- कपिल भट्ट, जयपुर
मंदी हो या महँगाई, नेताओं पर इसका कोई असर नही पड़ता। राजस्थान में चुनाव मैदान में उतरे नेताओं ने अपने नामांकनों के साथ संपत्ति के जो ब्यौरे दिए हैं उससे तो ऐसा ही लगता है। नेता चाहे पांच साल तक सत्ता में रहा हो या फिर विपक्ष में बैठ पांच साल वनवास में गुजारे हों हर कोई जमीन-जायदाद और दौलत में नहाता रहा। कई नेताओं की संपत्ति में पिछले पांच सालों में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। शायद ही ऐसा कोई नेता हो जो इन पाँच सालों में दरिद्र हुआ हो। शुक्रवार तक राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए 482 नेता अपना नामांकन कर चुके थे।
जहाँ तक पाँच सालों के दौरान संपत्ति में बढ़ोतरी की बात है तो लंबे समय पहले कांग्रेस की मंत्री रही जकिया इनाम अव्वल हैं। उनकी संपत्ति में इन पांच सालों के दौरान करीब 70 गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पांच साल पहले उनके पास सिर्फ साढ़े चार लाख रुपए की जायदाद थी जो अब करीब तीन करोड़ रुपए हो गई है। जकिया के बाद गुणात्मक रूप से संपत्ति की बढ़ोतरी करने वालों में दूसरे नंबर पर रहे हैं प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष परसराम मोरदिया। इनकी संपत्ति में इन पाँच सालों में 832 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
मोरदिया की इस तरक्की का राज छिपा है कृषि भूमि में। पाँच साल पहले उनके पास जहाँ मात्र 82 लाख रुपए मूल्य की कृषि भूमि थी, वह अब बढ़कर 11 करोड़ रुपए की हो गई है। दिलचस्प बात यह है कि इन दोनों ही नेताओं ने पिछला चुनाव हारकर पांच साल का समय सत्ता के वनवास में बिताया है।
वैसे अब तक सबसे अमीर नेता के रूप में भाजपा के नीमकाथाना से विधायक प्रेमसिंह बाजौर सामने आए हैं। उन्होंने अपनी 28 करोड रुपए मूल्य की संपत्ति घोषित की है। बाजोर की संपत्ति में इन पांच सालों के दौरान साढ़े चार सौ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। कृषि भूमि के स्वामित्व के मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरेंद्र मिर्धा सबसे अव्वल हैं। मिर्धा के पास अपने पैतृक गांव नागौर जिले के कुचेरा में 106 बीघा कृषि भूमि है। भाजपा के पांच सालों के शासनकाल में सरकार में बैठे मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप जमकर लगे। कई मंत्रियों की अरबों की संपत्तियों के ब्यौरे सत्ता के गलियारों में बाँटे गए लेकिन अब चुनावों में अपनी संपत्तियों का ब्योरा देने में यह नेता अपने को उन तथाकथित ब्योरों से बहुत कम मालदार पा रहे हैं।
सार्वजनिक निर्माण मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़ की संपत्ति में 614 प्रतिशत हुई है। उन्होंने अपनी संपत्ति साढ़े सात करोड़ की घोषित की है। वैसे अब तक मैदान में उतरे मदन दिलावर, सुरेंद्र गोयल, प्रताप सिंह सिंघवी, नंदलाल मीणा आदि सभी मंत्री करोड़पति जरूर बन चुके हैं।