कौमी एकता दल के मुख्तार अंसारी के चुनाव न लड़ने और फिर कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को समर्थन किए जाने की घोषणा से यहां कांग्रेस को भारी नुकसान होने और उसके तीसरे पायदान पर खिसकने की खबर है। वाराणसी कोई इतिहास रचेगा ये तो 16 मई को ही पता चलेगा किन्तु अरविंद केजरीवाल ने अपना दमखम दिखा ही दिया कि मोदी को वे टक्कर दे सकते हैं।
वाराणसी में इस बार 55.22 प्रतिशत रिकॉर्ड मतदान हुआ, जो पिछले चुनावों की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक है। मोदी को वोद देने के लिए लोगों में जबरर्दस्त उत्साह दिखा। वही कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय कांग्रेस पार्टी का चुनाव निशान लगाकर पोलिंगस्टेशन पर आ गए जिस पर आखिरकार चुनाव आयोग को संज्ञान लेना पड़ा और उसने अजय राय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
वाराणसी सीट इस चुनाव में शुरू से ही चर्चा में रही है। भाजपा के मौजूदा सांसद डॉ. मुरली मनोहर जोशी के क्षेत्र छोड़कर कानपुर जाने में शुरू में आनाकानी करने और फिर नरेन्द्र मोदी के नामांकन की बार-बार तारीख बदलने और अंत में काफी भव्यता के साथ अंतिम दिन नामांकन दाखिल किया जाना भी काफी चर्चा में रहा तो कांग्रेस की ओर से कभी मधुसूदन मिस्त्री तो कभी दिग्विजयसिंह का नाम उछला, लेकिन अंत में निर्णय हुआ कि दबंग छवि वाले कई बार के विधायक स्थानीय नेता अजय राय कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। तभी बहुतों को लगा कि नरेन्द्र मोदी के मुकाबले कांग्रेस ने कमजोर प्रत्याशी उतारा है।
आप नेता और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो बहुत पहले से घोषणा कर दी थी कि मोदी अगर उत्तरप्रदेश में कहीं से भी चुनाव लड़ेंगे तो वे उनके खिलाफ लड़ेंगे और इसके लिए बाकायदा वाराणसी में सभा कर उन्होंने लोगों की सहमति भी ली थी। सपा की ओर से मंत्री कैलाश चौरसिया एवं बसपा से विजय प्रकाश जायसवाल भी मैदान में हैं, परंतु अगर यह कहा जाए कि वाराणसी में सीधा-सीधा मुकाबला मोदी और अरविंद केजरीवाल से ही हुआ है तो गलत नहीं होगा।
मोदी की सुनामी आएगी, कहने वाले भाजपाई भी समझ गए कि वाराणसी में एकतरफा मुकाबला है। 'मोदी लहर' को 'मोदी सुनामी' में बदलने में भाजपाइयों का यह नारा कारगर रहा कि 'हर हर मोदी', जिसका चारों ओर जबर्दस्त विरोध होने के बाद भाजपा ने अपने कदम पीछे खींचे और नया नारा दिया 'घर घर मोदी'। नरेन्द्र मोदी के गुजरात की वडोदरा लोस सीट से भी लड़ने से वाराणसी के मतदाता इस बात को लेकर भी चिंतित नजर आ रहे थे कि मोदी अगर दोनों जगह से जीते तो कौन सी सीट अपने पास रखेंगे, वडोदरा या वाराणसी? किन्तु भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथसिंह ने चुनाव से ठीक पहले वाराणसी जाकर घोषणा कर दी कि दोनों सीट से चुनाव जीतने पर मोदी वाराणसी सीट अपने पास रखेगें, उनकी इस घोषणा ने वाराणसी में मोदी के पक्ष में जबर्दस्त माहौल बना दिया।
