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जाटों को गोलबंद करने जुटे नटवर

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, बुधवार, 5 नवंबर 2008 (12:20 IST)
- कपिल भट्ट
जयपुर। कांग्रेस से अलग होकर बसपा में गए पूर्व विदेश मंत्री नटवरसिंह इन दिनों राजस्थान में जाटों को बसपा के पाले में लाने की कवायद में लगे हुए हैं। उन्होंने हाल ही में प्रदेश के जाट बहुल जिलों में जाकर अपने बिरादरी के भाइयों के बीच बसपा के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की है।

नटवरसिंह और उनके विधायक पुत्र जगतसिंह कुछ समय पहले बसपा में शामिल हुए हैं। जगत को बसपा ने प्रदेश उपाध्यक्ष बनाने के साथ ही आगामी लोकसभा चुनावों के लिए अभी से ही जयपुर ग्रामीण सीट से अपना प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है।

हालाँकि अभी तक यह साफ नहीं है कि खुद नटवर चुनावी समर में उतरेंगे या नहीं, लेकिन बसपा की ओर से उन्हें फिलहाल एक बड़े नेता के रूप में प्रोजेक्ट किया जा रहा है। सिंह ने अपने इस अभियान का आगाज अपने घर भरतपुर से किया। इसके बाद वे जोधपुर, बाड़मेर, अलवर, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ आदि जगहों पर सभाएँ कर चुके हैं। सिंह को सीकर और झुंझुनूँ की सभाओं में भी जाना था, लेकिन अस्वस्थता की वजह से वे वहाँ नहीं जा सके। इन सभाओं में उनकी जगह उनके पुत्र जगतसिंह ने शिरकत की। ये सभी इलाके ऐसे हैं कि जहाँ जाट बहुतायत में हैं।

जाटों को भरमाने की कोशिश : बसपा नटवर के बल पर कांग्रेस और भाजपा से छिटकने वाले जाटों को अपनी ओर मिलाने की कोशिश में है। राजस्थान की राजनीति में जाटों का शुरुआत से ही खासा असर रहा है। राजस्थान में जाट मतदाता करीब दस फीसदी हैं। पिछले कुछ सालों के दौरान जाट राजनीति पहले के मुकाबले ज्यादा उग्र होकर उभरी है।

सन्‌ 1999 के लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस को भाजपा के हाथों लगातार मिल रही चुनावी शिकस्तों का एक बड़ा कारण जाटों की कांग्रेस से नाराजगी को माना जा रहा है। हाल के दिनों में जाटों का भाजपा के प्रति लगाव भी कमजोर पड़ा है और जाट राजनीतिक दोराहे पर खड़े नजर आ रहे हैं। बसपा ऐसे हालात में नटवरसिंह के बहाने जितने भी जाटों को अपनी तरफ मिला सकती है, वह उसके लिए बोनस ही होगा।

फायदे का रास्ता : बसपा यह उम्मीद भी कर रही है कि अगले विधानसभा चुनावों में राजस्थान के दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा में से किसी एक दल को बहुमत नहीं मिलेगा, ऐसे में वह सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका अदा कर सकती है। जाटों के अलावा नटवरसिंह के जरिए बसपा की कोशिशें पूर्वी राजस्थान के मेवात क्षेत्र में भी अपनी जड़ेंजमाने की हैं।

यह इलाका नटवरसिंह का घरेलू क्षेत्र है, जहाँ मेव मुसलमान बड़ी तादाद में हैं। 1984 में राजनीति में आने के बाद से ही सिंह का मेवों पर खासा असर रहा है। मेवात में विकास के लिए नटवरसिंह ने मेवात विकास बोर्ड का गठन कराने के अलावा कई दूसरे काम किए हैं। नटवरसिंह के प्रवक्ता विष्णु जायसवाल दावा करते हैं कि उनकी सभाएँ ऐतिहासिक हो रही हैं, राजस्थान के जाट नटवरसिंह के साथ हैं। वे विधानसभा चुनावों तक राजस्थान की सभी दो सौ सीटों का दौरा कर लेंगे।

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