कैसे करें पुस्तक पर स्थापित मां सरस्वती का आवाहन, जानें पूजा विधि और मंत्र

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Saraswati Avahan 2023: आज शारदीय नवरात्रि पर्व के अंतर्गत सरस्वती पूजा का पहला दिन है, जिसे सरस्वती आवाहन के नाम से जाना जाता है। इस दिन पुस्तक पर स्थापित मां सरस्वती का आह्वान किया जाता है तत्पश्चात अगले 3 दिनों में उनका पूजन और विसर्जन किया जाता है। इस बार शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2023 को शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है और इस दिन मां सरस्वती का आह्वान किया जाएगा। 
 
धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि के आखिरी चार दिनों की पूजा की तिथियों के दौरान सरस्वती आवाहन, सरस्वती पूजन, सरस्वती बलिदान और सरस्वती विसर्जन का विधान है। हिन्दू धर्म में मां सरस्वती को ज्ञान और विद्या की देवी तथा कला, साहित्य और वाणी की देवी भी माना जाता हैं। इसी कारण शिक्षा के क्षेत्र में सफलता के लिए इस नवरात्रि के दौरान मां सरस्वती की आराधना प्रमुख रूप से की जाती है। अत: नवरात्रि के दिनों में माता सरस्वती का पूजन करने से ज्ञान, विद्या, संगीत, वाणी और शांति की प्राप्ति होती हैं।

नवरात्रि पर्व की सप्तमी तिथि मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए सबसे खास दिन माना गया है। इस दिन कालरात्रि माता के साथ-साथ माता सरस्वती का पूजन-अर्चन करने से माता प्रसन्न होती है तथा राहु से संबंधित सभी अनिष्ट समाप्त होते हैं।

जिस तरह नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से राहु के अशुभ फल दूर होते हैं। उसी तरह सप्तमी की तिथि को सरस्वती पूजन किया जाता है। ज्योतिष में राहु छाया ग्रह है और देवी दुर्गा को छायारूपेण कहा गया है। शास्त्रों के अनुसार राहु के लिए इष्ट देवी मां सरस्वती को माना गया है। लाल किताब में दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय में राहु का अचूक उपाय बताया गया है। मां को अतिप्रिय नारियल भी राहु का ही प्रतीक है। 
 
आइए जानते हैं यहां पूजन विधि और मंत्र- 
 
पूजन विधि-sarasvati puja 
 
• सरस्वती पूजा करने के लिए सबसे पहले एक पटिए पर लाल कपड़ा बिछाकर सरस्वती माता की प्रतिमा या तस्वीर रखें। 
• नवरात्रि में देवी सरस्वती के पूजन के समय कलश के पास एक नारियल जरूर रखें।
• मां सरस्वती को नीले पुष्प एवं अक्षत अर्पित करें। 
• सप्तमी के दिन काले हकीक की माला से दक्षिण-पश्चिम दिशा की तरफ मुंह रखकर राहु के बीज मंत्र- ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: का जप करें।
• सप्तमी तथा दुर्गाष्टमी के दिन सायंकाल के समय सरस्वती मंत्र, आरती, चालीसा तथा दुर्गा चालीसा, दुर्गा कवच, अर्गलास्तोत्र, कीलक स्तोत्र आदि सहित दुर्गा  
• सप्तशती का विधिपूर्वक संपूर्ण पाठ करें। तपश्चात हवन करें। 
• हवन करते समय नीले पुष्प, सुपारी, पान, कमल गट्टा, जायफल, लौंग, छोटी इलायची, जौं, काले तिल, काली मिर्च, गूगल, शहद, घी की आहुति दें। 
• हवन में 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' मंत्र की 108 आहुति, 'ॐ छौं छीं छौं स: राहवे स्वाहा' मंत्र की सूखी हुई दूब से 108 आहुति जरूर दें। अंत में नारियल की पूर्ण  
• आहुति दें। 
• देवी सरस्वती पूजन के समय उन्हें गन्ना, कद्दू, अन्य फल या सब्जियां चढ़ाकर गरीबों को दान करें। 
• इस दिन सरस्वती माता को मालपुए या खीर का भोग लगाएं।
• इस दिन नर्वाण मंत्र 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' का शाम को 108 बार जप करें।
 
मंत्र- 
- 'ह्रीं ॐ ह्सौः ॐ सरस्वत्यै नमः'
- सरस्वती एकाक्षरी बीज मंत्र- 'ऐं'
- श्री सरस्वती गायत्री मंत्र- ॐ ऐं वाग्दैव्यै विद्महे कामराजाय धीमही तन्नो देवी प्रचोदयात।
- 'ॐ ऎं नमः'
- 'ॐ ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः'
- 'वद वद वाग्वादिन्यै स्वाहा'
 
साथ ही उपरोक्त मंत्रों का जाप करना ना भूलें। 

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