सुख-सौभाग्य दिलाता है वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत
वट वृक्ष- अमरता का प्रतीक
भारत के पूज्यनीय वृक्षों में वट यानी बरगद का महत्वपूर्ण स्थान है। वैदिक धर्म के साथ-साथ जैन तथा बौद्घ धर्मों में भी वट वृक्ष का काफी महत्व माना गया है। इसे अमरता का प्रतीक भी माना जाता है।
हमारे देश की संस्कृति, सभ्यता और धर्म से वट का गहरा नाता है। वट वृक्ष एक ओर शिव का रूप माना गया है तो दूसरी ओर पद्म पुराण में इसे भगवान विष्णु का अवतार कहा गया है। अतः सौभाग्यवती स्त्रियां ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं, जिसे वट सावित्री व्रत कहते हैं।
स्कंद पुराण के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन करना चाहिए। अत: गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत की स्त्रियां ज्येष्ठ पूर्णिमा को यह व्रत करती हैं।