उल्लेखनीय है कि भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी बारह साल से गुजरात के मुख्यमंत्री हैं। दुनिया की प्रतिष्ठित पत्रिका 'टाइम' की 2014 की टॉप 100 प्रभावशाली शख्सियतों की सूची में शामिल नरेन्द्र मोदी को जबसे भाजपा ने प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोषित किया है तबसे विरोधी दलों ने उन पर 'हमले' तेज कर दिए हैं। गुजरात दंगों, इशरत जहां एनकाउंटर और महिला की कथित रूप से जासूसी कराए जाने आदि को लेकर लगातार उन्हें घेरा जा रहा था, किन्तु चुनाव आते-आते यह सारे प्रश्न हवा से गायब हो गए।
वाराणसी में 1991 में भाजपा ने जो विजय पताका लहराई तो 1996, 98 व 99 में सीट उसी के कब्जे में रही। 2204 में जरूर यहां से कांग्रेस के डॉ. राजेश मिश्र जीते परंतु 2009 में फिर यह सीट भाजपा के कब्जे में आ गई और उसके प्रत्याशी डॉ. मुरली मनोहर जोशी विजयी हुए, उन्हें मत मिले 2,03,122। पिछले लोस चुनाव में मुख्तार अंसारी बसपा से लड़े थे और दूसरे नंबर पर रहे थे, उन्हें मत मिले थे 1,85,911, यानी डॉ. मुरली मनोहर जोशी केवल 17,211 मतों से जीते। नरेंद्र मोदी कितने मतों से जीतेंगे इस पर भी सबकी नजर रहेगी।
कांग्रेस ने लगातार पांच बार से विधायक अजय राय को मैदान में उतारा है। अजय राय ने 1996 में भाकपा के दिग्गज नेता और नौ बार के विधायक रहे ऊदल को हराकर कोलअसला विस सीट छीनी थी। इसके बाद इसी विस सीट से वे भाजपा के टिकट पर तीन बार और चौथी बार निर्दलीय विधायक चुने गए। अजय राय पांचवीं बार कांग्रेस के टिकट पर पिंडरा विस क्षेत्र से विजयी हुए और अब वाराणसी से कांग्रेस के टिकट पर लोस का चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पूर्व पिछला लोस चुनाव वे सपा के टिकट पर लड़े थे। पहली लोस 1952 से लेकर 62 तक कांग्रेस यहां लगातार जीती और फिर 1971, 1980,1984 व 2004 में उसके प्रत्याशी सांसद चुने गए। पिछले चुनाव 2009 में कांग्रेस को यहाँ 66,912 मत मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय काफी दबंग छवि के माने जाते हैं। वे पूरी चुनौती के साथ चुनाव लड़े हैं। बताया जाता है कि प्रियंका गांधी से वार्ता होने एवं चुनाव में पार्टी की ओर से पूरी मदद मिलने के आश्वासन के बाद ही वे मोदी के मुकाबले मैदान में उतरे।
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बनारस में मोदी की सुनामी चली है, लेकिन...
वाराणसी लोस के अन्तर्गत रोहनिया, वाराणसी उत्तरी, वाराणसी दक्षिणी, वाराणसी कैन्ट एवं सेवापुरी विस क्षेत्र आता है। यहाँ कुल 16,09,460 मतदाता हैं। हालांकि बनारस में मोदी की सुनामी चली है, लेकिन हकीकत 16 मई को ही सामने आ पाएगी।
वर्ष | विजेता | पार्टी |
1952 | बाबू रघुनाथसिंह | कांग्रेस |
1957 | बाबू रघुनाथसिंह | कांग्रेस |
1962 | बाबू रघुनाथसिंह | कांग्रेस |
1967 | सत्य नारायणसिंह | भाकपा |
1971 | राजाराम शास्त्री | कांग्रेस |
1977 | चंद्रशेखर सिंह | जनता पार्टी |
1980 | पंडित कमलापति त्रिपाठी | कांग्रेस |
1984 | श्यामलाल यादव | कांग्रेस |
1989 | अनिल शास्त्री | जनता दल |
1991 | श्रीशचन्द्र दीक्षित | भाजपा |
1996 | शंकर प्रसाद जायसवाल | भाजपा |
1998 | शंकर प्रसाद जायसवाल | भाजपा |
1999 | शंकर प्रसाद जायसवाल | भाजपा |
2004 | डॉ. राजेश मिश्र कांग्रेस | कांग्रेस |
2009 | डॉ. मुरली मनोहर जोशी | भाजपा |