प्रवासी कविता : दीपावली का संदेश...

पुष्पा परजिया
दुनिया के तमाम देशों में बसे सभी हिन्दुस्तानी भाई-बहनों को दीपावली की अनेकानेक शुभकामनाएं। आने वाला नया वर्ष आप सबके लिए अत्यंत सुखदायी हो। 
 
दिन ढला हो गई रात लो आई सुबह नई 
वक्त सदा चलता ही रहता बिना कोई विश्राम लिए 
देखे कई नजारे भैया जीवन में इन आंखों ने 
दु:ख-सुख दोनों देखे स्नेहमयी इस वसुंधरा पर
 
कभी कंटक चुभे आकर दबे पांव 
मन की सुकोमल पंखुड़ियों पर 
तो कभी फैला दी मखमली चादर 
देकर सुख से भरे वो मीठे-मीठे लम्हें
 
आह्लादक पल जब मिले झूमा चमन तमाम 
संस्मरण के पल दे जाते कभी लबों पर मुस्कान 
या दे जाते आंसू के कुछ कण मेरी पलकों पर 
फिर से वक्त आ रहा खुशियोंभरा दोस्तों 
 
चुरा के संजो लेना वो पल दीपावली के 
दीयों की रोशनी से चमका लेना अपना मन 
जब देख किसी का दु:ख द्रवित मन हो जाए तेरा 
सहलाकर उसकी पीड़ा तू करना स्नेह का सिंचन 
 
नए वर्ष में खुद से यह वादा कर ले 
तू न दुखाएगा भविष्य में किसी का भी मन 
तुझे दे रहे संदेश ये जगमगाते दीये
सीख ले मुझसे कैसा जला जाता है दूजों के लिए।
 
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