पंजाब के होशियारपुर जिले के मिर्जापुर नामक गाँव के बाशिंदे श्याम कौशल के नाम की गूँज आज हॉलीवुड तक पहुँच गई है। कई पुरस्कार जीतने में कामयाब रही फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेयर' के एक्शन दृश्य शाम कौशल द्वारा निर्देशित किए गए हैं। एक्शन निर्देशक के तौर पर 'वन नाईट विद द किंग' के बाद यह उनकी दूसरी अँग्रेजी फिल्म है। श्याम कौशल से 'स्लमडॉग मिलियनेयर 'के सिलसिले में हुई बातचीत यहाँ पेश है-‘स्लमडॉग मिलियनेयर' आपको कैसे मिली? इस फिल्म की पूरी शूटिंग भारत में की गई है। दिल्ली की 'इंडिया टेक वन' कंपनी को इसके निर्माण संबंधी पूरी व्यवस्था करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस कंपनी से मुझे यह संदेश मिला है कि अपनी फिल्म के एक्शन दृश्यों के सिलसिले में निर्देशक डैनी बॉयल मुझसे मिलना चाहते हैं, जब मैं उनसे मुंबई की मेरियट्ट होटल में मिला तो उन्होंने मुझे फिल्म के एक्शन दृश्यों के बारे में बताया और पूछा कि क्या इन दृश्यों का फिल्मांकन संभव है। यह दृश्य छह-सात साल की उम्र के बच्चों पर फिल्माए जाने थे, सो मैंने कहा कि बच्चे थोड़े दिलेर होने चाहिए। मेरे लिए यह पहला मौका था जब मैं बच्चों पर एक्शन दृश्य फिल्माने जा रहा था। अगले दिन जब मैं दोबारा डेनी बॉयल से मिला तो अपने साथ ट्रेन के डिब्बे का मॉडल बनाकर ले गया था। मैंने मॉडल के जरिए डैनी को बताया कि किस तरह यह दृश्य फिल्माए जाएँगे। मेरा होमवर्क देख डैनी बड़े ही खुश हुए और उन्होंने मुझ पर पूरा भरोसा जता दिया।क्या डैनी बॉयल को आपके बारे में कुछ जानकारी थी?मैं जब उनसे पहली बार मिला तो उनकी बातों से यह जान गया था कि वे मेरे काम से वाकिफ हैं। मेरे काम के सिलसिले में डैनी ने 'परजानिया' और 'ब्लैक फ्रायडे' देखी थी। इन फिल्मों में मैंने स्टंट दृश्य पेश किए थे। मेरे ख्याल से 'परजानिया' और 'ब्लैक फ्रायडे' में मेरा काम देख वे प्रभावित हुए होंगे, क्योंकि इन फिल्मों में मैंने कौमी दंगों के एक्शन दृश्य शूट किए थे। यह दृश्य वास्तविक बन पड़े थे। ‘स्लमडॉग...' में भी कौमी दंगों की शूटिंग की जानी थी और डैनी चाहते थे कि इस फिल्म में भी दंगों के दृश्य वास्तविक नजर आएँ, 'परजानिया' और 'ब्लैक फ्रायडे' की बदौलत ही मुझे 'स्लमडॉग' मिली।इस फिल्म के एक्शन दृश्य की शूटिंग के बारे में कुछ जानकारी देना चाहेंगे आप?
मैं पिछले 28 वर्षों से मुंबई में रह रहा हूँ पर कभी धारावी की अंधियारी गलियों में नहीं गया। इस फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में मैं पहली बार इन गंदी गलियों में गया। मैं इस फिल्म की शूटिंग के लिए हॉलीवुड से आए पूरे यूनिट को सलाम करता हूँ कि इतनी गंदगी देखने के बावजूद किसी ने अपनी नाक पर रूमाल नहीं रखा। हरदम सभी के चेहरे पर मुस्कुराहट ही देखने को मिली।
यह यूनिट अपने साथ छोटे कैमरे भी लाया था क्योंकि बेहद संकरी व तंग गलियों में बड़े कैमरे के साथ शूटिंग करना संभव न था। शूटिंग के लिए जगह इतनी छोटी हुआ करती थी कि पूरी यूनिट का वहाँ समा पाना मुश्किल होता था, इसलिए ज्यादातर यूनिट वाले मेन रोड पर होते और जब कभी किसी की जरूरत पड़ती तो उसे फोन कर बुला लिया जाता। हमारे लिए एक अच्छी बात यह रही कि धारावी की झोपड़पट्टी में हमें बच्चों के साथ शूटिंग करनी थी। किसी बड़े स्टार को शूटिंग में हिस्सा लेते न देख भीड़ भी कम जमा होती थी, सो हमें काम करने में आसानी रहती थी।
इस फिल्म के दंगों के दृश्यों की शूटिंग के लिए मुंबई से दूर धारावी का सेट खड़ा किया गया थाँ क्योंकि झोपड़पट्टी में दंगों की शूटिंग करना व आगजनी के दृश्य फिल्माना संभव न था। मुंबई से कुछ दूरी पर स्थित पनवेल में इस फिल्म के ट्रेन के दृश्य फिल्माए गए थे। ट्रेन के दृश्यों के लिए हमें बच्चों को विशेष रूप से तैयार करना पड़ा था।
तो किस तरह उन्हें तैयार किया गया था?
फिल्मसिटी स्टूडियो में एक बस लाई गई थी और इस बस की छत पर से लटकाकर दो बच्चों को समझाया गया कि उल्टे लटककर उन्हें क्या कुछ करना है। हूक्स, क्रेन, रस्सियाँ आदि देख वे बच्चें पहले तो सहम गए, परंतु जब मेरे सहायक ने उन्हें दृश्य कर दिखाया तो उनमें विश्वास जागा। बस की छत पर रिहर्सल करवाने के पश्चात ट्रेन की छत पर शूटिंग करना बच्चों के लिए आसान हो गया।
* 'स्लमडॉग...' आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण फिल्म है?
बेहद महत्वपूर्ण फिल्म है। इस फिल्म के एक्शन दृश्यों का जिम्मा मुझे सौंपा गया। आजकल बॉलीवुड वाले एक्शन दृश्यों के लिए हॉलीवुड से एक्शन निर्देशक बुलाने लगे हैं पर स्लमडॉग के लिए हॉलीवुड वालों ने बॉलीवुड के एक्शन डायरेक्टर को लिया, यह बड़ी बात कही जाएगी।
मेरा काम देख डैनी बॉयल ने मुझे जो एसएमएस भेजा, जिसमें मेरे काम की खूब तारीफ थी। वह एसएमएस मेरे लिए किसी अवॉर्ड से कम नहीं है। स्लमडॉग का पूरा यूनिट विदेश से आया था, सिर्फ एक्शन डायरेक्टर को यहाँ से लिया गया। इतनी बड़ी फिल्म के साथ स्वतंत्र रूप से जुड़ना मेरे लिए वाकई गर्व की बात रही। मेरे ख्याल से बॉलीवुड के लिए भी यह गर्व की बात कही जाएगी।
धारावी में शूटिंग के दौरान आप क्या कुछ सोच रहे थे?
मैं यह जरूर कहूँगा कि झोपड़पट्टी और गंदगी किसी भी देश के लिए फख्र की बात नहीं होती। धारावी में शूटिंग कर मुझे सामाजिक असमानता को करीब से देखने को मिला। हमारे यहाँ रईस से रईस लोग हैं तो गरीब से गरीब लोग भी हैं। यह असमानता देख में व्यथित हो गया था।