कितने विलक्षण शुभ चिह्न थे भगवान राम के पैर में

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श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदासजी ने मुख्य रूप से श्रीराम के पैर के 5 ही चिह्न का वर्णन किया है- ध्वज, वज्र, अंकुश, कमल और ऊर्ध्व रेखा। किंतु अन्य पवित्र ग्रंथों को मिलाकर देखा जाए तो 48 पवित्र चिह्न मिलते हैं। दक्षिण पैर में 24 और वाम पैर में 24। दिलचस्प तथ्य यह भी है कि जो चिह्न श्रीराम के दक्षिण पैर में हैं वे भगवती सीता के वाम पैर में हैं। और जो चिह्न राम जी के वाम पैर में हैं वे सीता जी के दक्षिण पैर में हैं। पहले जानते हैं श्रीराम के दक्षिण पैर के शुभ चिह्न - 
 
1. ऊर्ध्व रेखा- इसका रंग गुलाबी है। इसके अवतार सनक, सनन्दन, सनतकुमार और सनातन हैं। जो व्यक्ति इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उन्हें महायोग की सिद्धि होती है और वे भवसागर से पार हो जाते हैं।
 
2. स्वस्तिक- इसका रंग पीला है। इसके अवतार श्रीनारदजी हैं। यह मंगलकारक एवं कल्याणप्रद है। इस चिह्न का ध्यान करने वालों को सदैव मंगल एवं कल्याण की प्राप्ति होती है। 
 
3. अष्टकोण- यह लाल और सफेद रंग का है। यह यंत्र है। इसके अवतार श्री कपिलदेवजी हैं। जो व्यक्ति इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उन्हें अष्ट सिद्धियां सुलभ हो जाती हैं।
 
4. श्रीलक्ष्मीजी- इनका रंग अरुणोदय काल की लालिमा के समान है। बहुत ही मनोहर है। अवतार साक्षात लक्ष्मीजी ही हैं। जो लोग इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उन्हें ऐश्वर्य तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है।
 
5. हल- इसका रंग श्वेत है। इसका अवतार बलरामजी का हल है। यह विजयप्रदाता है। जो लोग इसका ध्यान करते हैं, उन्हें विमल विज्ञान की प्राप्ति होती है
 
6. मूसल- इसका रंग धूम्र-जैसा है। अवतार मूसल है। जो व्यक्ति इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उनके शत्रु का नाश हो जाता है।
 
7. सर्प (शेष)- इसका रंग श्वेत है। इसके अवतार शेषनाग हैं। जो लोग इस चिह्न का ध्यान करते हैं, वे भगवान की भक्ति तथा शांत‍ि प्राप्त करने के अधिकारी होते हैं।
 
8. शर (बाण)- इसका रंग सफेद, पीला, गुलाबी और हरा है। इसका अवतार बाण है। इसका ध्यान करने वालों के शत्रु नष्ट हो जाते हैं।

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9. अम्बर (वस्त्र)- इसका रंग नीला और बि‍जली के रंग जैसा है। इसके अवतार वराह भगवान हैं। जो लोग इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उनके भय का नाश हो जाता है।
 
10. कमल- इसका रंग लाल गुलाबी है। इसका अवतार विष्णु-कमल है। इसका ध्यान करने वालों के यश में वृद्धि होती है तथा उनका मन प्रसन्न होता है।
 
11. रथ- यह चार घोड़ों का है। रथ का रंग अनेक प्रकार का होता है तथा घोड़ों का रंग सफेद है। इसका अवतार पुष्पक विमान है। जो व्यक्ति इसका ध्यान करते हैं, उन्हें विशेष पराक्रम की उप‍लब्धि होती है।
 
12. वज्र- इसका रंग बिजली के रंग जैसा है। इसका अवतार इंद्र का वज्र है। जो लोग इसका ध्यान करते हैं, उनके पापों का क्षय होता है तथा बल की प्राप्ति होती है।

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13. यव- इसका रंग श्वेत है। अवतार कुबेर हैं। इससे समस्त यज्ञों की उत्पत्ति होती है। इसके ध्यान से मोक्ष मिलता है, पाप का नाश होता है। यह सिद्धि, विद्या, सुमति, सुगति और संपत्ति का निवास-स्थान है।
 
14. कल्पवृक्ष- इसका रंग हरा है। इसका अवतार कल्पवृक्ष है। जो व्यक्ति इसका ध्यान करता है, उसे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त होता है और सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं। 
 
15. अंकुश- इसका रंग श्याम है। जो व्यक्ति इसका ध्यान करता है, उसे दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है। संसारजनित मल का नाश होता है और मन पर नियंत्रण संभव होता है।
 
16. ध्वजा- इसका रंग लाल है। इसे विचित्र वर्ण का भी कहा जाता है। इसके ध्यान से विजय तथा कीर्ति की प्राप्ति होती है।
 
