Mahalaxmi Vrat : महालक्ष्मी व्रतारंभ कब होगा, मराठी समाज के घर-घर विराजेंगी देवी

Webdunia
Mahalaxmi Vrat 2020
 
* महालक्ष्मी पर्व, जानिए सरल पूजन विधि
 
25 अगस्त 2020, मंगलवार यानी भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से महाराष्ट्रीयन परिवारों में 'महालक्ष्मी उत्सव' का आरंभ हो जाएगा। श्री महालक्ष्मी का यह व्रत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी के दिन से किया जाता है, कई जगहों पर महालक्ष्मी का यह पर्व 3 दिन तक मनाया जाता है, तथा कई स्थानों पर यह व्रत 16 दिनों तक चलता है। मां महालक्ष्मी अपने पूरे परिवारसहित घर आकर सुख-संपन्नता का आशीर्वाद दें, इसी कामना के साथ यह उत्सव मनाया जाता है। 
 
मां महालक्ष्मी के आगमन पर 'महालक्ष्मी आली घरात सोन्याच्या पायानी, भरभराटी घेऊन आली' इन पंक्तियों से माता का स्वागत किया जाता है। इस व्रत में धन की देवी मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। आइए जानें क्या करें... 
 
महालक्ष्मी व्रत पर कैसे करें पूजन-
 
* प्रात:काल में स्नानादि कार्यों से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें। 
 
* व्रत संकल्प के समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें।
 
करिष्यsहं महालक्ष्मि व्रतमें त्वत्परायणा।
तदविघ्नेन में यातु समप्तिं स्वत्प्रसादत:।।
 
- अर्थात् हे देवी, मैं आपकी सेवा में तत्पर होकर आपके इस महाव्रत का पालन करूंगा/करूंगी। मेरा यह व्रत निर्विघ्न पूर्ण हो। 
 
मां लक्ष्मीजी से यह कहकर अपने हाथ की कलाई में डोरा बांध लें जिसमें 16 गांठें लगी हों।
 
यह व्रत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से प्रतिदिन आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक किया जाता है। 16वें दिन व्रत पूरा हो जाने पर वस्त्र से एक मंडप बनाकर उसमें लक्ष्मीजी की प्रतिमा रखें।
 
* माता की पूजन सामग्री में चंदन, ताल पत्र (ताड़ के वृक्ष का पत्ता, ताड़ पत्र), पुष्पमाला, अक्षत, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल तथा नाना प्रकार की सामग्री रखी जाती है। 
 
* पूजन के दौरान नए सूत 16-16 की संख्या में 16 बार रखें। इसके बाद निम्न मंत्र का उच्चारण करें।
 
क्षीरोदार्णवसम्भूता लक्ष्मीश्चन्द्र सहोदरा।
व्रतोनानेत सन्तुष्टा भवताद्विष्णुबल्लभा।।
 
- अर्थात् क्षीरसागर से प्रकट हुईं लक्ष्मी, चन्द्रमा की सहोदर, विष्णुवल्लभा मेरे द्वारा किए गए इस व्रत से संतुष्ट हों। 
 
श्रीलक्ष्मी को पंचामृत से स्नान कराएं फिर 16 प्रकार से पूजन करके व्रतधारी व्यक्ति 4 ब्राह्मण और 16 ब्राह्मणियों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें। इस प्रकार यह व्रत पूरा होता है।
 
16वें दिन महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन किया जाता है। अगर कोई व्रतधारी किसी कारणवश इस व्रत को 16 दिनों तक न कर पाए तो केवल 3 दिन तक भी इस व्रत को कर सकता है जिसमें पहले, 8वें और 16वें दिन यह व्रत किया जाता है।
 
नोट : इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है, केवल दूध, फल, मिठाई आदि का सेवन किया जा सकता है।

ALSO READ: क्या आप श्री गणेश के स्त्री स्वरूप को जानते हैं?
 
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

परीक्षा में सफलता के लिए स्टडी का चयन करते समय इन टिप्स का रखें ध्यान

Shani Gochar 2025: शनि ग्रह मीन राशि में जाकर करेंगे चांदी का पाया धारण, ये 3 राशियां होंगी मालामाल

2025 predictions: वर्ष 2025 में आएगी सबसे बड़ी सुनामी या बड़ा भूकंप?

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Budh vakri 2024: बुध वृश्चिक में वक्री, 3 राशियों को रहना होगा सतर्क

सभी देखें

धर्म संसार

29 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

29 नवंबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

वृश्चिक राशि में बुध ने चली वक्री चाल, 2 राशियों की जिंदगी में होगा कमाल

मोक्षदा एकादशी की पौराणिक कथा

उदयपुर सिटी पैलेस में जिस धूणी-दर्शन को लेकर मेवाड़ राजपरिवार के बीच विवाद हुआ, जानिए उसका इतिहास क्या है

अगला लेख
More