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4 साल में 8 नाबालिग आतंकवादी मारे गए कश्मीर में, हुर्रियती नेताओं ने साधी चुप्पी

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सुरेश एस डुग्गर

, सोमवार, 12 अप्रैल 2021 (12:52 IST)
जम्मू। रविवार को 16 घंटों तक चलने वाली मुठभेड़ों में मारे गए 2 नाबालिग आतंकियों की मौतें एक बार फिर कश्मीर में चर्चा का विषय बन चुकी हैं। पिछले 4 सालों में 8 नाबालिग आतंकी कश्मीर में मारे जा चुके हैं जबकि वर्ष 2000 से ही आतंकियों द्वारा नाबालिगों का इस्तेमाल मानव बम के तौर पर आरंभ किया गया था। 
यह पहला मौका नहीं है कि कश्मीर में इतनी कम उम्र के आतंकियों को सुरक्षाबलों ने ढेर किया हो, पर 14 साल के फैजल गुलजार और 17 साल के आसिफ गनई की मौत के बाद कश्मीर में चिंता का विषय यह है कि अगर इतनी कम उम्र के युवक आतंकवाद की राह पर चलना आरंभ हो जाएंगे तो कश्मीर का भविष्य ही खतरे में पड़ जाएगा।

 
वर्ष 2000 के अप्रैल महीने की 21 तारीख को कश्मीर में पहले मानव बम ने कार बम विस्फोट कर अपने आपको उड़ाया था तो यह जानकारी सिहरन पैदा करने वाली थी कि उस मानव बम की उम्र मात्र 18 साल थी और वह 12वीं कक्षा का छात्र था। श्रीनगर के खान्यार का रहने वाला अफाक अमहद शाह खुद मानव बम बना था या फिर बरगलाया गया था, फिलहाल इस रहस्या से पर्दा कभी नहीं उठ पाया।
 
परंतु कल शोपियां में उन 2 आतंकियों की मौत चिंता का विषय बन चुकी है जिनमें से एक की उम्र मात्र 14 साल की थी तो दूसरे की 17 साल। एक 9वीं कक्षा का छात्र था और दूसरा 11वीं कक्षा का। दोनों पिछले साल अगस्त महीने में एकसाथ स्कूल से गायब हुए थे और पिछले हफ्ते उन दोनों की बंदूकों के साथ तस्वीरें सोशल मीडिया पर आईं और कल 16 घंटों की मुठभेड़ में उन्हें मार गिराया गया।

 
मात्र 14 साल की उम्र में बंदूक उठाने वाला फैजल गुलजार कश्मीर का दूसरा सबसे छोटा आतंकी बन गया है। बंदूक के साथ जब उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर फैली थीं तो उसके मासूम चेहरे को देख अधिकतर लोगों का मानना था कि किसी ने यह मजाक किया है और उसके हाथ में खिलौना बंदूक है, पर सच्चाई कुछ और ही थी। कल जब पुलिस ने उसके शव को बाहर निकाला तो सभी के लिए हैरान होना लाजिमी था। इससे पहले वर्ष 2018 के दिसम्बर महीने में मारा गया मुद्दस्सर अहमद पर्रे भी 14 साल का ही था।
 
कश्मीर रेंज के आईजी विजय कुमार भी इस आतंकी की मौत पर हैरान थे, हालांकि उनका कहना था कि इतनी कम उम्र के बच्चों का आतंकवाद के साथ लगाव खतरनाक संकेत दे रहा है जिसे रोकने की खतिर कश्मीरियों को आगे आना होगा। दूसरी ओर गुलजार की मां कहती थी कि उसे बिलकुल जानकारी नहीं थी कि उसका बेटा आतंकवाद की राह पर चला गया है। वह तो उसकी गुमशुदगी को मात्र गुमशुदगी ही मान रही थी।

14 और 17 साल की उम्र के युवकों द्वारा हथियार थाम सुरक्षाबलों से भिड़ जाने की इस घटना के बाद सुरक्षाधिकारियों का चिंता इस बात की है कि आने वाले दिनों में कश्मीर में ऐसे नाबालिग आतंकियों की बाढ़ आ सकती है और जिसे रोका जाना बेहद ही जरूरी है। एक अधिकारी के बकौल, अगर नाबालिग बच्चों के हाथों में बंदूकें थमाने में आतंकवादी और पाकिस्तान कामयाब रहा तो कश्मीर का भविष्य पूरी तरह से तबाह हो जाएगा। फिलहाल इस मुद्दे पर हुर्रियती नेताओं ने चुप्पी साध रखी है।

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