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इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति को याद कर रहे पर्यटक

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, शनिवार, 10 सितम्बर 2022 (19:29 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली में इंडिया गेट पर आने वाले पर्यटक अमर जवान ज्योति को याद कर रहे हैं जबकि कई अन्य लोगों का मानना है कि पुनरुद्धार लंबे समय से लंबित था और अखंड ज्योति केवल भौतिक रूप से हटाई गई है। रायसीना हिल परिसर से इंडिया गेट के बीच हाल में शुरू किए गए कर्तव्य पथ को करीब 2 साल के अंतराल के बाद जनता के खोल दिया गया।
 
पहले इसे राजपथ के नाम से जाना जाता था और इसके आसपास के पार्क को शुक्रवार को करीब 2 साल के अंतराल के बाद जनता के खोल दिया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को इस हिस्से का उद्घाटन किया था और लोगों से यहां का भ्रमण करने पर अपनी सेल्फी लेकर इसे सोशल मीडिया पर साझा करने का अनुरोध किया था। सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना की कल्पना सितंबर 2019 में की गई थी।
 
इंडिया गेट पर घूमने पहुंचे पर्यटक अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों के साथ सेल्फी और तस्वीरें लेते नजर आए, वहीं तमाम लोग इंस्टाग्राम रील बनाने में व्यस्त दिखे। शुक्रवार शाम स्मारक घूमने पहुंचे गाजियाबाद निवासी ग्राफिक डिजाइनर मनीष भंडारी ने कहा कि इंडिया गेट के नीचे अमर जवान ज्योति की अनुपस्थिति अपने आप में खास है, क्योंकि हम सभी ने बचपन के दिनों से इसकी लौ को जलते देखा है।
 
उन्होंने कहा कि मैं निश्चित रूप से इसे याद कर रहा हूं, क्योंकि यह हमारी यादों का हिस्सा था। इंडिया गेट अपनी प्रतिष्ठित ज्योति के बिना थोड़ा अलग महसूस हो रहा है। अमर जवान ज्योति 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारत की जीत के उपलक्ष्य में बनाई गई थी और इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी, 1972 को किया था। 21 जनवरी को स्मारक से करीब 400 मीटर की दूरी पर स्थापित युद्ध स्मारक में अमर जवान ज्योति का विलय कर दिया गया था।
 
मूल रूप से झारखंड निवासी शहजाद खान (19) शुक्रवार को इंडिया गेट परिसर के खुलने के पहले दिन घूमने पहुंचे थे। वे फिलहाल नोएडा में रह रहे हैं। खान ने कहा कि मैं पहली बार दिल्ली आया हूं। अब तक मैंने इंडिया गेट को टीवी पर और फिल्मों में देखा है इसलिए मैं इसके पुराने और नए अवतारों के बीच का अंतर नहीं बता सकता, लेकिन मुझे अमर जवान ज्योति की याद जरूर आई। वहीं कई पर्यटकों ने कहा कि अमर जवान ज्योति को केवल भौतिक रूप से नजदीकी युद्ध स्मारक स्थानांतरित किया गया है और यह अब भी अपने मूल स्थान के निकट ही प्रज्वलित है।(भाषा)

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