भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच वार्ता के बाद दोनों देशों के बीच S-400 डील पर हस्ताक्षर हो गए। करीब 39 हजार करोड़ रुपए की इस डील में भारत रूस से पांच S-400 एयर डिफेंस खरीदेगा, जो 2020 तक मिल जाएगा। अमेरिका की चेतावनी के बाद भी भारत ने रूस के साथ यह खास सौदा किया है। इस करार के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या अमेरिका अपने सामरिक-सहयोगी भारत पर भी चीन की तरह प्रतिबंध लगाएगा?
डील होने के तुरंत बाद अमेरिकी दूतावास ने बयान जारी तो किया लेकिन इस सौदे को लेकर सीधे कोई तीखी टिप्पणी नहीं की। उसकी ओर से यह जरूर कहा गया कि रूस का साथ देने वालों के लिए भविष्य में प्रतिबंध की नौबत आ सकती है।
अमेरिका ने अपने कानून ‘काटसा’ का हवाला देते हुए कहा कि इसका मकसद रूस के रक्षा सेक्टर में पूंजी पर अंकुश लगाना है, लेकिन अमेरिका के सहयोगियों की रक्षा क्षमताओं को नुकसान पहुंचाना नहीं। इशारा साफ है, अमेरिका भी यह समझता है कि भारत-रूस के रक्षा संबंध दशकों से है और रूस भारत का सबसे बड़ा डिफेंस पार्टनर है।
खबरों के बाद S-400 पर भारत-रूस के बीच चर्चा अमेरिकी कानून ‘काटसा’ से कई साल पहले शुरू हो चुकी थी और ऐसे में अमेरिकी कानून का प्रभाव इस पर नहीं होना चाहिए. भारत ने साल 2016 में रूस से इस सिस्टम को लेने के लिए इंटर गवर्नमेंटल एग्रीमेंट पर दस्तखत किए थे, वहीं ‘काटसा’ पिछले साल ही कानून बना है।