नवरात्रि में उपवास के 5 नियम जान लें वर्ना पछताएंगे

अनिरुद्ध जोशी
शनिवार, 28 सितम्बर 2019 (14:38 IST)
व्रत ही तप है। यह उपवास भी है। हालांकि दोनों में थोड़ा फर्क है। व्रत में मानसिक विकारों को हटाया जाता है तो उपवास में शारीरिक। मानसिक और शारीरिक दोनों ही तरह के संयम का नवरात्रि में पालन करना जरूरी है अन्यथा आप नवरात्रि में व्रत या उपवास ना ही रखें तो अच्‍छा है। आओ जानते हैं इसके नियम।
 
 
मानसिक संयम:
1.इन नौ दिनों में स्‍त्रिसंग शयन वर्जित माना गया है। 
2.इन नौ दिनों में किसी भी प्रकार से क्रोध ना करें।
3.इन नौ दिनों में बुरा देखा, सुनना और कहना छोड़ दें।
4.इन नौ दिनों में पवित्रता का ध्यान रखें।
5.इन नौ दिनों में किसी भी प्रकार से किसी महिला या कन्या का अपमान न करें।

 
शारीरिक संयम:
उपवास कई प्रकार के होते हैं। 1.प्रात: उपवास, 2.अद्धोपवास, 3.एकाहारोपवास, 4.रसोपवास, 5.फलोपवास, 6.दुग्धोपवास, 7.तक्रोपवास, 8.पूर्णोपवास, 9.साप्ताहिक उपवास, 10.लघु उपवास, 11.कठोर उपवास, 12.टूटे उपवास, 13.दीर्घ उपवास, 14.पाक्षिक व्रत 15.त्रैमासिक व्रत 16.छह मासिक व्रत और 17.वार्षिक व्रत।
 
1.नवरात्रि के दौरान रसोपवास, फलोपवास, दुग्धोपवास, लघु उपवास, अद्धोपवास और पूर्णोपवास किया जाता है। जिसकी जैसी क्षमता होती है वह वैसा उपवास करता है।
 
2.अधोपवास- इन नौ दिनों में अधोपवास अर्थात एक समय भोजन किया जाता है जिसमें बगैर लहसुन वह प्याज का साधारण भोजन किया जाता है। वह भी सूर्योस्त से पूर्व। बाकी समय सिर्फ जल ग्रहण किया जाता है।
 
3.पूर्णोपवास- बिलकुल साफ-सुथरे ताजे पानी के अलावा किसी और चीज को बिलकुल न खाना पूर्णोपवास कहलाता है। इस उपवास में उपवास से संबंधित बहुत सारे नियमों का पालन करना होता है। इस कठिन उपवास को करने वाले नौ दिन कहीं भी बाहर नहीं जाते हैं।
 
 
4.बहुत से लोग अधोपवास में एक समय भोजन और एक समय साबूदाने की खिचड़ी खा लेते हैं। कुछ लोग दोनों ही समय भरपेट साबूदाने की खिचड़ी या राजगिरे के आटे की रोटी और भींडी की सब्जी खा लेते हैं। ऐसा करना किसी भी तरह से व्रत और उपवास के अंतर्ग नहीं आता है। उपवास वास का अर्थ होता है एक समय या दोनों समय भूखे रहना। लेकिन लोगों के अपनी सुविधानुसार रास्ते निकाल लिए हैं जो कि अनुचित है।
 
 
5.इन नौ दिनों में यदि आप उपवास नहीं भी कर रहे हैं तो भी आपको मद्यपान, मांस-भक्षण और मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए।

कभी भी भोजन करने, दुध या रस पीने के बाद माताजी की पूजा नहीं करना चाहिए। माता की पूजा जूठे मुंह नहीं करते हैं।
 
नवरात्रियों में कठिन उपवास और व्रत रखने का महत्व है। उपवास रखने से अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई हो जाती है। उपवास में रहकर इन नौ दिनों में की गई हर तरह की साधनाएं और मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Guru Nanak Jayanti 2024: कब है गुरु नानक जयंती? जानें कैसे मनाएं प्रकाश पर्व

Dev diwali 2024: कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली रहती है या कि देव उठनी एकादशी पर?

शमी के वृक्ष की पूजा करने के हैं 7 चमत्कारी फायदे, जानकर चौंक जाएंगे

Kartik Purnima 2024: कार्तिक मास पूर्णिमा का पुराणों में क्या है महत्व, स्नान से मिलते हैं 5 फायदे

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

सभी देखें

धर्म संसार

Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है श्रीकृष्‍ण पूजा का शुभ मुहूर्त?

Dev Diwali 2024: वाराणसी में कब मनाई जाएगी देव दिवाली?

Pradosh Vrat 2024: बुध प्रदोष व्रत आज, जानें महत्व और पूजा विधि और उपाय

Surya in vrishchi 2024: सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर, 4 राशियों के लिए बहुत ही शुभ

Aaj Ka Rashifal: 13 नवंबर के दिन किन राशियों को मिलेगी खुशखबरी, किसे होगा धनलाभ, पढ़ें 12 राशियां

अगला लेख
More