गठबंधन में दरार पर बोले अखिलेश, अगर रास्ते अलग-अलग हैं तो उसका भी स्वागत है

Webdunia
मंगलवार, 4 जून 2019 (14:33 IST)
गाजीपुर/लखनऊ। गठबंधन को फिलहाल 'होल्ड' पर रखने के बसपा प्रमुख मायावती के एलान के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी मंगलवार को अपनी राह अलग करने का संकेत देते हुए कहा कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर अकेले उपचुनाव लड़ेगी। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि इस बेमेल गठबंधन का यही अंजाम होना था।
 
अखिलेश ने गाजीपुर के करंडा स्थित सलारपुर में पिछले दिनों कत्ल हुए सपा कार्यकर्ता विजय यादव के घर शोक संवेदना व्यक्त करने के बाद संवाददाताओं से कहा, 'अगर गठबंधन टूटा है, या गठबंधन के बारे में जो बात रखी गई है, तो मैं उन पर बहुत सोच समझकर विचार करूंगा।' 
 
उन्होंने कहा, 'जब उपचुनाव में हमारा गठबंधन है ही नहीं तो हम अपनी तैयारी करेंगे। सपा भी 11 सीटों पर पार्टी के वरिष्ठ लोगों से राय मशविरा करके अकेले चुनाव लड़ेगी। अगर रास्ते अलग—अलग हैं तो उसका भी स्वागत है।' 
 
सपा अध्यक्ष ने यह भी कहा, 'इस समय हमारे लिये गठबंधन जरूरी नहीं है। हमारे जिस कार्यकर्ता की हत्या हुई, उसके परिवार को क्या न्याय मिलेगा, यह ज्यादा जरूरी है।' 
 
इससे पहले, अखिलेश ने आजमगढ़ में कहा, '2022 में उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार बनेगी। यही हमारी रणनीति है।' पूर्व मुख्यमंत्री का यह बयान बसपा प्रमुख मायावती द्वारा सपा के साथ गठबंधन को फिलहाल रोकने के निर्णय के मद्देनजर खासे मायने रखता है।
 
मालूम हो कि बसपा प्रमुख मायावती ने सोमवार को नयी दिल्ली में लोकसभा चुनाव परिणामों को लेकर हुई समीक्षा बैठक में उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव अपने दम पर लड़ने का निर्णय लिया। उसके बाद सपा—बसपा गठबंधन टूटने की अटकलें तेज हो गई थीं।
 
मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव में सपा का बेस वोट यानी यादव समाज अपनी बहुल सीटों पर भी सपा के साथ पूरी मजबूती से टिका नहीं रह सका। उसने भीतरघात किया और यादव बहुल सीटों पर सपा के मजबूत उम्मीदवारों को भी हरा दिया।
 
उन्होंने कहा कि अखिलेश और उनकी पत्नी डिम्पल यादव से उनके व्यक्तिगत रिश्ते अपनी जगह हैं लेकिन खासकर कन्नौज में डिम्पल, बदायूं में धर्मेन्द्र यादव और फिरोजाबाद में अक्षय यादव का हार जाना हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है।
 
बसपा प्रमुख ने कहा, 'सपा में लोगों में काफी सुधार लाने की जरूरत है। बसपा कैडर की तरह किसी भी स्थिति के लिये तैयार रहने के साथ—साथ भाजपा की नीतियों से देश और समाज को मुक्ति दिलाने के लिये संघर्ष करने की सख्त जरूरत है, जिसका मौका सपा ने इस चुनाव में गंवा दिया।' 
 
मायावती ने कहा कि अगर उन्हें लगेगा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने सियासी कार्य करने के साथ—साथ अपने लोगों को 'मिशनरी' बनाने में कामयाब हुए तो हम लोग जरूर आगे भी मिलकर साथ चलेंगे। अगर वह इसमें सफल नहीं हुए तो हम लोगों का अकेले चलना ही बेहतर होगा। चूंकि प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कभी भी हो सकते हैं, इसलिये हमने अकेले ही यह चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
 
इस बीच, उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि दिखावटी मुहब्बत पर बने इस रिश्ते का यही अंजाम होना था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गठजोड़ देश—प्रदेश की जनता से हो चुका था। जब उस गठजोड़ से यह मौकापरस्त गठबंधन टकराया तो उसका चूर—चूर होना तय था।
 
शर्मा ने कहा कि जब से अखिलेश सपा का नेतृत्व कर रहे हैं, तब से सपा साफ हो गई है। वह गर्त में जा रही है। वह और कितना गर्त में जाएगी, यह तो अखिलेश ही बताएंगे।
 
मालूम हो कि सपा—बसपा—रालोद ने मिलकर पिछला लोकसभा चुनाव लड़ा था, मगर यह गठबंधन ज्यादा कामयाब नहीं हो पाया। इसमें बसपा को 10 और सपा को पांच सीटें ही मिल सकी थीं। वहीं, रालोद का खाता भी नहीं खुल पाया। इस गठबंधन से सपा को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। लोकसभा चुनाव में बसपा ने 38, सपा ने 37 और रालोद ने तीन सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। (भाषा) 

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