देश में कोरोना की त्रासदी के बीच डॉक्टरों के साथ हिंसा की खबरें भी सामने आई हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) इसे लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहा है। अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन खबरों पर सख्त रुख अख्तियार किया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि डॉक्टरों के साथ किसी भी तरह की हिंसा गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में आती है। मंत्रालय ने राज्यों को लिखे एक खत में निर्देश दिया है कि डॉक्टरों की सुरक्षा का पूरा खयाल रखा जाए।
इस खत में कहा गया है कि केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थी, जो अब एक एक्ट बन चुका है, जिसके मुताबिक डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा एक गैर जमानती और संज्ञेय अपराध है। मंत्रालय ने कहा है कि सभी राज्य सुनिश्चित करें कि चिकित्सक भयमुक्त माहौल में लोगों का इलाज कर सकें।
दरअसल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के लगभग 3.5 लाख डॉक्टर अपनी बिरादरी के सदस्यों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए एक केंद्रीय कानून की मांग को लेकर शुक्रवार को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। इसमें IMA के सदस्यों के अलावा, एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडिया, द एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया, मेडिकल स्टूडेंट्स नेटवर्क, जूनियर डॉक्टर नेटवर्क जैसे कई संगठनों ने विरोध में हिस्सा लिया।
डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के विरुद्ध केंद्रीय कानून की मांग पर दबाव बनाने के लिए बिहार और मध्य केरल में डॉक्टरों ने सुबह अपनी क्लीनिक को बंद रखा। इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए शाम को आईएमए की प्रत्येक शाखा में एक समन्वय टीम बनाने के लिए जन संवाद की व्यवस्था की गई है। आईएमए ने एक बयान में कहा, डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को देखकर हम बहुत आहत हैं। यह दिन-ब-दिन हो रहा है। आईएमए हिंसा के खिलाफ कानून के लिए दबाव बना रहा है