Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

स्लमडॉग मिलियनेयर : जय हो

हमें फॉलो करें स्लमडॉग मिलियनेयर : जय हो
IFM

सबसे पहली बात, ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ जो पुरस्कार और प्रशंसा हासिल कर रही है और जो करने वाली है, उसकी वो पूरी तरह से हकदार है। इस फिल्म के जरिये भारत की गरीबी को विदेश में न तो बेचा गया है और न ही मजाक उड़ाया गया है।

मुंबई की गंदी गलियों को इस फिल्म में दिखाया गया है। इसमें गलत क्या है? क्या मुंबई में ये गंदी गलियाँ नहीं हैं? क्या हमें इसका विरोध इसलिए करना चाहिए क्योंकि इसे किसी गोरे व्यक्ति ने बनाया है? क्या कोई भारतीय इसे बनाता तो हम इसका विरोध करते? नहीं, तो फिर दोहरी मानसिकता क्यों?

स्लमडॉग... दिल से निकली हुई प्रेम कहानी है, जिसे निर्देशक डैनी बॉयले ने किसी बॉलीवुड की फिल्म की तरह बनाया है। सिमोन ब्यूफॉय ने इतना उम्दा स्क्रीनप्ले लिखा है कि दर्शक को हर फ्रेम बेहतरीन लगती है। यह फिल्म उन लोगों के लिए आशा की किरण लाती है जो जिंदगी में प्यार और सुख-संपत्ति के मामले में दुर्भाग्यशाली हैं।

18 वर्षीय और मुंबई की गंदी बस्तियों में रहने वाला अनाथ जमाल (देव पटेल) के नाम पर एक भी पैसा नहीं है, लेकिन एक घंटे में उसकी किस्मत बदल जाती है। भारत के सबसे लोकप्रिय गेम शो ‘हू वांट्स टू बि ए मिलियनेयर’ की खिताबी रकम से वह महज एक प्रश्न दूर है, लेकिन जमाल की जिंदगी में कुछ भी आसान नहीं रहा और ये भी आसान नहीं था।

उसे धोखाधड़ी के आरोप में पुलिस गिरफ्तार कर लेती है। जमाल से पूछताछ होती है। पुलिस को यकीन नहीं है कि जमाल को इतना ज्ञान है कि वो इस गेम में इतना आगे तक जाए। जमाल उन्हें यकीन दिलाने के लिए अपनी कहानी बचपन से सुनाता है।

कम उम्र में ही जमाल और उसके बड़े भाई सलीम ने अपनी माँ को खो दिया था। उनकी माँ की मौत मुस्लिमों पर हुए हमले की वजह से हुई थी। दोनों भाई गलत आदमियों के हाथ लग जाते हैं। जमाल की मुलाकात लतिका से होती है और वह उसे चाहने लगता है लेकिन इसके बाद भी कई मुश्किलें उसका इंतजार कर रही थीं।

webdunia
IFM
तमाम मुश्किलों से लड़ते हुए जमाल अपना इतना ज्ञान बढ़ाता है कि उसे गेम शो में पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर देने में आसानी हो।

डैन और सिमोन ने मुंबई की बस्ती से निकले एक लड़के की आगे बढ़ने की एक बेहतरीन कहानी लिखी है। आपको ऐसा लगेगा कि ऐसे किरदार हमारे आसपास भी मौजूद हैं। कुछ दृश्य बहुत ही उम्दा बन पड़े हैं।

पूरी फिल्म दर्शक को बाँधकर रखती है। एक भी ऐसा क्षण नहीं आता जब आप बोरियत महसूस करें। जब जमाल और लतिका एक होते हैं तो उनके साथ दर्शक भी खुशी महसूस करते हैं क्योंकि उन्होंने इसके पहले कई मुसीबतों का सामना किया है। यही मुख्य वजह है कि ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ इतनी पसंद की गई।

निर्देशक और लेखक के अलावा एआर रहमान के संगीत को भी श्रेय दिया जाना चाहिए। फिल्म का पार्श्व संगीत फिल्म को अतिरिक्त धार प्रदान करता है। मुंबई की गलियों को कैमरे ने बेहतरीन तरीके से पकड़ा है। फिल्म की शुरुआत में सलीम और जमाल के पीछे एक कांस्टेबल भागता है, वो दृश्य याद रखने लायक है।

अभिनय के मामले में कोई भी कलाकार कमजोर नहीं रहा। अनिल कपूर और इरफान खान तो अनुभवी हैं, लेकिन देव पटेल और फ्रिडा पिंटो का अभिनय भी हर लिहाज से उत्तम है। सलीम और जमाल का किरदार निभाने वाले बाल कलाकार भी शानदार अभिनेता सिद्ध हुए।

ऑस्कर में विजयी परचम लहराने वाली‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ को जरूर देखा जाना ‍चाहिए।

निर्माता : क्रिश्चियन कॉलसन, टेसा रॉस, पॉल स्मिथ। निर्देशक : डैनी बॉयले। संगीत : ए.आर. रहमान। कलाकार : देव पटेल, फ्रिडा पिंटो, अनिल कपूर, इरफान खान

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi