देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने आजादी की लड़ाई में गांधीजी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर भाग लिया व देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बच्चों से विशेष स्नेह रखने के कारण इनका जन्मदिन 'बाल दिवस' के रूप में मनाया जाता है। नेहरूजी को 'आधुनिक भारत का निर्माता' भी कहा जाता है।
प्रारंभिक जीवन : इनका जन्म उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में 14 नवंबर 1889 को हुआ था। इनके पिता का नाम पं. मोतीलाल नेहरू और माता का नाम स्वरूपरानी था। इनकी पत्नी का नाम कमला नेहरू था और इनकी एक ही संतान इंदिरा गांधी थीं। नेहरूजी कश्मीरी ब्राह्मण परिवार के थे। 1912 ई. में नेहरूजी ने बैरिस्टरी की व वे भारत लौटकर इलाहाबाद में वकालत करने लगे। इन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी हैं। इनमें 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' में इन्होंने भारत के इतिहास को समेटा था।
राजनीतिक जीवन : उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में सन् 1920 में उन्होंने पहले किसान मार्च का आयोजन किया। वे अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के 1923 में महासचिव चुने गए। 1929 में कांग्रेस के ऐतिहासिक लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष चुने गए। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्होंने गांधीजी के साथ बढ़-चढ़कर भाग लिया था।
1952 में पहली बार प्रधानमंत्री बने : वे 1952 में जब पहले आम चुनाव हुए तो उसमें कांग्रेस पार्टी भारी बहुमत से सत्ता में आई और तब पं. जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। गांधीजी को सरदार पटेल और नेहरूजी में से किसी एक को चुनना था। किंतु सख्त सरदार पटेल के सामने विनम्र नेहरूजी को प्रधानमंत्री बनाया गया। वे 15 अगस्त 1947 से 27 मई 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहे।
पुरस्कार और सम्मान : इन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।
विशेष : नेहरूजी एक महान राजनीतिज्ञ और प्रभावशाली वक्ता ही नहीं, बिल्क ख्यातिलब्ध लेखक भी थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा के साथ ही कुछेक पुस्तकों की भी रचना की है। 'पंचशील' का नारा देकर उन्होंने विश्व-बंधुत्व एवं विश्व-शांति को प्रोत्साहित ही किया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने पंचवर्षीय योजनाएं चलाईं और भाखड़ा नंगल जैसे बांध सहित अनेक विकास कार्यों को आगे बढ़ाया।