहैया कराने का अभियान

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उमेश चतुर्वेदी

भारत में आर्सेनिक युक्त पानी का खतरा बढ़ता जा रहा है। खासकर गंगा नदी के किनारे वाले इलाकों के भूजल में आर्सेनिक युक्त पानी ने लोगों की जिंदगी दुश्वार कर दी है। पश्चिम बंगाल के उत्तर चौबीस परगना, नदिया, मुर्शिदाबाद और मिदिनापुर पश्चिम जिलों में गांव के गांव आर्सेनिक से प्रभावित हैं। इन गांवों के लिए जानी-मानी सामाजिक संस्था सुलभ इंटरनेशनल मसीहा बनकर आई है। बांग्लादेश सीमा के नजदीक स्थित बनगांव में अब उसने आर्सेनिक मुक्त सस्ता पानी उपलब्ध कराने की शुरुआत कर दी है। इसके लिए संस्था ने यहां के इस्कॉन मंदिर में पानी सफाई का संयंत्र लगाया है। इस संयंत्र का उद्घाटन सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक और भारतीय रेल के स्वच्छता अभियान के ब्रांड एंबेसडर डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक ने 29 मार्च को जब किया तो वहां उपस्थित लोगों की उत्सुकता देखते ही बन रही थी।
 
बनगांव का इस्कॉन मंदिर नावभंगा नदी के ठीक किनारे स्थित है। यहां 1918 में कृष्ण भक्त कवि हरिदास आकर रहने लगे थे और कृष्ण मंदिर की उन्होंने स्थापना की थी। इलाके की सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों का यह मंदिर प्रमुख केंद्र है। 1977 में इसे इस्कॉन ने अपना लिया। तब से यह इस्कॉन के जिम्मे है। इसके बावजूद इस मंदिर में भी लोग नावभंगा नदी का पानी पीने के लिए मजबूर थे। अब सुलभ ने अपना पानी का संयंत्र स्थापित करके ना सिर्फ इस मंदिर, बल्कि इलाके के लोगों को नया जीवन दिया है। इसके लिए पानी सफाई संयंत्र मंदिर परिसर स्थित एक छोटे कुएं में लगाया गया है। सुलभ के संस्थापक डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक कहते हैं कि इस संयंत्र से भी लोग नदी का ही पानी पीएंगे, क्योंकि नदी का और कुएं का भूजल स्तर नजदीक होने के चलते समान है और कुएं में भी तो नदी का ही पानी जाएगा।
 
बनगांव बमुश्किल बांग्लादेश सीमा स्थित चेकपोस्ट हरिदासपुर से बमुश्किल पांच मिनट की दूरी पर है। इलाके में सड़क अच्छी है, फसल भी अच्छी है और हरियाली भी है, लेकिन पीने का पानी साफ नहीं है। इसके चलते स्थानीय लोगों को चर्मरोग, पेट की बीमारियों आदि से जूझना पड़ रहा है। उम्मीद की जा रही है कि सुलभ के संयंत्र से स्वच्छ पानी मिलना शुरू होने के बाद लोगों को कई बीमारियों से राहत मिलेगी। बिंदेश्वर पाठक का दावा है कि उनके संयंत्र से साफ हो रहा पानी सबसे सस्ता है, जो कि लोगों को कुछ पैसे प्रति लीटर की दर से मुहैया कराया जाएगा।
 
सुलभ दो साल पहले से ही उत्तर चौबीस परगना जिले के आदर्श गांव मधुसूदन कांटी में पानी को आर्सेनिक मुक्त करने का संयंत्र चला रहा है। इस संयंत्र से यहां के करीब दो हजार निवासियों को रोजाना स्वच्छ पानी महज कुछ पैसे लीटर की कीमत पर मिल रहा है। इस संयंत्र के लगने से पहले तक यहां के कैंसर रोगियों तक का कैंसर अपने आप ठीक हो गया है। पहले उन्हें इसके इलाज के लिए मारा-मारा फिरना पड़ता था। पैसे का खर्च अलग था। बनगांव में पानी संयंत्र के उद्घाटन के ठीक पहले जब बिंदेश्वर पाठक मधुसूदन कांटी पहुंचे तो लोगों का हुजूम उनके स्वागत में उमड़ पड़ा। पानी स्वच्छ करने के अभियान की कामयाबी के पीछे डॉक्टर पाठक का हाथ होने से लोग कृतज्ञ महसूस करते हैं। मधुसूदन कांटी के संयंत्र को बड़ा बनाया जा चुका है। यहां दफ्तर भी बन गया है। डॉक्टर पाठक कहते हैं कि स्थानीय पंचायत के सहयोग से इस काम को और आगे बढ़ाए जाने में मदद मिलेगी।
 
सुलभ को पानी साफ करने की यह तकनीक फ्रांस की संस्था 1001 फाउंटेन ने मुहैया कराई है। इस तकनीक के जरिए सुलभ पश्चिम बंगाल के पांच जिलों उत्तर चौबीस परगना, दक्षिण चौबीस परगना, पश्चिम मिदिनापुर, मुर्शिदाबाद और नदिया जिले में पानी शोधन का संयत्र चला रहा है। ये सभी संयंत्र पानी से आर्सेनिक मुक्ति का काम कर रहे हैं, लेकिन अब सुलभ इससे भी आगे बढ़ रहा है। पश्चिम मिदिनापुर जिले के गांवों के भूजल में हानिकारक जीवाणु के साथ ही अत्यधिक मात्रा में आयरन पाया गया है। सुलभ ने ऐसे ही एक गांव में जीवाणु और आयरन मुक्त पानी का संयंत्र लगाया है। इसके उद्घाटन के मौके पर स्थानीय माइन आर्ट यानी पुतला बनने का भी दर्शन हुआ। एक व्यक्ति प्यासा बना पानी के लिए पुतला बना हुआ था। उसे ही पानी पिलाकर इस संयंत्र का उद्घाटन हुआ।
 
आर्सेनिक से पूर्वी उत्तर प्रदेश का बलिया, बिहार का आरा और छपरा भी प्रभावित है। आर्सेनिक के असर से इन जिलों में भी लोग तमाम बीमारियों से जूझ रहे हैं। हालिया विधानसभा चुनाव में बलिया में आर्सेनिक मुक्त पानी मुहैया कराना भी एक मुद्दा था। उम्मीद की जानी चाहिए कि स्थानीय प्रशासन और सरकारें भी सुलभ के प्रयासों से प्रेरणा लेंगी।
(बांग्लादेश की सीमा स्थित बनगांव से लौटकर)

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