बीएमसी में उलझा पेंच, क्या शिवसेना को मिलेगा कांग्रेस का साथ...

Webdunia
शनिवार, 25 फ़रवरी 2017 (13:04 IST)
मुंबई। देश के सबसे अमीर निकाय बीएमसी चुनावों में स्पष्ट बहुमत ना मिलने के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस में इस बात के पक्ष में आवाजें उठ रही है कि उसे बीएमसी में शिवसेना को उसके उम्मीदवार को महापौर बनाने में मदद करने के विकल्प पर विचार करना चाहिए।
 
227 सदस्यीय सदन में केवल 31 सीटें पाने वाली कांग्रेस के अभी किसी निर्णय पर पहुंचने की संभावना नहीं है। वह पांच राज्यों के अहम चुनावों के समाप्त होने का इंतजार कर रही है।
 
बृहस्पतिवार को हुए मतदान के बाद शिवसेना बीएमसी में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उसके पास 87 पाषर्द है और निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले पार्टी के तीन बागी पार्षद भी कल उसके खेमे में शामिल हो गए। इससे बीएमसी में शासन के लिए जरूरी 114 सीटों का जादुई आंकड़ा छूने के उद्धव ठाकरे के प्रयासों को थोड़ा बल मिला है। वह लगातार यह कहते रहे हैं कि बीएमसी में शिवसेना का ही मेयर बनेगा।
 
कांग्रेस के एक प्रदेश पदाधिकारी ने कहा, 'पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि भाजपा के मुकाबले शिवसेना कम बुरी है।' बहरहाल, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों का परिणाम आने तक कांग्रेस इस बार में सार्वजनिक चर्चा या बयान देने से बचेगी। पार्टी शिवसेना का साथ देने के कदम के राजनीतिक निहितार्थ पर विचार कर रही है।
 
वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि पार्टी ने अभी इस मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया है जबकि एमपीसीसी प्रमुख अशोक चह्वाण इस बारे में कोई बयान देने से बचते नजर आए।
 
शिवसेना का समर्थन करने के बारे में कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व भगवा पार्टी के साथ खुले या गोपनीय तौर पर गठबंधन करने के फायदे और नुकसान पर विचार करने के बाद अंतिम निर्णय लेगा। शिवसेना कुछ मुद्दों पर अपने आक्रामक रूख के लिए जानी जाती है जो कांग्रेस के रूख के बिलकुल विपरीत है।
 
दूसरी ओर मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस के नेतृत्व में अकेले चुनाव लड़ने वाली भाजपा को बीएमसी में 82 सीटें मिली है। भाजपा ने कहा कि वह बीएमसी प्रशासन में पारदर्शिता के मुद्दे पर समझौता नहीं करना चाहती है।
 
मुंबई भाजपा अध्यक्ष आशीष शेलार ने बीएमसी में बहुमत पर पहुंचने के लिए कांग्रेस के साथ किसी तरह के गठजोड़ को खारिज कर दिया।
 
बीएमसी चुनावों में शिवसेना ने 84 (अब 87), भाजपा ने 82 सीटें जीती और कांगेस 31 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रही जबकि एनसीपी ने नौ और राज ठाकरे के नेतृत्व वाली एमएनएस ने सात सीटें हासिल की है। इसके अलावा एआईएमआईएम को दो सीटें मिली, समाजवादी पार्टी को छह, अखिल भारतीय सेना को एक और निर्दलीयों को पांच सीटें मिली है। पांच निर्दलीयों में से तीन अब शिवसेना में शामिल हो गए हैं। (भाषा)  
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