ओस्लो (नार्वे) में गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया गया। प्रातः दस बजे राजदूत महामहिम देबराज प्रधान के झंडारोहण के साथ भारतीय राष्ट्रगान गूंज गया। उन्होंने राष्ट्रपति का संदेश पढ़ते हुए कहा कि नार्वे में 20 हजार से अधिक भारतीय और भारतीय मूल के लोग निवास करते हैं। हम उनका सहयोग और उनकी समस्याओं का हल करने की भरसक कोशिश करेंगे।
उन्होंने भारतीयों का आह्वान करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में आगामी पांच-दस वर्ष में अनेक कार्य संपन्न होंगे जिस पर हम गर्व करेंगे। उन्होंने माना कि अभी भी भ्रष्टाचार है और कहा कि ई-मेल के जरिये वह सभी शिकायतों और अच्छे कार्यों दोनों के लिए विचारों का स्वागत करते हैं।
लेखक गोष्ठी में मनाया गया गणतंत्र दिवस : 26 जनवरी की शाम को वाइतवेत, ओस्लो में भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम द्वारा आयोजित लेखक गोष्ठी में भारतीय गणतंत्र दिवस कविता और कहानी पाठ और केक के साथ मनाया गया। भारत की नार्वे में बढ़ रही प्रतिष्ठा पर खुशी व्यक्त करते हुए अनेक वक्ताओं ने कहा कि हमको अपनी संस्कृति और भाषा के लिए भी निरंतर कार्य करते रहना है।
संस्था के अध्यक्ष सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने कहा जो लोग भी विदेशों में अपनी भाषा की शिक्षा निशुल्क दे रहे हैं, वह बहुत सराहनीय है। बचपन में बच्चे अनेक भाषाओं को सीखने की क्षमता रखते हैं। माता-पिता भी धन्यवाद के पात्र हैं कि वे व्यस्त समय में अपने बच्चों को अपनी मातृभाषा और कला-संस्कृति सिखाने के लिए समय निकालते हैं।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कुछ अच्छे परिणाम निकले हैं और कैशलेस व्यवस्था से अनेक फायदे हैं पर इससे परेशानियां भी आई हैं जो समय के साथ कम हो जाएंगी। जिन्होंने अपनी रचनाएं पढ़ीं और सक्रिय सहयोग दिया उनमें प्रमुख थे- मीना मुरलीधरन, संगीता शुक्ला, दिव्या विद्यार्थी, माया भारती, रूबी शेरी, नोशीन इकबाल, प्रगट सिंह, अलका और बासदेव भरत तथा इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन व नूरी रोयसेग। आगामी लेखक गोष्ठी 10 फरवरी को होगी।
शरद आलोक प्रवासी रत्न से सम्मानित : 4 जनवरी को लखनऊ में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश भारतीय प्रवासी दिवस के अवसर पर नार्वे में भारतीय लेखक सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' को भारतीय प्रवासी रत्न से सम्मानित किया गया। सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' गत 37 वर्षों से नार्वे में भारतीय संस्कृति, हिंदी भाषा और राजनैतिक भागीदारी के द्वारा अपने देश भारत और नार्वे के मध्य सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत बनाने का कार्य कर रहे हैं।