कटड़ा-वैष्णो देवी (जम्मू कश्मीर)। कश्मीर की ओर जाने वाले पर्यटकों की संख्या में चाहे उठक-पटक होती रही है, लेकिन वैष्णोदेवी की गुफा के दर्शनार्थ आने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि ही हो रही है। भीड़ का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस बार अभी तक पहले चार नवरात्रों में आने वालों ने 1.39 लाख को पार कर चुका था। यही कारण था कि यह अक्सर कहा जाता है कि कोई भी बाधा उनके रास्ते में रुकावट पैदा नहीं कर पाती जिनके कदम त्रिकुटा पहाड़ों में स्थित वैष्णोदेवी की पवित्र गुफा की ओर बढ़ते हैं।
वैष्णो देवी की गुफा के दर्शनार्थ आने वाले लोगों की संख्या में कितनी वृद्धि हुई है, आंकड़े इसकी पुष्टि अवश्य करते हैं। कश्मीर घाटी में कारगिल युद्ध के उपरांत प्रतिदिन जाने वालों का आंकड़ां जहां 700 और 800 के बीच ही सिमट कर रह गया, वहीं आतंकवादी गतिविधियों, करगिल युद्ध और सीमा पर युद्ध की आशंकाओं के बावजूद सामान्य रूप से वैष्णोदेवी की गुफा के दर्शनार्थ आने वालों का आंकड़ा कभी भी प्रतिदिन 4 से 6 हजार की संख्या से कम नहीं हुआ था और अब नवरात्रों के प्रथम दिन ही यह संख्या 50 हजार को पार कर गई।
यह पूरी तरह से सच है कि चाहे कश्मीर की ओर बढ़ते पर्यटकों के कदमों को आतंकवादियों की गोलियों की सनसनाहट ने रोका हो, लेकिन बमों के धमाके भी वैष्णोदेवी के श्रद्धालुओं को रोक नहीं पाए। अब तो स्थिति यह है कि वैष्णोदेवी के पवित्र तीर्थस्थल पर आने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
वैसे आजकल जबसे कश्मीर घाटी में आतंकवाद ने अपने पैर पसारे हैं, वैष्णो देवी आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या नवरात्रों के दौरान सभी आंकड़ों को पार करता जा रहा है। इस बार तो नवरात्रों के दौरान प्रतिदिन 45 से 50 हजार श्रद्धालुओं के आने के कारण लोगों को दर्शनों के लिए अपनी पारी का इंतजार भी करना पड़ रहा है। हालांकि पहले नवरात्रों के दौरान अधिक भीड़ होती थी तो अब गर्मियों में उत्तरी भारत तथा सर्दियों में महाराष्ट्र तथा गुजरात से आने वाले श्रद्धालुओं के कारण स्थानीय व्यापारियों को श्रद्धालुओं की कमी नहीं खलती है।
पहले सर्दियों में आने वालों की संख्या बहुत ही कम होती थी। भयानक सर्दी तथा अव्यवस्थाओं के चलते लोग सर्दियों के स्थान पर साल के अन्य महीनों में भी गुफा के दर्शनार्थ आते थे, लेकिन पिछले करीब सात सालों से स्थापना बोर्ड द्वारा बिना शुल्क हीटर, अधिक संख्या में कम्बलों तथा गर्मी पहुंचाने के साधनों का इंतजाम बड़ी मात्रा में किए जाने के कारण सर्दियों में भी बड़ी भीड़ श्रद्धालुओं की आ रही है।
यह बात अलग है कि सर्दियों में वैष्णो देवी की तीर्थयात्रा पर आने का अपना अलग ही आनंद है। यह आनंद तब और भी बढ़ जाता है जब गुफा के आसपास के क्षेत्र में या तो बर्फबारी हो रही हो या फिर बर्फबारी हो चुकी हो। ऐसे में श्रद्धालु एक पंथ में दो काज संवार लेते हैं। उन्हें कश्मीर या फिर पटनीटॉप नहीं जाना पड़ता बर्फ देखने की खातिर।
चाहे कुछ भी कहा जाए वर्ष 1950 में जिस गुफा के दर्शनार्थ मात्र 3000 लोग आया करते थे उसकी कायाकल्प करने में पूर्व राज्यपाल जगमोहन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है जिन्होंने 1986 में इसका संचालन अपने हाथों मे लेकर स्थापना बोर्ड की स्थापना की थी।
