चैत्र नवरात्रि : जानिए घटस्थापना के मंगलमयी मुहूर्त

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
दैविक साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ है नवरात्रि पर्व :
 
चैत्र शुक्ल पक्ष 18 मार्च 2018 की प्रतिपदा से चैत्र नवरात्र का प्रारंभ हो रहा है। इस बार नवरात्रि रविवार को पड़ रही है। इस दिन शुभ का चौघड़िया प्रात: 8.39 से 10.03 तक है तथा 12.53 से 14.18 तक चंचल, 14.18 से 15.43 तक लाभ, 15.43 से 17.08 तक अमृत है। इसके बाद शाम 18.32 से 20.08 तक है लाभ का चौघड़िया। घरों में शुभ में घटस्थापना करना श्रेष्ठ रहता है।
 
चैत्र नवरात्रि के आरंभ के दिन 18 मार्च से ही मां भगवती के 9 रूपों का पूजन-अर्चन शुरू होगा। इस बार 9 नहीं, बल्कि 8 दिन मिलेंगे। अबकी अष्टमी-नवमी साथ-साथ हैं।
 
विशेष- इस वर्ष वासंत नवरात्रि का अंतिम व्रत और पारणा भी 25 मार्च, रविवार को ही है।
 
चैत्र नवरात्रि 18 मार्च से शुरू होने जा रहे हैं। इस बार अष्टमी-नवमी एकसाथ व 8 दिन का नवरात्रि होने से 26 मार्च, सोमवार को पारणा होगा। चैत्र नवरात्रि में साधक लोगों के लिए अबकी बार 9 के बजाए 8 दिन तक साधना व मंत्रानुष्ठान का समय मिलने से पूर्ण जप-तप करके पूर्णाहुति भी पूर्ण विधि-विधान से उसी दिन होगी।
 
विशेष- इस बार 8 दिन मिलने से अष्टमी-नवमी का पूजन समयानुसार करना चहिए।
 
नवरात्रि आह्वान है शक्ति की शक्तियों को जगाने का ताकि हम में देवी शक्ति की कृपा होकर हम सभी संकटों, रोगों, दुश्मनों व अप्राकृतिक आपदाओं से बच सकें। शारीरिक तेज में वृद्धि हो, मन निर्मल हो व आत्मिक, दैविक व भौतिक शक्तियों का लाभ मिल सके।
 
चैत्र नवरात्रि पर मां भगवती जगत-जननी का आह्वान कर दुष्टात्माओं का नाश करने हेतु मां को जगाया जाता है। प्रत्येक नर-नारी, जो हिन्दू धर्म की आस्था से जुड़े हैं, वे किसी न किसी रूप में कहीं-न-कहीं देवी की उपासना करते ही हैं। फिर वे चाहे व्रत रखें, मंत्र जाप करें, अनुष्ठान करें या अपनी-अपनी श्रद्धा-भक्तिनुसार कर्म करें।
 
वैसे मां के दरबार में चैत्र व आश्विन मास में पड़ने वाले दोनों ही शारदीय नवरात्रि में धूमधाम रहती है। सबसे अधिक आश्विन मास में जगह-जगह गरबों व देवी प्रतिमा स्थापित करने की प्रथा है। चैत्र नवरात्रि में घरों में देवी प्रतिमा की घटस्थापना करते हैं व इसी दिन से नववर्ष की वेला शुरू होती है।
 
महाराष्ट्रीयन समाज इस दिन को 'गुड़ी पड़वा' के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। घर-घर में उत्साह का माहौल रहता है। कुछ साधकगण भी शक्तिपीठों में जाकर अपनी-अपनी सिद्धियों को बल देते हैं। अनुष्ठान व हवन आदि का भी पर्व होता है। कुछेक अपनी वाक् शक्ति को बढ़ाते हैं, तो कोई अपने शत्रु से राहत पाने हेतु मां बगुलामुखी का जाप-हवन आदि करते हैं। कोई काली उपासक है, तो कोई नवदुर्गा उपासक। कुछ भी हो, किसी न किसी रूप में पूजा तो देवी की ही रहती है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

क्या गया जी श्राद्ध से होती है मोक्ष की प्राप्ति !

Budh asta 2024: बुध अस्त, इन राशियों के जातकों के लिए आने वाली है मुसीबत, कर लें ये उपाय

Weekly Horoscope: इस हफ्ते किसे मिलेगा भाग्य का साथ, जानें साप्ताहिक राशिफल (मेष से मीन राशि तक)

श्राद्ध पक्ष कब से प्रारंभ हो रहे हैं और कब है सर्वपितृ अमावस्या?

Shani gochar 2025: शनि के कुंभ राशि से निकलते ही इन 4 राशियों को परेशानियों से मिलेगा छुटकारा

सभी देखें

धर्म संसार

Shardiya navratri 2024: शारदीय नवरात्रि प्रतिपदा के दिन जानिए घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

20 सितंबर 2024 : आपका जन्मदिन

20 सितंबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

16 shradh paksha 2024: पितृ पक्ष का चौथा दिन : जानिए तृतीया श्राद्ध तिथि का महत्व और इस दिन क्या करें

Indira ekadashi 2024: इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व एवं पारण का समय क्या है?

अगला लेख
More