मोरारजी देसाई : भारत की पहली गैर कांग्रेसी सरकार के मुखिया

Webdunia
मोरारजी भाई देसाई भारत के ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने देश की पहली गैर कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व किया था। कांग्रेस में रहते समय श्रीमती इंदिरा गांधी से उनके हमेशा वैचारिक मतभेद रहे। श्रीमती गांधी को उन्होंने 'गूंगी गुड़िया' तक कह दिया था।
 
मोरारजी रणछोड़जी देसाई एक गांधीवादी विचारधारा के राजनेता थे। वे इंदिरा गांधी की सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। इंदिराजी से मतभेद होने पर वे सरकार से बाहर हो गए। उन्होंने अपने कॉलेज जीवन में ही महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक और अन्य कांग्रेसी नेताओं के भाषणों को सुना था जिसका उनके जीवन पर काफी प्रभाव रहा।
 
प्रारंभिक जीवन : मोरारजी देसाई का जन्म 29 फरवरी 1896 को गुजरात के भदेली में हुआ था। इनके पिता का नाम रणछोड़जी देसाई व माता का नाम मणिबेन था। वे अपने पिता के बारे में कहते थे- 'मेरे पिता ने मुझे जीवन के मूल्यवान पाठ पढ़ाए थे। मुझे उनसे कर्तव्यों का पालन करने की प्रेरणा प्राप्त हुई थी। उन्होंने धर्म पर विश्वास रखने और सभी स्थितियों में समान बने रहने की शिक्षा भी मुझे दी थी।'
 
राजनीतिक जीवन : 1930 में मोरारजी देसाई ब्रिटिश सरकार की नौकरी छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। 1931 में वे गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव निर्वाचित हुए। अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की शाखा स्थापित कर सरदार पटेल के निर्देश पर वे उसके अध्यक्ष बन गए। मोरारजी को 1932 में 2 वर्ष की जेल भी भुगतनी पड़ी। 1952 में इन्हें बंबई (अब मुंबई) का मुख्यमंत्री बनाया गया। इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने पर मोरारजी को 1967 में उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री बनाया गया।
 
1977 में प्रधानमंत्री बने : नवंबर 1969 में कांग्रेस के विभाजन के बाद मोरारजी देसाई इंदिरा गांधी की कांग्रेस (आई) का साथ छोड़कर कांग्रेस (ओ) में चले गए। वे 1975 में जनता पार्टी में शामिल हो गए। जब मार्च 1977 में लोकसभा के चुनाव हुए तो जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हो गया। उस समय प्रधानमंत्री पद के दो और दावेदार चौधरी चरणसिंह और जगजीवनराम भी थे। लेकिन जयप्रकाश नारायण ने 'किंगमेकर' की भूमिका का लाभ उठाते हुए देसाई का समर्थन कर दिया था। तत्पश्चात 24 मार्च 1977 को 81 वर्ष की अवस्था में मोरारजी देसाई ने भारतीय प्रधानमंत्री का दायित्व ग्रहण किया और 28 जुलाई 1979 तक वे इस पद पर रहे।
 
पुरस्कार और सम्मान : इन्हें भारत सरकार की ओर से 'भारत रत्न' तथा पाकिस्तान की ओर से 'तहरीक-ए-पाकिस्तान' का सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान प्राप्त हुआ है।
 
विशेष : मोरारजी देसाई गांधीवादी नीति के परम समर्थक माने जाते थे, लेकिन इस नीति में इन्होंने क्षमाभाव को कभी स्वीकार नहीं किया था। वे अध्यात्मवादी प्रवृत्ति के व्यक्ति भी थे।
Show comments

जरूर पढ़ें

Exit Poll : वोटिंग खत्म होने के बाद RSS मुख्यालय पहुंचे देवेंद्र फडणवीस, मोहन भागवत से की मुलाकात

Exit Poll 2024 : झारखंड में खिलेगा कमल या फिर एक बार सोरेन सरकार

महाराष्ट्र में महायुति या एमवीए? Exit Poll के बाद बढ़ा असमंजस

महाराष्‍ट्र बिटकॉइन मामले में एक्शन में ईडी, गौरव मेहता के ठिकानों पर छापेमारी

BJP महासचिव विनोद तावड़े से पहले नोट फॉर वोट कांड में फंसे राजनेता

अगला लेख
More