यही कारण है कि 67 साल के दौरान गुफा के दर्शनार्थ आने वालों की संख्या सैकड़ो गुना बढ़ी है तो वे लोग आज भी जगमोहन का अहसान मानते हैं जो लगातार पिछले कई सालों से पवित्र गुफा के दर्शनार्थ आ रहे हैं क्योंकि अब उनके लिए गुफा के दर्शन सुविधाजनक हो गए हैं।
1.39 लाख टेका माता के चरणों में माथा : वैष्णो देवी के तीर्थस्थान पर बढ़ती भक्तों की भीड़ के कारण कटड़ा के साथ-साथ जम्मू के व्यपारियों में भी खुशी का माहौल है। हालांकि जम्मू कश्मीर की जनता को इस बार नवरात्रों की खुशी इसलिए है क्योंकि बढ़ती भीड़ ने उन्हें आस बंधाई है लेकिन हमलों का डर भी सता रहा है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि सुरक्षाबल ही जनता के बीच ‘आतंक’ फैलाने की कोशिश में हैं। यह इससे स्पष्ट होता है कि कल कश्मीर में होने वाली आतंकी घटनाओं ने बीच बीच में संख्या में कुछ गिरावट जरूर ला दी थी। फिर भी पहले चार नवरात्रों में आने वाले 1.39 लाख भक्तों ने खुशी ही दी है।
21 सितम्बर से आरंभ हुए नवरात्रों के कारण वैष्णो देवी के तीर्थस्थान पर बढ़ती भीड़ के कारण कटड़ा और पितृपक्ष के कारण मंदी से जूझ रहे जम्मू के दुकानदार व व्यापारियों का धंधा चल पड़ा है। अभी तक वे आतंकी गतिविधियों के कारण भी हताशा की स्थिति में जम्मू से ही पलायन करने का विचार लिए हुए थे।
वैष्णोदेवी के तीर्थस्थल के बेस कैम्प कटड़ा में भी लोगों की भीड़ यह संकेत दे रही है कि इस बार नवरात्रों में आने वालों की संख्या सारे रिकॉर्ड तोड़ डालेगी तो अर्थव्यवस्था पटड़ी पर आ जाएगी। हालांकि इस साल अभी तक आने वालों की संख्या निराशा ही दे रही है क्योंकि इस साल अभी तक पिछले साल की बनिस्बत कई लाख श्रद्धालु कम आए हैं।
हालांकि इस बार बढ़ती भीड़ के लिए लोग वर्तमान सरकार का शुक्रिया अदा करना नहीं भूलते। उनकी नजर में सरकार की नीतिओं के कारण ही आतंकवाद पर काबू पाया जा सका है। यह बात अलग है कि यह अभी विवाद तथा चर्चा का ही विषय है कि आतंकवाद के घटने का कारण क्या है। इतना जरूर है कि इसका श्रेय सीजफायर को देने वालों की तादाद भी कम नहीं है।
लेकिन इन सबके बीच सुरक्षाबल लोगों को डराने में अपनी मुख्य भूमिका जरूर निभा रहे हैं। अगर सेना कहती है कि आतंकी हमलों के खतरे को देखते हुए सेना के अतिरिक्त जवानों को कटड़ा में इस स्थिति से निपटने के लिए तैनात किया गया है तो अन्य सुरक्षा बलों का दावा है कि जम्मू-पठानकोट हाइवे पर लगातार होने वाले आतंकी हमलों के कारण वैष्णो देवी की गुफा पर खतरा बढ़ गया है।
क्या कहते हैं सुरक्षाकर्मी :‘विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक आतंकवादी वैष्णोदेवी की गुफा या फिर कटड़ा में इस दौरान हमले कर सनसनी फैलाने के इरादे रखते हैं। अतः उनके हमलों से निपटने के लिए सुरक्षाबलों के अतिरिक्त जवानों को गुफा के आसपास तथा कटड़ा कस्बे में तैनात कर गश्त तेज की गई है।’
सुरक्षाधिकारी आगे कहते हैं कि उसने इन सूचनाओं को अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ भी बांटा है और उन्हें आगाह किया है कि वे आतंकवादियों पर नजर रखें तथा घटना को टालने के लिए एतिहात बरतें। इतना जरूर है कि उनकी इन सूचनाओं के बाद अन्य खुफिया एजेंसियां चेती हैं या नहीं लेकिन उन लोगों में दहशत अवश्य फैल गई है जो वैष्णो देवी के तीर्थस्थान पर आना चाहते हैं। असल में उनकी दहशत के पीछे का कारण यह भी है कि वे सेना की बातों पर विश्वास करते हैं।