17. मुकुट- इसका रंग सुनहला है। इसका अवतार दिव्य भूषण है। इसका ध्यान करने वालों को परम पद की प्राप्ति होती है।
 
18. चक्र- इसका रंग तपाए हुए स्वर्ण जैसा है। इसका अवतार सुदर्शन चक्र है। इसका ध्यान करने वाले के शत्रु नष्ट हो जाते हैं।
 
19. सिंहासन- इसका रंग सुनहला है। इसका अवतार श्रीराम का सिंहासन है। जो लोग इसका ध्यान करते हैं, उन्हें विजय एवं सम्मान की प्राप्ति होती है। 
 
20. यमदंड- इसका रंग कांसे के रंग के समान है। इसके अवतार धर्मराज हैं। इस चिह्न के ध्यान करने वालों को यम-यातना नहीं होती है और उन्हें निर्भयता प्राप्त होती है।
 
21. चामर- इसका रंग सफेद है। इसका अवतार श्रीहयग्रीव हैं। जो लोग इसका ध्यान करते हैं, उन्हें राज्य एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। ध्यान में निर्मलता आती है, विकार नष्ट होते हैं तथा चन्द्रमा की ‍चन्द्रिका के समान प्रकाश का उदय होता है।
 
22. छत्र- इसका रंग शुक्ल है। इसका अवतार कल्कि हैं। जो व्यक्ति इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उन्हें राज्य एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। दैहिक, दैविक एवं भौतिक तापों से उनकी रक्षा होती है और मन में दयाभाव आता है।
 
23. नर (पुरुष)- इसका रंग गौर है। इसके अवतार दत्तात्रेय हैं। इसका ध्यान करने से भक्ति, शांति तथा सत्व गुणों की प्राप्ति होती है।
 
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24. जयमाला- यह बिजली के रंग का है अथवा इसका चित्र-विचित्र रंग भी कहा जाता है। जो व्यक्ति इसका ध्यान करते हैं, उनकी भगवद्-विग्रह के श्रृंगार तथा उत्सव आदि में प्री‍ति बढ़ती है।

भगवान श्रीराम के वाम चरण के शुभ चिह्न
 
1. सरयू- इसका रंग श्वेत है। इसके अवतार विरजा-गंगा आदि हैं। जो व्यक्ति इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उन्हें भगवान श्रीराम की भक्ति की प्राप्ति होती है तथा कलि मूल का नाश होता है।
 
2. गोपद- इसका रंग सफेद और लाल है। इसका अवतार कामधेनु है। जो प्राणी इस चिह्न का ध्यान करते हैं, वे पुण्य, भगवद् भक्ति तथा मुक्ति के अधिकारी होते हैं। 
 
3. पृथि‍वी- इसका रंग पीला और लाल है। इसका अवतार कमठ है। जो व्यक्ति इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उनके मन में क्षमाभाव बढ़ता है।
 
4. कलश- यह सुनहला और श्याम रंग का है। इसे श्वेत भी कहा जाता है। इसका अवतार अमृत है। इसका ध्यान करने वालों को भक्ति, जीवन्मुक्ति तथा अमरता प्राप्त होती है। 
 
5. पताका- इसका रंग विचित्र है। इसके ध्यान से मन पवित्र होता है। इस ध्वजा चिह्न से कलि का भय नष्ट होता है। 
 
6. जम्बू फल- इसका रंग श्याम है। इसके अवतार गरूड़ हैं। यह मंगलकारक होता है। इसका ध्यान करने वालों को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 
7. अर्धचन्द्र- इसका रंग उजला है। इसके अवतार वामन भगवान् हैं। जो व्यक्ति इसका ध्यान करते हैं, उनके मन के दोष दूर होते हैं, त्रिविध ताप नष्ट होते हैं, प्रेमाभक्ति बढ़ती है और भक्ति, शांति एवं प्रकाश की प्राप्ति होती है।
 
8. शंख- इसका रंग लाल तथा सफेद है। इसके अवतार वेद, हंस, शंख आदि हैं। इसका ध्यान करने से दंभ, कपट एवं मायाजाल से छुटकारा मिलता है, विजय प्राप्त होती है और बुद्धि का विकास होता है। यह अनाहत-अनहद नाद का कारण है। 
 
9. षट्कोण- इसका रंग श्वेत है, लाल भी कहा जाता है। इसके अवतार श्री कार्तिकेय हैं। इसका जो ध्यान करते हैं, उनके षटविकार- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद एवं मत्सर का नाश होता है। यह यंत्ररूप है। इसका ध्यान षट्संपत्ति- शम, दम, उपरति, तितिक्षा, श्रद्धा एवं समाधान का प्रदाता है। 
 
10. त्रिकोण- यह भी यंत्र रूप है। इसका रंग लाल है। इसके अवतार परशुरामजी और हयग्रीव हैं। इसका ध्यान करने वालों को योग की प्राप्ति होती है।
 
