विश्व के दस फिल्मकारों में शामिल बांग्ला फिल्मकार सत्यजीत रे ने अपनी किसी भी फिल्म को ऑस्कर की दौड़ में शामिल होने नहीं भेजा। उनकी फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ (1955) और अपू त्रयी को दुनिया भर के फिल्म फेस्टिवल्स में सैकड़ों अवॉर्ड मिले हैं।
इसके बावजूद राय मोशाय ने ऑस्कर के फेरे नहीं लगाए। स्वयं ऑस्कर अवॉर्ड 1992 में चल कर कोलकाता आया और विश्व सिनेमा में अभूतपूर्व योगदान के लिए सत्यजीत रे को मानद ऑस्कर अवॉर्ड से अलंकृत किया। सत्यीजत रे बीमार थे।
उनके घर आकर ऑस्कर अवॉर्ड के पदाधिकारियों ने उनका सम्मान किया। इस आयोजन की फिल्म बनाई गई और उसे ऑस्कर सेरेमनी में प्रदर्शित कर पूरी दुनिया को दिखाया गया। इसे कहते हैं कि ऑस्कर मिले, तो ऐसे मिलना चाहिए।