samashti gubbi and sanskrit : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में कर्नाटक की समष्टि गुब्बी का जिक्र किया। वे संस्कृत भाषा को लोकप्रिय बनाने के लिए 3 साल से अधिक समय से कड़ी मेहनत कर रही हैं।
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प्रधानमंत्री ने संस्कृत को बोलचाल की भाषा बनाने के गुब्बी के प्रयासों का उल्लेख किया। संस्कृत के बारे में बात करते हुए मोदी ने कहा कि इस भाषा ने प्राचीन भारतीय ज्ञान और विज्ञान की प्रगति में बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि आजकल ऐसा ही एक प्रयास बेंगलुरु में कई लोग कर रहे हैं।
मोदी ने कहा कि बेंगलुरु में एक पार्क है - कब्बन पार्क। इस पार्क में यहां के लोगों ने एक नई परंपरा की शुरुआत की है। यहां हफ्ते में एक दिन, हर रविवार को बच्चे, युवा और बुजुर्ग आपस में संस्कृत में बात करते हैं। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, यहां वाद-विवाद के कई सत्र भी संस्कृत में ही आयोजित किए जाते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पहल का नाम संस्कृत वीकेंड है। समष्टि गुब्बी जी ने एक वेबसाइट के जरिए इसकी शुरुआत की। कुछ दिन पहले ही शुरू किया गया यह प्रयास बेंगलुरुवासियों के बीच देखते ही देखते काफी लोकप्रिय हो गया है। उन्होंने कहा कि अगर हम सब इस तरह के प्रयास से जुड़ें तो हमें विश्व की इतनी प्राचीन और वैज्ञानिक भाषा से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने जब देशवासियों से इस प्राचीन भाषा को बढ़ावा देने के लिए गुब्बी से सीखने का आग्रह किया तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। गुब्बी ने कहा कि जब प्रधानमंत्री ने मेरे प्रयासों की सराहना की तो यह मेरे लिए खुशी का क्षण था। मैं पिछले कई वर्षों से संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के लिए काम कर रही हूं।
संस्कृत में MA की डिग्री हासिल करने वाली गुब्बी लोगों को यह भाषा सिखा रही हैं। उन्होंने संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए 2021 में स्थायी डॉट इन नामक एक पोर्टल शुरू किया था।
उन्होंने कहा कि हम संस्कृत भाषी लोगों के लिए मोटरसाइकिल यात्रा का आयोजन करते हैं। हमारा एक संस्कृत बैंड भी है जहां हम बॉलीवुड और कन्नड़ फिल्म के गीतों को संस्कृत में अनुवाद करते हैं और उन्हें बजाते हैं। कब्बन पार्क में उनके संस्कृत वीकेंड में 800 से 900 लोग शामिल हो चुके हैं।
यह पूछे पर कि क्या संस्कृत बोलने के लिए व्याकरण का ज्ञान जरूरी है, इस पर गुब्बी ने कहा कि जब हम बच्चे होते हैं तो किसी भाषा का व्याकरण नहीं सीखते। हम बस भाषा सीखते हैं। (भाषा)
Edited by : Nrapendra Gupta