नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रविवार को यह स्पष्ट किया कि बंद के दौरान लोगों को आने-जाने में जो ढील दी गई है, वह केवल परेशानहाल प्रवासी कामगारों, फंसे हुए पर्यटकों, श्रद्धालुओं और छात्रों के लिए है।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों को पत्र लिखकर कहा है कि गृह मंत्रालय ने ऐसे फंसे हुए लोगों के आने-जाने को मंजूरी दी है, जो लॉकडाउन की अवधि से ठीक पहले अपने मूल निवास अथवा कार्यस्थलों से चले गए थे और लॉकडाउन के नियमों के चलते लोगों अथवा वाहनों की आवाजाही पर लगी रोक के कारण अपने मूल निवासों अथवा कार्यस्थलों पर लौट नहीं पाए थे।
पत्र में कहा गया है कि आदेश में जो सुविधा दी गई है, वह परेशान लोगों के लिए है। लेकिन ऐसी श्रेणी के लोग इसके दायरे में नहीं आते, जो कामकाज के लिए अपने मूल स्थान से दूर हैं, लेकिन वे जहां हैं वहां ठीक से रह रहे हैं और आम दिनों की तरह अपने मूल स्थानों पर आना चाहते हैं।
लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में लाखों प्रवासी कामगार फंसे हुए हैं। इसके अलावा हजारों की संख्या में पर्यटक, छात्र और श्रद्धालु भी देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए हैं। गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को ट्रेनों और बसों के जरिए उनके आने-जाने की मंजूरी कुछ खास शर्तों पर दी जिसमें भेजने और गंतव्य वाले राज्यों की सहमति, सामाजिक दूरी के नियमों का पालन आदि शामिल है। (भाषा)