Manikarnika Snan : मणिकर्णिका घाट पर स्नान की मान्यताएं

Webdunia
शनिवार, 5 नवंबर 2022 (11:31 IST)
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान का खास महत्व रहता है। प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल की चतुर्दशी अर्थात बैकुंठ चतुर्दशी के दिन वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर स्नान किया जाता है। यहां स्नान करने का बहुत महत्व है। काशी को वाराणसी और बनारस भी कहते हैं। यहां के घाट बहुत ही प्राचीन और प्रसिद्ध हैं। यहां हर घाट का अगल महत्व है। अस्सी घाट की गंगा आरती को देखने दूर दूर से लोग आते हैं। आओ जानते हैं क्या है इसके पीछे की मान्यता। 
 
1. देवता भी करते हैं स्नान : इस दिन सभी देवी और देवता त्रिपुरासुर के वध की खुशी में स्नान करने आते हैं और देव दिवाली मनाते हैं।
 
2. पापों से मिलती है मुक्ति : इस दिन घाट पर स्नान करने से हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती। यह घाट काशी में स्थित हैं इसमें स्नान से मनुष्य के पापों का नाश होता हैं कार्तिक में इसके स्नान का सर्वाधिक महत्व हैं।
 
3. शक्तिपीठ है यहां पर : कहते हैं कि यहां पर माता सती के कान का कुंडल गिरे थे इसीलिए इसका नाम मणिकर्णिका है। यहां पर माता का शक्तिपीठ भी स्थापित है।
 
4. प्राचीन कुंड : यह भी कहा जाता है कि एक समय भगवान शिव हजारों वर्षों से योग निंद्रा में थे, तब विष्णु जी ने अपने चक्र से एक कुंड को बनाया था जहां भगवान शिव ने तपस्या से उठने के बाद स्नान किया था और उस स्थान पर उनके कान का कुंडल खो गया था जो आज तक नहीं मिला। तब ही से उस कुंड का नाम मणिकर्णिका घाट पड़ गया। काशी खंड के अनुसार गंगा अवतरण से पहले इसका अस्तित्व है।
 
5. श्री हरि विष्णु ने किया था पहला स्नान : कहते हैं कि मणिकर्णिका घाट पर भगवान विष्णु ने सबसे पहले स्नान किया। इसीलिए वैकुंठ चौदस की रात के तीसरे प्रहर यहां पर स्नान करने से मुक्ति प्राप्त होती है। यहां पर विष्णु जी ने शिवजी की तपस्या करने के बाद एक कुंड बनाया था। 
 
6. कुंड से निकली प्रतिमा : प्राचीन काल में मां मणिकर्णिका की अष्टधातु की प्रतिमा इसी कुंड से निकली थी। कहते हैं कि यह प्रतिमा वर्षभर ब्रह्मनाल स्थित मंदिर में विराजमान रहती है परंतु अक्षय तृतीया को सवारी निकालकर पूजन-दर्शन के लिए प्रतिमा कुंड में स्थित 10 फीट ऊंचे पीतल के आसन पर विराजमान कराई जाती है। इस दौरान कुंड का जल सिद्ध हो जाता है जहां स्नान करने से मुक्ति मिलती है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Bhai dooj katha: भाई दूज की पौराणिक कथा

Govardhan Puja 2024: गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री सहित सरल विधि

Diwali Laxmi Pujan Timing: दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त और चौघड़िया

Narak chaturdashi 2024: नरक चतुर्दशी पर हनुमानजी की पूजा क्यों करते हैं, क्या है इसका खास महत्व?

दिवाली के पांच दिनी उत्सव में किस दिन क्या करते हैं, जानिए इंफोग्राफिक्स में

सभी देखें

धर्म संसार

Bhai dooj: भाईदूज के दिन क्यों करते हैं चित्रगुप्त जी की पूजा?

शुक्र के धनु में गोचर से 4 राशियों को मिलेगा धनलाभ

कौन हैं छठी मैया? जानिए भगवान कार्तिकेय से क्या है संबंध?

Annakut Govardhan Puja: कैसे मनाते हैं अन्नकूट उत्सव और गोवर्धन पूजा का यह त्योहार, क्यों करते हैं गोवर्धन परिक्रमा?

Bhai Dooj 2024: भाई दूज कब है? जानें डेट, महत्व व तिलक करने का शुभ मुहूर्त

अगला लेख
More