Explainer : क्या है क्वाड, चीन का वर्चस्व कैसे करेगा कम...

Webdunia
शनिवार, 13 मार्च 2021 (12:09 IST)
चार देशों के ‘क्वाड’ समूह के पहले शिखर सम्मेलन में गठबंधन के नेताओं ने शुक्रवार को निर्णय किया कि बृहद टीका पहल के तहत हिन्द-प्रशांत क्षेत्र को कोविड-19 रोधी टीके की आपूर्ति के लिए उत्पादन क्षमता बढ़ाने को लेकर भारत में भारी निवेश किया जाएगा। इस कदम को टीके आपूर्ति के क्षेत्र में चीन के बढते प्रभाव से मुकाबले के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। क्वाड की एकजुटता को परोक्ष रूप से चीन पर शिकंजा कसने से जोड़कर देखा जा रहा है। आइए जानते हैं क्या है क्वाड, कैसे कम करेगा चीन का वर्चस्व...

ALSO READ: क्वाड विकसित हो चुका है, इसका एजेंडा वैश्विक भलाई की ताकत बनेगा : प्रधानमंत्री मोदी
क्या है क्वाड : क्वाड यानी क्वाड्रीलैटरल सिक्टोरिटी डायलॉग। यह 4 देशों भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया व अमेरिका का बहुपक्षीय समझौता है। इसका उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति की स्थापना और शक्ति का संतुलन है। वर्ष 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो एबी ने क्वाड का प्रस्ताव रखा था, जिसे भारत, अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया ने समर्थन दिया। हालांकि 10 साल तक यह संगठन निष्क्रिय ही रहा। वर्ष 2017 में एक बार फिर क्वाड सदस्य मिले और वर्ष 2019 में इनके विदेश मंत्रियों की बैठक हुई।
 
क्यों हुआ इसका गठन : साल 2007 में एशिया-प्रशांत महासागर में चीन के बढ़ते वर्चस्व को कम करने के उद्देश्य से ही इसका गठन किया गया। इस समय चीन पड़ोसी देशों को धमकाने लगा था और समुद्र में सैन्य बेस लगातार बढ़ा रहा था। जापान ने इस वजह से ही क्वाड बनाने की पहल की।
 
क्वाड के तहत प्रशांत महासागर, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में फैले विशाल नेटवर्क को जापान और भारत के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। 

ALSO READ: 'क्वाड' देशों की एकजुटता बढ़ाएगी चीन की परेशानी
क्वाड से क्यों परेशान है चीन : चीन, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में क्षेत्रीय विवादों में शामिल हैं। पूर्वी चीन सागर में जापान का चीन के साथ समुद्री विवाद है। क्वाड की सक्रियता से चीन की बौखलाहट बढ़ गई है। उसे यह भी डर सता रहा है कि इन ताकतवर देशों के पास आने से समुद्र में उसके अस्तित्व को खतरा हो सकता है।
 
चारों नेताओं ने दिखाया उत्साह : डिजिटल रूप से आयोजित इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्‍ट्रपति बाइडेन के साथ ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा भी शामिल हुए। सभी नेताओं ने भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग करने के लिए उत्साह और इच्छा व्यक्त की।
 
दरअसल, चीन का परेशान होना इसलिए भी स्वाभाविक है क्योंकि बाइडन ने परोक्ष तौर पर चीन की ओर इशारा करते हुए कहा कि हम अपनी प्रतिबद्धताओं को जानते हैं। चीन, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में क्षेत्रीय विवादों में शामिल हैं। पूर्वी चीन सागर में जापान का चीन के साथ समुद्री विवाद है। उन्होंने कहा कि हमारा क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा संचालित है, हम सभी सार्वभौमिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी दबाव से मुक्त हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

1000km दूर बैठा दुश्मन पलक झपकते तबाह, चीन-पाकिस्तान भी कांपेंगे, लैंड अटैक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण

उद्धव ठाकरे की 2 दिन में 2 बार चेकिंग से गर्माई महाराष्ट्र की सियासत, EC ने कहा- शाह और नड्डा की भी हुई जांच

महाराष्ट्र में विपक्ष पर बरसे मोदी, कहा अघाड़ी का मतलब भ्रष्टाचार के सबसे बड़े खिलाड़ी

Ayushman Card : 70 साल के व्यक्ति का फ्री इलाज, क्या घर बैठे बनवा सकते हैं आयुष्मान कार्ड, कैसे चेक करें पात्रता

बोले राहुल गांधी, भाजपा ने जितना पैसा अरबपति मित्रों को दिया उससे ज्यादा हम गरीब और किसानों को देंगे

सभी देखें

नवीनतम

LIVE: झारखंड में मतदान का उत्साह, पहले 2 घंटे में 13 फीसदी वोटिंग

विजयपुर उपचुनाव में वोटिंग शुरू होते ही कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी नजरबंद, कांग्रेस के कई बड़े नेता गिरफ्तार

तेलंगाना में बड़ा रेल हादसा, मालगाड़ी के 11 डिब्बे पटरी से उतरे

Petrol Diesel Prices: पेट्रोल डीजल के नए दाम जारी, जानें क्या हैं आपके नगर में भाव

Weather Update: पहाड़ों पर बर्फबारी से मैदानी भागों में बढ़ी ठंड, दिल्ली एनसीआर में कैसा है मौसम

अगला लेख
More