नवरात्रि में करने जा रहे हैं साधना तो रखें 9 बातों का ध्यान

अनिरुद्ध जोशी
शुक्रवार, 27 सितम्बर 2019 (14:07 IST)
नवरात्रि का पर्व साधना और भक्ति का पर्व है। वर्ष में चार नवरात्रियां अर्थात 36 रात्रियां होती हैं। इसमें से चैत्र एवं अश्‍विन माह की नवरात्रियां गृहस्थों की साधना के लिए और आषाढ़ एवं पौष की नवरात्रियां साधुओं द्वारा की जा रही गुप्त साधना के लिए होती है। आओ जानते हैं साधना का 9 रहस्य।
 
 
1.उपवास : नवरात्रियों में कठिन उपवास और व्रत रखने का महत्व है। उपवास रखने से अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई हो जाती है। इन नौ दिनों में भोजन, मद्यमान, मांस-भक्षण और स्‍त्रिसंग शयन वर्जित माना गया है। उपवास रखकर ही साधना की जा सकती है। उपवास में रहकर इन नौ दिनों में की गई हर तरह की साधनाएं और मनकामनाएं पूर्ण होती है।

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2.रात्रि में साधना : नवरात्र शब्द से 'नव अहोरात्र' अर्थात विशेष रात्रियों का बोध होता है। इन रात्रियों में प्रकृति के बहुत सारे अवरोध खत्म हो जाते हैं। दिन की अपेक्षा यदि रात्रि में आवाज दी जाए तो वह बहुत दूर तक जाती है। इसीलिए इन रात्रियों में सिद्धि और साधना की जाती है। इन रात्रियों में किए गए शुभ संकल्प सिद्ध होते हैं।
 
3.साधना के लिए देवी का चयन : यदि आप नवरात्रि में किसी भी प्रकार की साधना कर रहे हैं तो पहले आपको साध्य देवी का चयन करना होगा। देवियों में अम्बिका, सती, पार्वती, उमा, काली और दशमहाविद्याएं हैं। नवरात्रि में देवियों की ही साधना होती है। जो व्यक्ति किसी पिशाचनी, यक्षिणी, अप्सरा आदि का इन नवरात्रियों से कोई संबंध नहीं है।
 
4.दो तरह की साधनाएं : वैसे तो नवरात्रि में कई तरह की साधनाएं होती हैं लेकिन दो तरह की साधनाएं प्रमुख होती है। पहली दक्षिणमार्गी साधना और दूसरी वाममार्गी साधना। गायत्री और योगसम्मत दक्षिणमार्गी साधनाएं होती है। शैव, नाथ और शक्त संप्रदाय में वाममार्गी अर्थात तांत्रिक साधनाओं का उल्लेख मिलता है। किसी भी प्रकार की साधना करने के लिए सही ज्ञान और गुरु का होना जरूरी होता है। उपरोक्त साधना को देवी और इससे अलग प्रकार की साधना को आसुरी साधना कहते हैं। इस तरह परा और अपरा नाम से दो तरह की साधनाएं होती हैं।
 
 
5. नवदुर्गा साधना :  माता दुर्गा की यह सात्विक साधना होती है जिसे नवरात्रि में किया जाता है। ये नौ दुर्गा है- 1.शैलपुत्री, 2.ब्रह्मचारिणी, 3.चंद्रघंटा, 4.कुष्मांडा, 5.स्कंदमाता, 6.कात्यायनी, 7.कालरात्रि, 8.महागौरी और 9.सिद्धिदात्री। उक्त देवियों की साधना और भक्ति को सामान्य तरीके से यज्ञ, हवन आदि से किया जाता है।

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6. दश महाविद्या की साधनाएं : तांत्रिक साधनाएं भी होती, जिसे नवरात्रि में किया जाता है। तांत्रिक साधनाओं में दशमहा विद्याओं की साधना करते हैं:- 1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4.भुवनेश्वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6.त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला देवी की पूजा करते हैं। खासकर इनकी साधनाएं गुप्त नवरात्र में करते हैं।
 
 
7.तांत्रिक साधना से सावधान : सबसे पहली बात तो यह कि आप क्यों तंत्र साधना करना चाहते हैं? जब आपका यह 'क्यों' स्पष्ट हो जाए तब आप उक्त साधना से संबंधित किताबों का अध्ययन करें। किताबों का अध्ययन करने के बाद आप किसी योग्य तंत्र साधन को खोजे। संभव: यह आपको हिन्दू धर्म के संन्यासी समाज के मुख्‍य 13 अखाड़ों के संन्यासियों में मिल जाएंगे। उन्हीं के सानिध्य में रहकर ही तंत्र साधना करें।
 
 
8.साधारण साधना : नवदुर्गा में गृहस्थ मनुष्य को साधारण साधना ही करना चाहिए। इस दौरान उसे घट स्थापना करके, माता की ज्योत जलाकर चंडीपाठ, देवी महात्म्य परायण या दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। इन नौ दिनों के दौरान माता के मंत्र का जाप करते हुए व्यक्ति को उपवास और संयम में रहना चाहिए। सप्तमी, अष्टमी और नौवमी के दिन कन्या पूजन करके उन्हें अच्‍छे से भोजन ग्रहण कराना चाहिए। अंतिम दिन विधिवत रूप से साधना और पूजा का समापन करके हवन करना चाहिए।
 
 
9.साधना में सावधानी : यदि आपने 9 दिनों तक साधान का संकल्प ले लिया है तो उसे बीच में तोड़ा नहीं जा सकता। मन और विचार से पवित्रता बनाकर रखें। छल, कपट प्रपंच और अपशब्दों का प्रयोग ना करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें, गलत लोगों की संगति ना करें। साधना में किसी भी प्रकार की गलती माता को क्रोधित कर सकती है। यदि आप इस दौरान बीमार पड़ जाते हैं, आपको अचानक ही कहीं यात्रा में जाना है या घर पर किसी भी प्रकार का संकट आ जाता है तो इस दौरान उपवास तोड़ना या साधना छोड़ना क्षम्य है, लेकिन यह किसी जानकार से पूछकर ही करें।

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