नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शिक्षा के भगवाकरण के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए शु्क्रवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति गुणवत्तापूर्ण एवं समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने का आधार बनेगी।
इंडिया इकोनॉमिक कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए निशंक ने कहा, शिक्षा के भगवाकरण जैसी कोई बात नहीं है। जो लोग इस तरह के आरोप लगाते हैं, उन्हें भगवाकरण को लेकर सही जानकारी नहीं है। यह सही है कि हम मातृभाषा का सम्मान करते हैं, लेकिन यह भी तथ्य है कि दुनिया में इसराइल, जापान जैसे देश भी हैं, जो अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करते हैं।
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले वर्ष नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी दी थी, जिसने 34 वर्ष पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 का स्थान लिया। केंद्रीय शिक्षामंत्री ने कहा कि कक्षा पांचवीं तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई, बोर्ड परीक्षा के दबाव को समाप्त करना, उच्च शिक्षण संस्थानों (मेडिकल और विधि संकाय) के लिए एकल नियामक की स्थापना, विश्वविद्यालयों के लिए साझा प्रवेश परीक्षा आदि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का हिस्सा हैं।
उन्होंने कहा, अंग्रेजी कोई ज्ञान की बात नहीं है, बल्कि यह सिर्फ एक भाषा है। ऐसे समय में जब जर्मनी में 14 विश्वविद्यालय संस्कृत पढ़ा रहे हैं, ऐसे में कोई उनसे कुछ नहीं पूछता है, लेकिन जब हम ऐसा करते हैं, तब हमारे ऊपर भगवाकरण के आरोप लगते हैं।
निशंक ने कहा, कोई भाषा किसी पर नहीं थोपी जाएगी। हमने शानदार शिक्षा नीति लाने का काम किया है, जिसमें समानता, गुणवत्ता एवं समावेशी शिक्षा पर जोर दिया गया है।(भाषा)