राजस्थान चुनावी रण के 5 चर्चित बयान और मुद्दें पर जिन पर टिका है पूरा चुनाव!

विकास सिंह
शुक्रवार, 24 नवंबर 2023 (11:33 IST)
राजस्थान में चुनाव प्रचार थमने के बाद अब उम्मीदवार डोर-टू-डोर कैंपनिंग करने के साथ बूथ मैनजमेंट में जुट गए है। राज्य की 199 विधानसभा सीटों शनिवार को मतदान होगा जिसमें 5 करोड़ 30 लाख के करीब मतदाता मतदान करेंगे। राजस्थान में 44 दिनों तक चले चुनाव प्रचार में आखिरी वह कौन से मुद्दें और बयान हावी रहे जिसका फायदा भाजपा और कांग्रेस को वोटिंग में मिल सकता है। 

राजस्थान में चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में जहां एक और भाजपा औऱ कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी वहीं चुनाव के अंतिम दौर ने पार्टी के शीर्ष नेताओं ने एक दूसरे पर निजी तौर पर विवादित टिप्पणी की।

1-‘पनौती’ और ‘जेबकतरा’ वाला बयान सुर्खियों में- राजस्थान विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी का पीएम मोदी को लेकर पनौती और जेबकतरा वाला बयान सर्विधिक चर्चा के केंद्र में रहा। क्रिकेट विश्वकप के फाइनल मुकाबले के बाद राजस्थान में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए  राहुल गांधी ने ‘अच्छा भला हमारे लड़के वहां वर्ल्ड कप जीत जाते, लेकिन पनौती ने हरवा दिया. टीवी वाले ये नहीं कहेंगे. लेकिन जनता जानती है।’

वहीं चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में राजस्थान के बाड़मेर में राहुल गांधी ने चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा  कि जेबकतरे होते हैं, जब दो जेब कतरे किसी की जेब काटना चाहते हैं, तो सबसे पहले क्या करते क्या करते है। ध्यान हटाने का काम करते है। एक आपके सामने आता है और आपसे कोई ना कोई बातचीत करता है आपका ध्यान इधर उधर ले जाता है पीछे से दूसरा आता है जेब काट लेता है। चला जाता है मगर जेबकतरा सबसे पहले ध्यान हटाता है। भाइयों और बहनों नरेंद्र मोदी जी का काम आपके ध्यान को इधर उधर करने का है और का काम आपके जेब काटने का है दोनों आते हैं एक टीवी पर आता है आपसे कहेगा हिंदू मुस्लिम। हलांकि अब चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को इन बयानों को लेकर उन्हें नोटिस जारी कर 25 नवंबर तक जवाब मांगा है।

2-पायलट और गहलोत को बताया निकम्मा-राजस्थान विधानसभा चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में भाजपा नेता और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को निकम्मा बता डाला। चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने असम के सीएम ने कहा कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच अलग प्रकार की प्रतियोगिता चल रही है, दोनों में मुकाबला है कि सबसे बड़ा निकम्मा कौन है।

भाजपा ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की बीच की दूरियों और दोनों के एक दूसरे के खिलाफ दिए बयान को उठाकर कांग्रेस के कमजोर करने की कोशिश की। भाजपा ने पिछले 5 सालों में गहलोत सरकार को कमजोर साबित करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा।

3-लाल डायरी का मुद्दा-राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार लाल डायरी सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रही। चुनाव प्रचार बंद होने से पहले भाजपा ने लाल डायरी के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को जमकर घेरा। भाजपा के हर स्टार प्रचारकों ने लाल डायरी के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को जमकर घेरा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी हर जनसभा में लाल डायरी को लेकर गहलोत सरकार को जमकर घेरा है। भाजपा का हर स्टार प्रचारक चुनाव प्रचार के हर रोड शो और जनसभा में यही कहते नजर आए कि भाजपा सत्ता में आते ही लाल डायरी अब राजस्थान की कांग्रेस सरकार के राज में अब तक हुए भ्रष्टाचार को खोलेगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लाल डायरी को लेकर आशोक गहलोत के साथ-साथ कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं  को घेरते हुए कहा कि राजस्थान में भ्रष्टाचार का ऐसा आलम हो गया कि इस बार दिवाली पर लाल डायरी की बिक्री नहीं हुई, क्योंकि लोगों को लग रहा था लाल डायरी खरीदेंगे या किसी को गिफ्ट में देंगे तो उसको भी लोग भ्रष्टाचार से जोड़कर देखेंगे।

4-ओपीएस का मुद्दा-राजस्थान विधानसभा चुनाव में ओपीएस एक बड़ा मुद्दा है। राजस्थान में कांग्रेस सरकार की ओर से ओपीएस लागू करने का फायदा कांग्रेस के चुनााव में मिल सकता है, यहीं कारण है कि ओपीएस को विधानसभा चुनाव में एक अहम फैक्टर माना जा रहा है। राज्य में  7.7 लाख सरकारी कर्मचारी हैं और साढ़े तीन लाख पेंशनभोगी हैं। जानकारों का कहना है कि एक सरकारी कर्मचारी के परिवार में औसतन 4 वोटर्स भी हुए, तो यह संख्या 40 लाख को पार कर जाती है। राजस्थान में ओपीएस को प्रभाव को कम करने के लिए ही केंद्र सरकार ने ओपीएस की समीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन करने का  एलान किया था।

5-पेट्रोल की कीमतों का मुद्दा-राजस्थान विधानसभा चुनाव में पेट्रोल की कीमतों का मुद्दा भाजपा ने खूब उछाला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेट्रोले की कीमतों को लेकर गहलोत सरकार को घेरा। भाजपा ने सत्ता में आते ही पेट्रोल की कीमतों की समीक्षा कर इसे कम करने का एलान किया है। वहीं कांग्रेस राज्य में 500 रुपए में दिए जा रहे गैस सिलेंडर को अपनी सरकार की  सबसे बड़ी उपलब्धि बता कर वोटरों को रिझाने की कोशिश में लगी है। वहीं पेट्रोल की कीमतों पर कांग्रेस भाजपा को मध्यप्रदेश जैसे राज्यों का उदाहरण देकर पलटवार करती है, जहां पेट्रोल की कीमतें राजस्थान के लगभग बराबर है।

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