11. गदा- इसका रंग श्याम है। अवतार महाकाली और गदा हैं। इसका ध्यान करने से विजय प्राप्त होती है तथा दुष्टों का नाश होता है।
 
12. जीवात्मा- इसका रंग प्रकाशमय है और अवतार जीव है। इसका ध्यान शुद्धता बढ़ाने वाला होता है।
 
13. बिंदु- इसका रंग पीला तथा अवतार सूर्य एवं माया है। इसका ध्यान करने वाले के वश में भगवान हो जाते हैं, समस्त पुरुषार्थों की सिद्धि होती है और पाप नष्ट हो जाते हैं। इसका स्थान अंगूठा है।
 
14. शक्ति- यह श्वाम-सित-रक्त वर्ण का होता है। इसे लाल, गुलाबी और पीला भी कहा जाता है। इसके अवतार मूल प्रकृति, शारदा, महामाया हैं। इसका ध्यान करने से श्री-शोभा और संपत्ति की प्राप्ति होती है। 
 
15. सुधा कुंड- इसका रंग सफेद एवं लाल है। इसका ध्यान अमरता प्रदान करता है।
 
16. त्रिवली- यह तीन रंग का होता है- हरा, लाल और सफेद। इसके अवतार श्री वामन हैं। इसका चिह्न वेद रूप है। जो व्यक्ति इसका ध्यान करते हैं, वे कर्म, उपासना और ज्ञान से संपन्न हो भक्तिरस का आस्वादन करने के अधिकारी होते हैं।
 
17. मीन- इसका रंग उजला एवं रुपहला होता है। यह काम की ध्वजा है, वशीकरण है। इसका ध्यान करने वाले को भगवान के प्रति प्रेम की प्राप्ति होती है।
 
18. पूर्ण चन्द्र- इसका रंग पूर्णत: श्वेत है तथा अवतार चंद्रमा है। इसका ध्यान करने से मोहरूपी तम तथा तीनों तापों का नाश होता है और मानसिक शांति, सरलता एवं प्रकाश की वृद्धि होती है। 
 
19. वीणा- इसका रंग पीला, लाल तथा उजला है। इसके अवतार श्री नारदजी हैं। इसका ध्यान करने से रा‍ग-रागिनी में निपुणता आती है और भगवान् के यशोगान में सफलता मिलती है। 
 
20. वंशी (वेणु)- इसका रंग चित्र-विचित्र है और अवतार महानाद है। इसका ध्यान मधुर शब्द से मन को मोहित करने में सफलता प्रदान करता है। 
 
21. धनुष- इसका रंग हरा-पीला और लाल है। इसका ध्यान मृत्युभय का निवारण करता है तथा शत्रु का नाश करता है।
 
22. तूणीर- यह चि‍त्र-विचित्र रंग का होता है और इसके अवतार श्री परशुरामजी हैं। इसके ध्यान से भगवान् के प्रति सख्य रस बढ़ता है। ध्यान का फल सप्त भूमि-ज्ञान है। 
 
23. हंस- इसका रंग श्वेत एवं गुलाबी और सर्व रंगमय है। अवतार हंसावतार है। इसके ध्यान से विवेक तथा ज्ञान बढ़ता है। संत-महात्माओं के लिए इसका ध्यान सुखद होता है। 
 
24. चन्द्रिका- इसका रंग सफेद, पीला और लाल है। इसका ध्यान कीर्ति बढ़ाने में सहायक होता है। 
 
इस प्रकार भगच्चरणारविन्द के सभी चिह्न मंगलकारी हैं। भक्त श्री भारतेन्दु हरीश्चंद्रजी ने भी श्री रामचन्द्रजी के इन्हीं 48 चरण चिह्नों का अपने काव्य में वर्णन किया है और कहा है कि श्रीरामजी के दाएं चरण में जो चिह्न हैं, वे श्री जानकीजी के बाएं चरण कमल में हैं और जो चिह्न श्रीरामजी के बाएं चरण में हैं वे श्री जानकीजी के दाएं चरण में हैं।  
 
ये चिह्न समस्त विभूतियों, ऐश्वर्यों तथा भक्ति-मुक्ति के अक्षय कोष हैं। जिन प्राणियों को भगवान श्रीराम के चरण-कमल चिह्नों का ध्यान एवं चिंतन प्रिय है, उनका जीवन वस्तुत: धन्य, पुण्यमय, सफल तथा सार्थक है। भगवान के चरणारविन्द की महिला उनके चिह्नों की कल्याणकारी विशिष्ट गरिमा से समन्वित है। ये चरण चिह्न संत-महात्माओं तथा भक्तों के लिए सदैव सहायक और रक्षक हैं। भक्तमाल में महात्मा नाभदासजी ने इस बात को रेखांकित किया है- 
 
सीतापति पद नित बसत एते मंगलदायका।
चरण चिह्न रघुबीर के संतन सदा सहायका।।
 
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