कश्मीर में वोटरों की अंगुलियां काटीं!

सुरेश एस डुग्गर
सोमवार, 12 मई 2014 (12:46 IST)
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कुपवाड़ा। राज्य में अलगाववादियों द्वारा मतदान का बहिष्कार करने के फरमान का उल्लंघन कर लोकसभा चुनावों में मतदान करने वाले लोगों को शुक्रवार को पीटा गया, महिलाओं के सामने नंगा कर दिया गया। नकाबपोश लोगों ने कुपवाड़ा से बाहर जा रहे लोगों के एक गुट पर हमला किया और जिन लोगों की अंगुलियों पर मतदान की स्याही दिखी, उन्हें काट दिया गया।

कुपवाड़ा के एक 36 वर्षीय श्रमिक, इम्तियाज अहमद अपने आठ साथियों के साथ गुरुवार की सुबह सोपोर के लिए रवाना हुआ था। उसे सोपोर से श्रीनगर जाना था। सोपोर कस्बे से पांच मिनट के रास्ते पर सीलो के पास करीब 15 नकाबपोश रास्ते के बीचोंबीच खड़े थे। इन लोगों के हाथों में लोहे की छड़ें, लाठियां और कटारें थीं। इन लोगों ने जबर्दस्ती वाहन को रुकवाया। अहमद का कहना है कि पहले उसने समझा ‍कि ये लोग सिविल ड्रेस में जम्मू कश्मीर पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स के कर्मचारी हैं। लेकिन, जब मैंने उनके चेहरे पर गौर से देखा तब मालूम पड़ा कि वे सभी नौजवान थे और सभी ने नकाब पहन रखा था।

जैसे ही कार रुकी, नकाबपोशों ने यात्रियों से कहा कि वे अपनी तर्जनी दिखाएं। सबसे पहले अहमद को कार से घसीटकर बाहर निकाला गया क्योंकि उसकी अंगुली पर स्याही लगी थी और वह वोट डाल चुका था। अहमद से कहा गया कि वह पास वाले एक लिंक रोड के पास खड़ा हो जाए जहां पर चार लोगों ने उसका हाथ पकड़ा और उसकी अंगुली को इस तरह से छील दिया मानो वे ब्लेड से कोई पैंसिल छील रहे हों।

अहमद का कहना है कि मैं एक बच्चे की तरह रो पड़ा। मैंने राजनीतिक नेताओं को कोसा, अपने आप को कोसा लेकिन उन्हें कुछ नहीं कह सका जिन्होंने मेरी अंगुली काट दी थी। वे मेरे सामने ही खड़े थे और मेरी अंगुली से तेजी से खून बह रहा था। एक स्कूल टीचर ने डरते हुए नकाबपोशों से कहा कि उसे छोड़ दें, लेकिन उन्होंने उसे ही बुरी तरह पीटा।

अपनी अंगुली पर पट्‍टी बांधे हुए अहमद ने फर्स्ट पोस्ट डॉट कॉम को बताया कि उत्तरी कश्मीर में अंगुलियां काटे जाने की अकेली घटना नहीं थी। ऐसी कई घटनाएं बारामुला कस्बे में भी हुईं हैं। सोपोर और बारामुला में पुलिस ने इन नकाबपोशों का पीछा किया, लेकिन वे उन्हें नहीं पकड़ सके। यह सब मतदान वाले दिन के बाद हुआ। उत्तरी कश्मीर के बारामुल्ला लोकसभा चुनाव क्षेत्र में 39.06 प्रतिशत वोट डाले गए।

यहां मतदाताओं को महिलाओं के सामने नंगा घुमाया... पढ़ें अगले पेज पर...


चुनाव का विरोध करने वालों ने बारामुला के आजादगंज एरिया के पास एक फॉरेस्ट चेक पोस्ट पर एक वाहन को रोका। जिन लोगों ने मतदान किया था, उन्हें नंगा कर दिया गया और उन्हें गलियों में महिलाओं के सामने नंगा घुमाया गया। इस घटना के प्रत्यक्षदर्शियों ने फर्स्ट पोस्ट को बताया कि दो दशकों में कश्मीर में इस तरह की यह पहली घटना है जब मतदान करने वालों को बुरी तरह पीटा गया, उन्हें शर्मिंदा किया गया।

अशांत कश्मीर में मतदाताओं के खिलाफ हिंसा की इन घटनाओं ने तीन कस्बों के लोगों को एक दूसरे के खिलाफ भी खड़ा कर दिया। इस तरह की घटनाओं के विरोध में कुपवाड़ा के लोगों ने सोपोर के रहने वाले दुकानदारों और सामान बेचने वालों को मारपीट कर खदेड़ दिया। कुपवाड़ा बस स्टैंड पर एक ड्राइवर आफाक मीर का कहना है़ कि वे (सोपोर के रहने वाले) लोग अब कुपवाड़ा में कदम नहीं रख सकते हैं। हम देखते हैं कि वे अब यहां कैसे काम करते हैं? हमने ड्राइवरों को भी चेतावनी दे दी है कि वे कस्बे में प्रवेश नहीं करें। अगर वे ऐसा करते हैं तो उन्हें इसका परिणाम भुगताना होगा।

कुपवाड़ा में मतदान करने वाले लोगों का कहना है कि वोट देना उनका अधिकार है और प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि इन बदमाशों को गिरफ्तार किया जाए। बारामुला के आजाद गंज क्षेत्र में पीटे गए अब्दुल लतीफ का कहना है कि वोट देने पर उन्हें कोई शर्मिंदगी नहीं है क्योंकि उनके गांव में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं।

वे कहते हैं कि वे विरोध करना चाहते थे जो कि उनका अधिकार है और हम अपने अधिकार के चलते वोट डालना चाहते थे। लतीफ यह भी कहते हैं कि आप लोगों की अंगुलियों को नहीं काट सकते हैं और यह कहकर इसे उचित नहीं ठहरा सकते हैं कि हम द्रोही हैं। कस्बों और शहरों के लोगों को उनके घर के सामने सारी सुविधाएं मिल जाती हैं। हमें गांवों में प्रतिदिन संघर्ष करना पड़ता है। यह केवल इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कि विधानसभा चुनावों में लोग मतदान नहीं करें।

बारामुला के विधायक मुजफ्फर हुसैन बेग और लोकसभा के लिए पीडीपी के प्रत्याशी ने फर्स्ट पोस्ट से कहा कि न केवर बारामुल्ला में वरन सोपोर में भी पुलिस की मौजूदगी के बावजूद बदमाश और अलगाववादियों का मतदाताअओं के साथ दुर्व्यवहार जारी रहा। उनका कहना है कि भारत सरकार का इन अपराधियों को लेकर रवैया बहुत ही मुलायम रहा है। इसे लोकतंत्र और सार्वभौमिकता ने नाम पर लोगों को ऐसे कामों में लिप्त होने की आजादी नहीं देनी चाहिए।

लोगों ने सत्तारूढ़ दल और प्रशासन के कुछ तत्वों और कुछ तथाकथित धार्मिक और अलगाववादी संगठनों की साठगांठ ने बारामुल्ला में ऐसी स्थिति पैदा की है। जिन लोगों ने मतदान किया है, आज उन लोगों के लिए ये लोग कोई मायने नहीं रखते हैं, जिनके कारण उनके साथ जानवरों का सा व्यवहार किया जा रहा है, उनकी हड्‍डियां तोड़ी जा रही हैं और प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहता है।
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