क्या यह सच है कि जहां भी रामायण पाठ होता है वहां हनुमानजी अदृश्य रूप में उपस्थित हो जाते हैं?

अनिरुद्ध जोशी
ऐसा कहा जाता है कि जहां पर भी रामायण का पाठ हो रहा होता है वहां पर हनुमानजी अदृश्य रूप में उपस्थित हो जाते हैं। प्राचीनकाल से ही यह धारणा चली आ रही है। मान लो कि इस वक्त एक ही समय में कई जगह रामायण पाठ हो रहा है तो क्या हनुमानजी सभी जगह एक साथ उपस्थित होंगे?
 
 
दरअसल, रामकथा तो राम के पहले से ही जारी है। सर्वप्रथम श्रीराम की कथा भगवान श्री शंकर ने माता पार्वतीजी को सुनाई थी। उस कथा को एक कौवे ने भी सुन लिया। उसी कौवे का पुनर्जन्म कागभुशुण्डि के रूप में हुआ। काकभुशुण्डि को पूर्व जन्म में भगवान शंकर के मुख से सुनी वह रामकथा पूरी की पूरी याद थी। उन्होंने यह कथा अपने शिष्यों को सुनाई। गरुढ़ भगवान को शंका हुई तो उनको भी काकभुशुण्डि ने यह कथा सुनाई।
ALSO READ: आधुनिक दुनिया में हनुमान चालीसा का क्या महत्व है?
 
फिर यह कथा विभीषण ने सुनाई और फिर हनुमानजी ने यह कथा एक पाषाण पर लिखी। बाद में वाल्मीकिजी ने यह कथा लिखी। फिर यह कथा कई ऋषि-मुनियों और आचार्यों ने लिखी। इस तरह इस कथा का प्रचार-प्रसार हर क्षेत्र और हर भाषा में होता रहा। परंपरा से ही यह प्रचलित है कि जहां भी भक्त भाव से राम कथा का आयोजन होता है हनुमानजी वहां अदृश्य रूप से उपस्थित हो जाते हैं। उनके लिए समय और स्थान किसी भी प्रकार से बाधा नहीं बनता। वह एक ही समय में कई स्थानों की रामकथा सुनने में सक्षम हैं, क्योंकि उन्होंने समय और स्थान का अतिक्रमण कर रखा है।
 
 
काशी में तुलसीदासजी रामकथा कहने लगे। वहां उन्हें एक दिन एक प्रेत मिला, जिसने उन्हें हनुमानजी का पता बताया। प्रेत ने कहा कि जहां भी भक्तिभाव से रामकथा का आयोजन होता है हनुमानजी किसी न किसी रूप में वहां उपस्थित हो जाते हैं। तुलसीदासजी ने पूछा ऐसा कौन सा स्‍थान है और कैसे उन्हें पहचानूंगा। तब प्रेत ने उन्हें वह स्थान और पहचान बता दिया। वहां उन्होंने एक वृद्ध के रूप में बैठे हनुमानजी को देखा और उनके पैरों में गिर पड़े। हनुमानजी से मिलकर तुलसीदासजी ने उनसे श्री रघुनाथजी का दर्शन कराने की प्रार्थना की। हनुमानजी ने कहा- तुम्हें चित्रकूट में रघुनाथजी के दर्शन होंगे। तुलसीदासजी ने चित्रकूट में राम के दर्शन किए।
 
 
इसी तरह ऐसे कई उदाहरण है जिन्हें यहां बताया जा सकता है कि हनुमानजी वहां जरूर उपस्थित हो जाते हैं जहां पूरे मनोभाव, भक्ति भाव और पवित्रता के साथ अखंड रामायण के पाठ का आयोजन होता है। प्राचीनकाल से ही ऐसे कई लोग हुए और आज भी हैं जिनके अनुभव में यह आया है कि रामायण पाठ के स्थल पर हनुमानजी की उपस्थिति रही है।

उल्लेखनीय है कि इसी धारणा के चलते जब भी रामायण का पाठ होता है तो सबसे पहले हनुमानजी के लिए आसन लगाया जाता है और फिर उन्हें वहां बैठने के लिए आमंत्रित किया जाता है।

 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

Shani margi 2024: शनि के कुंभ राशि में मार्गी होने से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

Dev uthani ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये 11 काम, वरना पछ्ताएंगे

शुक्र के धनु राशि में गोचर से 4 राशियों को होगा जबरदस्त फायदा

सभी देखें

धर्म संसार

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर कब, कहां और कितने दीपक जलाएं?

Dev Diwali 2024: देव दिवाली कब है, जानिए पूजा के शुभ मुहूर्त और विधि

Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा पर क्यों करते हैं दीपदान, जानिए इसके 12 फायदे

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

khatu shyam ji birthday: खाटू श्याम अवतरण दिवस पर जानिए उनकी पूजा करने का तरीका

अगला लेख
More